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जेपी ने किसानों के लिए बनवाया था सिंचाई डिवीजन, अब खत्म हो गया वजूद

नवादा शिफ्ट होने के बाद सरकार ने जेपी के बनवाए हुए इस डिवीजन पर ध्यान देना बंद कर दिया. यहां अब केवल दो कर्मचारी बचे हुए हैं.

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Published : Apr 19, 2019, 12:25 PM IST

नवादा शिफ्ट किया गया डिवीजन

नवादा: लोकनायक जयप्रकाश नारायण का प्रिय स्थान रहा सेखोदेवरा गांव में उनके द्वारा खुलवाया गया सिंचाई डिवीजन आज खत्म होने की कगार पर हैं. सेखोदेवरा से सटे इलाके पकरीबरावां में बना ये डिवीजन अब नवादा शिफ्ट हो गया और पीछे सिर्फ बदहाली रह गई है.

आजादी के बाद जेपी का सबसे प्रिय स्थान अगर कोई था वो सेखोदेवरा. इससे सटे पकरीबरावां उनका आना जाना लगा रहता था. यहां उन्होंने किसानों की समस्याओं को दूर करने के लिए पकरीबरावां में एक लघु सिंचाई विभाग का डिवीजन खुलवाया. जिससे न सिर्फ किसानों को सिंचाई की सुविधा मिलने लगी थी, बल्कि उन्हें समय की बर्बादी से भी निजात मिल गया था.

अनदेखी से मिटने लगा वजूद
लोगों का कहना है कि नवादा शिफ्ट होने के बाद सरकार ने जेपी के बनवाए हुए इस डिवीजन पर ध्यान देना बंद कर दिया. यहां अब केवल दो कर्मचारी बचे हुए हैं. जो यहां पड़े डिवीजन के सामान की देख रेख कर रहे हैं.

खत्म हुआ वजूद

अंधेरे में रहते हैं कर्मचारी
सिंचाई विभाग के दो कर्मचारी का कहना है कि वे यहां तकरीबन 7 वर्षों से रह रहे हैं और इस डिवीजन में काम करते हुए 30 साल से ज्यादा हो गया है. वे कहते हैं कि पहले तो समझिए यहां चमन था लेकिन, यहां से डिवीज़न तोड़कर अब नवादा कर दिया गया है और हम दो लोगों को इसकी देखरेख के लिए यहां छोड़ दिया. वे पुराने मकान में ही रह रहे हैं लेकिन जिसमें बिजलीं नहीं हैं. घर मे बिच्छू घूमते रहते हैं.

वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि, जब हम लोग छोटे-छोटे थे तो अक्सर यहां घूमने आते थे. दादाजी कहते थे इस डिवीजन की स्थापना के बाद से किसानों को काफी लाभ मिलने लगा था, लेकिन जब से यहां काम बंद हुआ तब से किसानों का विकास भी ठप्प पड़ गया है.

हजारों किसानों को मिलता थआ फायदा

हजारों किसानों को मिलता था लाभ
सिंचाई विभाग की स्थापना के बाद से कई डैम बनाए गए जिनमें से अभी कुछ ही डैम चल पा रही है. उन दिनों करीब सैकड़ों गांवों के हजारों किसानों को सिंचाई का लाभ मिलता था. सरकार की उदासीनता के कारण अब पकरीबरावां का सिंचाई विभाग धीरे-धीरे खंडहर का रूप धारण करने लगा.

मिटने लगे जेपी के सपने
अब जब किसानों को सुखाड़ की चिंता सताती है तो जेपी याद आते हैं. सरकार खुद को जेपी का शिष्य तो बताती है लेकिन उनके सपनों को संजोने में सरकार की सक्रियता न के बराबर है. अब जेपी के सपने पकरीबरावां से मिटने लगे हैं.

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