बिहार

bihar

Patna High Court: 31वीं न्यायिक अफसर नियुक्ति प्रतियोगी परीक्षा के सफल उम्मीदवारों को नोटिस

By

Published : Feb 6, 2023, 10:34 PM IST

पटना हाइकोर्ट ने बीपीएससी द्वारा संचालित 31वीं न्यायिक अफसर नियुक्ति प्रतियोगी (31st Judicial Officer Recruitment Examination) परीक्षा के रिजल्ट को चुनौती देने वाली सुनवाई करते हुए परीक्षा के सफल उम्मीदवारों को नोटिस जारी कर अपना पक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. हाईकोर्ट ने इस मामले में बीपीएससी से भी जवाब तलब किया है. इस मामले पर अगली सुनवाई 4 हफ्ते बाद की जाएगी.

Patna High Court
Patna High Court

पटनाः पटना हाइकोर्ट (Patna High Court) ने बीपीएससी द्वारा संचालित 31वीं न्यायिक अफसर नियुक्ति प्रतियोगिता परीक्षा के रिजल्ट को चुनौती देने वाली सुनवाई करते हुए परीक्षा के सफल उम्मीदवारों को नोटिस जारी कर अपना पक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. जस्टिस पीवी बजंत्री और जस्टिस अरुण कुमार झा की खंडपीठ ने ऋषभ रंजन और कुणाल कौशल सहित 17 अभ्यार्थियों की तरफ से दायर रिट पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया है. इस परीक्षा में राज्य में 214सिविल जज (जूनियर डिवीजन) न्यायिक दंडाधिकारी परीक्षा में सफल हुए.

इसे भी पढ़ेंः Patna High Court News : हाईकोर्ट ने पूर्वी चम्पारण के अंचल अधिकारी को लगाई फटकार, DM को मामले को खुद जांच के दिए आदेश

बीपीएससी से भी जवाब तलबः कोर्ट ने स्पष्ट किया कि न्यायिक पदाधिकारियों की नियुक्तियां, इस मामले में पारित अंतिम फैसले पर निर्भर करेगा. हाईकोर्ट ने इस मामले में बीपीएससी से भी जवाब तलब किया है. इस मामले पर अगली सुनवाई 4 हफ्ते बाद की जाएगी. याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि बिहार लोक सेवा आयोग ने भर्ती नियमावली और इस परीक्षा हेतु प्रकाशित विज्ञापन की कंडिकाओं का उल्लंघन किया है. आयोग ने मनमाने तरीके से मुख्य परीक्षा में प्रथम दृष्टया अयोग्य अभ्यर्थियों को भी इंटरव्यू में बुलाकर पूरे भर्ती प्रक्रिया को अनियमित और अवैध बना दिया.

नियमों की अनदेखीः याचिकाकर्ताओं के वकील शानू ने कोर्ट को बताया कि बिहार न्यायिक सेवा भर्ती नियमावली 1955 में निहित नियमों की अनदेखी की गयी है. आयोग ने वैसे अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए बुलाया, जिनका मुख्य परीक्षा के रिजल्ट में न्यूनतम कट ऑफ अंक से 12 फ़ीसदी अंक कम था. एक और भर्ती नियमावली का नियम 15, आयोग को न्यूनतम कटऑफ अंक में 5 फ़ीसदी की रियायत देने की इजाजत देता है, लेकिन आयोग ने कई आरक्षित कोटि के अभ्यर्थियों को मनमाने तरीके से न्यूनतम अंक में 12% की रियायत देकर इंटरव्यू में बुलाया.

इसे भी पढ़ेंः OBC-EBC आयोग बनाएगी नीतीश सरकार, हाईकोर्ट से पुनर्विचार याचिका वापस लिया

फिर से योग्यता सूची तैयार कराने की मांगः शानू ने दूसरा आरोप यह लगाया के इंटरव्यू में वैसे अभ्यार्थी, जिन्हें मुख्य परीक्षा में कटऑफ से 12 फ़ीसदी कम मिले उन्हें साक्षात्कार का अंक 80 से 85 फ़ीसदी देते हुए उन्हें पूरी परीक्षा में योग्य घोषित किया गया. वहीं दूसरी तरफ यह रिट याचिका कर्ता, जिन्हें औसतन मुख्य परीक्षा में न्यूनतम कटऑफ से 80 फ़ीसदी अधिक आया था, उन्हें इंटरव्यू में महज 10 से 30 फ़ीसदी अंक देकर अयोग्य घोषित किया गया. पूरे साक्षात्कार की प्रक्रिया पर प्रश्न उठाते हुए याचिकाकर्ताओं के वकील ने पूरे रिजल्ट को रद्द करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट से अनुरोध किया की कि मुख्य परीक्षा के अंकों के गुण दोष के आधार पर नए सिरे से योग्यता सूची तैयार कर फिर से साक्षात्कार कराया जाए.

ABOUT THE AUTHOR

...view details