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Published : May 9, 2020, 12:29 PM IST

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पटनाः पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफा को लेकर सियासी संघर्ष जारी

अर्थशास्त्री डीएम दिवाकर भी केंद्र के फैसले से एतराज रखते हैं. डीएम दिवाकर का कहना है कि ऐसे फैसलों से देश की अर्थव्यवस्था को गति नहीं मिलने वाली है. देश में परिचालन वैसे ही बंद हैं और इससे सरकार को रेवेन्यू नहीं मिलेगी.

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पटनाः कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए पूरे देश में लॉक डाउन लागू है. जिसके कारण देश की अर्थव्यवस्था बुरे दौर से गुजर रही है. वहीं, ऐसी परिस्थितियों में केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी की है. इजाफे को लेकर जहां सियासी संग्राम जारी है. वहीं, अर्थशास्त्री सरकार के पहल को असफल कोशिश मान रहे हैं.

'पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफा ऊंट के मुंह में जीरा'
कोरोना वायरस ने देश की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़कर रख दी है. लॉक डाउन के वजह से देश की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है और सरकार के सामने भी विकल्प सीमित है. केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि की है. केंद्र सरकार के फैसले पर बिहार में सियासत शुरू हो गई है और बिहार की मुख्य विपक्षी दल राजद ने सरकार पर चौतरफा हमला बोला है.

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'राजद ने सरकार पर बोला हमला'
राजद ने केंद्र के फैसले पर आपत्ति जाहिर की है. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता भाई वीरेंद्र ने कहा है कि केंद्र सरकार वैसे समय में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफा कर रही है. जबकि लोग दाने-दाने को मोहताज हैं और आवश्यक वस्तु की कीमतें आसमान छू रही हैं. सरकार गरीब और किसान विरोधी है.

'ट्रांसपोर्ट यूनियन ने सरकार के फैसले पर जताया विरोध'
वहीं, राजधानी में ट्रांसपोर्ट यूनियन से जुड़े लोगों ने भी केंद्र के फैसले का विरोध किया है. ट्रांसपोर्ट यूनियन के महासचिव राजकुमार झा ने कहा है कि सरकार का फॉर प्ले प्लान अंतर्विरोध है. एक और सरकार यह कह रही की सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखते हुए गाड़ियों की परिचालन शुरू की जाए और दूसरी तरफ पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि कर रही है. ऐसे समय में सरकार को पेट्रोल और डीजल पर सब्सिडी देनी चाहिए थी.

'विपक्ष संकट की घड़ी में भी कर रही राजनीति'
भाजपा नेता नवल किशोर यादव ने कहा है कि विपक्ष संकट की घड़ी में भी राजनीति से बाज नहीं आती. देश चलाने के लिए धन की जरूरत होती है और ऐसे फैसले देश हित में है. विपक्ष को राजनीति करने से बाज आना चाहिए.

'अर्थशास्त्री ने भी केंद्र के फैसले से जताया एतराज'
अर्थशास्त्री डीएम दिवाकर भी केंद्र के फैसले से एतराज रखते हैं. डीएम दिवाकर का कहना है कि ऐसे फैसलों से देश की अर्थव्यवस्था को गति नहीं मिलने वाली है. देश में परिचालन वैसे ही बंद हैं और इससे सरकार को रेवेन्यू नहीं मिलेगी. इसका असर यह होगा कि जरूरी सामान के कीमतों में इजाफा होगा और आम लोगों पर आर्थिक बोझ बढ़ेंगे. डीएम दिवाकर ने कहा कि आर्थिक सुधार के लिए सरकार को अलग तरह से सोचने की जरूरत है.

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