पटना:बिहार में कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रभाव के कारण राज्य सरकार ने 15 मई तक लॉकडाउन की घोषणा कर दी है. वहीं, कोरोना चेन को तोड़ने के लिए कई दिशा-निर्देश दिए गए हैं. हालांकि इस दौरान गरीब लोगों को खाने-पीने में कोई दिक्कत ना हो इसके लिए राज्यभर में कई जगहों पर कम्युनिटी किचन चलाई जा रही है. यहां पर गरीब तबके के लोग भोजन करते हैं. लेकिन इन कम्युनिटी किचन में भी आंकड़ों की बड़ी हेराफेरी की जा रही है.
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कम्युनिटी किचन को चलाने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन को दी गई है. लेकिन प्राशासनिक अधिकारी खाना बनवाने के नाम पर बड़ा खेल-खेल रहे हैं. अधिकारी कम्युनिटी किचन में प्रितिदिन 800 से अधिक लोगों को भोजन कराने का दावा करते हैं. लेकिन चावल कितना खपत होता है ? इस सवाल पर टालमटोल करते हैं. हालांकि अधिकारियों की मानें तो प्रतिदिन लोगों को सुबह-शाम दाल, चावल और सब्जी खिलाई जाती है. वहीं, सब्जी का मेन्यू प्रतिदिन बदलते रहता है.
800 लोगों के लिए 400 किलो चावल
इस सब से अलग कम्युनिटी किचन में खाना बनाने वाले हलवाइयों का अलग ही दावा है. उनका कहना है कि प्रतिदिन 800 लोगों के लिए 400 किलो चावल बनाए जाते हैं. एक शख्स आधा किलो चावल खा जाता है. साथ ही हलवाई का दावा है कि कम्युनिटी किचन में साफ-सफाई पर ध्यान दिया जा रहा है.
लोगों के चेहरे पर खुशी पर मामला अलग
इन सबसे अलग कम्युनिटी किचन के चलने से गरीब तबके के लोगों के चेहरे पर काफी खुशी देखी जा रही है. लेकिन इन लोगों का कहना है कि वो सरकार की ओर से चलाई जा रही कम्युनिटी किचन में कभी-कभी ही आकर भोजन करते हैं. अब इससे तो अलग ही मामले का पता चलता है कि जनता खाने आती नहीं है और काफी संख्या में लोगों का खाना बनता है. वहीं, जो आदमी खाने के लिए आते हैं वो आधा किलो चावल खा जाते हैं.