पटना: बिहार के चार शहर स्मार्ट बनने वाले थे. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट (Patna Smart City Project) के तहत देश के 100 शहर 'स्मार्ट' बनने थे. पीएम मोदी (PM Modi) की यह महत्वाकांक्षी योजना थी. पीएम मोदी के इस निर्णय को 6 साल बीत गए है लेकिन कोई भी शहर स्मार्ट नहीं बना. तीन शहरों को छोड़कर राजधानी की बात करते हैं. स्मार्ट बनने की जगह शहर नाले में डूब गया है.
कोरोना काल में देश-दुनिया के सामने बिहार की फजीहत हो गई. चमकी बुखार (Chamki Fever) की खबरें तो अंतर्राष्ट्रीय बन गईं. स्मार्ट सिटी परियोजना सिर्फ कागजों में सिमटी है. इसको लेकर पक्ष और विपक्षी दल के नेता अब सवाल उठाना शुरू कर चुके हैं.
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2017 में स्मार्ट सिटी लिमिटेड का गठन किया गया था. ताकि बिहार के चार शहरों को स्मार्ट बनाया जाए. सही वक्त पर कम पूरा हो, इसलिए इस विंग का बनना जरूरी था. पटना के साथ-साथ मुजफ्फरपुर, भागलपुर और बिहारशरीफ को भी स्मार्ट बनाना था. पटना में एक या दो योजनाओं को छोड़ कोई भी परियोजना धरातल पर नहीं उतरी है.
पिछले दिनों स्मार्ट सिटी के 6 साल पूरे होने पर केंद्र सरकार द्वारा इंडिया स्मार्ट सिटी अवार्ड 2020 के विजेताओं की घोषणा हुई. जिसमें बिहार का कोई भी शहर शामिल नहीं था. केंद्रीय आवास और शहरी मंत्रालय द्वारा पुरस्कार की घोषणा हुई थी. स्मार्ट सिटी परियोजना को धरातल पर उतारने के लिए सीएम नीतीश कुमार ने नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव आनंद किशोर को स्मार्ट सिटी का डायरेक्टर बनाया है.
परियोजना के धरातल पर नहीं उतरने को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं. विपक्षी दलों के साथ एनडीए के सहयोगी दल भी नीतीश सरकार के अधिकारियों पर अब प्रश्न चिन्ह खड़ा करने लगे हैं. कांग्रेस का कहना है कि 5 साल में सरकार 5 कदम भी आगे नहीं बढ़ सकी. सीएम नीतीश अपने चहेते अधिकारी को अगल-बगल बिठाकर रखते हैं.
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'सरकार 5 साल में 5 कदम भी आगे नहीं बढ़ सकी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने चहेते अधिकारी को अगल-बगल बिठाकर रखे हैं. विकास की रफ्तार धीमी पड़ गई है. 6 साल बीत जाने के बाद भी बिहार का एक भी शहर स्मार्ट नहीं बन सका. जब तक इन अधिकारियों से सरकार बंधी रहेगी, तब तक कोई भी शहर स्मार्ट नहीं बन सकता. एक अधिकारी को चार-चार महत्वपूर्ण विभाग सरकार ने दिया है. लेकिन एक भी विभाग का कार्य समय पर अधिकारी पूरा नहीं करते हैं. बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के अध्यक्ष आनंद किशोर को बनाया गया है. नगर विकास विभाग के प्रधान सचिव भी आनंद किशोर हैं. पटना मेट्रो के डायरेक्टर भी आनंद किशोर को ही बनाया गया है. स्मार्ट सिटी लिमिटेड के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर भी आनंद किशोर को ही बनाया गया है. ऐसे में शहर स्मार्ट कैसे बन सकता है.'-राजेश राठौर, प्रवक्ता, कांग्रेस
'नीतीश के कुछ अधिकारी कमीशन के लिए योजनाओं का चयन और रद्द करने का कार्य कर रहे हैं. लेकिन यह अधिकारी योजनाओं को जमीन पर उतारने का कार्य नहीं करते हैं. आनंद किशोर के रहते पटना शहर क्या, बिहार के चारों शहर स्मार्ट सिटी नहीं बन सकते. क्योंकि सरकार ने जो स्मार्ट सिटी के लिए प्लानिंग की है, वह सही नहीं है. इसी वजह से स्मार्ट सिटी की रैंकिंग में भी बिहार सहित पटना काफी पीछे चला गया.'-भाई वीरेंद्र, मुख्य प्रवक्ता, आरजेडी
'हर परियोजना पर अफसरशाही हावी है. स्मार्ट सिटी परियोजना में बिहार फिसड्डी है. जिसको लेकर विपक्ष की तरफ से सवाल तो उठाए जा रहे हैं. लेकिन एनडीए में शामिल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा भी सवाल उठा रहा है. सरकार द्वारा जितनी भी कार्य योजना बनाई जाती है. उस पर काम करने के लिए सरकार तो फोकस करती है. लेकिन अधिकारी की मनमानी की वजह से कार्य योजना सही समय पर धरातल पर नहीं उतर पाती. जिसकी वजह से हम लगातार पीछे होते जा रहे हैं.'-दानिश रिजवान, प्रवक्ता, हम
पटना नगर निगम क्षेत्र में कछुए की भांति चल रही पटना स्मार्ट सिटी परियोजना का हाल बेहाल हैं. स्मार्ट सिटी परियोजना को राजधानी पटना में सरजमीं पर नहीं उतरता देख अब स्थानीय जनप्रतिनिधि भी सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों पर सवाल खड़ा करने लगे हैं. पटना नगर निगम की मेयर सीता साहू ने 2 दिन पहले स्मार्ट सिटी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की बैठक में शामिल हुईं. उसमें अपनी बात अधिकारियों द्वारा नहीं सुने जाने पर काफी नाराज भी हुईं. मेयर का कहना था कि अधिकारी सिर्फ अपनी मनमानी करते हैं. जिसकी वजह से कोई भी योजना धरातल पर नहीं उतर रही है.
'स्मार्ट सिटी योजना की जवाबदेही पटना नगर निगम के कंधों पर होनी चाहिए थी. लेकिन सरकार द्वारा इस योजना को हिट करने के लिए प्रमंडलीय आयुक्त के स्तर के अधिकारियों को चयन कर लिया जाता है. इस योजना को सरजमीं पर उतारने के लिए मेयर को लीड करना चाहिए था. लेकिन सरकार ने उन्हें नहीं करने दिया. जिसकी वजह से अधिकारी अपनी मनमानी करने में लगे हुए हैं. स्मार्ट सिटी परियोजना की राशि भी है. सरकार फिर भी सही समय पर कार्य पूरा नहीं कर पा रही है. इसलिए यह साफ है कि सरकार की मंशा है ही नहीं कि पटना शहर स्मार्ट हो सके.'-इंद्रदीप चंद्रवंशी, स्टेंडिंग मेंबर, पीएमसी
'स्मार्ट सिटी लिमिटेड एक प्राइवेट संस्थान है. जिसके माध्यम से कार्य किए जा रहे हैं. लेकिन सरकार ने जो कमेटी गठित की है. उसमें किसी भी जनप्रतिनिधि को शामिल नहीं किया गया है. जिसकी वजह से अधिकारी सिर्फ मनमानी कर रहे हैं.'-विनय कुमार पप्पू, पूर्व डिप्टी मेयर, पीएमसी