पटना: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकतर अंतिम दौर की बातचीत चल रही है. राजग में जिन डेढ़ दर्जन सीटों पर उहापोह की स्थिति बनी हुई थी. उसपर दिल्ली में बीजेपी के शीर्ष नेताओं की लगातार बैठक में मंथन हो रही है. बता दें कि शनिवार को भी पटना में बीजेपी और जदयू नेताओं के बीच लगभग पांच घंटे तक बैठक हुई थी. जिसमें विधानसभा के सभी 243 सीटों पर विचार-विमर्श हुई थी.
18 सीटों पर फंसा हुआ है पेंच
बता दें कि जदयू और बीजेपी के बीच सवा दो सौ सीट पर सहमति भी बन चुकी है. लेकिन डेढ़ दर्जन सीट पर पेंच अभी भी फंसा हुआ है. इसको लेकर ही दिल्ली में भाजपा नेताओं की मैराथन बैठक चल रही है. दरअसल, 2010 और 2015 का सीट बंटवारा का असर 2020 में पड़ रहा है. 2015 में जदयू और बीजेपी की राहें अलग होने के बाद दोनों दलों ने अलग-अलग चुनाव लड़ी थी. जिस वजह से जदयू के कई पारंपरिक सीट जहां बीजेपी के खाते में चली गई थी. वहीं, भाजपा के भी कई सीट जदयू के खाते में चली गई थी. ऐसे कुल 49 सीट हैं. जिनमें से 27 सीट जदयू ने जीता है और 22 सीट बीजेपी ने. हालांकि, इनमें से कई सीटों पर पेंच सुलझ चुका है. लेकिन अभी भी 18 सीटों पर पेंच फंसा हुआ है.
2015 विधानसभा चुनाव का असर
दरअसल, 2010 में नीतीश कुमार बीजेपी के साथ एनडीए के बैनर में विधानसभा चुनाव लड़े थे. लेकिन 2015 में नीतीश कुमार ने बीजेपी से नाता तोड़ कर आरजेडी, कांग्रेस के साथ महागठबंधन में शामिल हो गए थे. इसलिए बीजेपी के विरोध में कई सीटों पर जदयू ने अपने उम्मीदवार उतारे थे. वहीं, बीजेपी ने भी कई सीटों पर उम्मीदवार जदयू के खिलाफ उतारा था. ऐसे कुल 49 सीट थे जिसपर जदयू और बीजेपीआमने-सामने थी. इन 49 सीटों में से 27 सीट जदयू ने जीता था और 22 सीट बीजेपी ने. ये सभी सीट 2010 तक दोनों दलों के पास था. बीजेपी और जदयू के बीच 49 सीटों के अलावा 7 सीटों का भी पेंच है जो हाल में आरजेडी के विधायक जदयू में आए हैं.
- 2015 में भाजपा और जदयू सीट जिन पर जीत हासिल की वह इस प्रकार है.