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नवादा: गांधी की 150वीं जयंती को लेकर 'मोहन से महात्मा' सफर का कठपुतली नाटक मंचन

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Published : Aug 29, 2019, 3:09 PM IST

कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य समाज में शांति और सद्भाव फैलाना, विद्यालयों में शांति संगठन का गठन करना, लुप्त हो रहे लोक कला को पुनर्जीवित करना, गांधी जी के विचार और जीवन को रोचक ढ़ंग से प्रस्तुत करना, गांधी जी के अनछुए पहलु से सबको अवगत कराना और गांधी साहित्य को जन-जन तक पहुंचाना था.

महात्मा गांधी की 150वीं जयंती कठपुतली नाटक मंचन के अवसर पर

नवादा:जिले के सिरदला प्रखंड स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय हेमजा भारत में बुधवार को महात्मा गांधी की 150वीं जयंती को लेकर कार्यक्रम का आयोजन किया गया. शिक्षाविद राजेश कुमार भारती के नेतृत्व में प्रायोजक राजीव गांधी फाउंडेशन के सहयोग से कठपुतली नाटक की प्रस्तुति की गई. नाटक के माध्यम से मुख्य रूप से यह बताया गया कि, महात्मा गांधी का नाम मोहन से महात्मा गांधी, बापू और राष्ट्रपिता कैसे और कब पड़ा.

कठपुतली नाटक मंचन

लाठी के दम पर अंग्रेजों को भागने पर किया मजबूर
कार्यक्रम संयोजक राजेश कुमार भारती ने कहा कि, महात्मा गांधी अहिंसा की राह पर चलते हुए, केवल एक लाठी के दम पर देश से अंग्रेजों को भागने पर मजबूर कर दिया था. आम तौर पर दुनिया उन्हें महात्मा गांधी के नाम से जानती है. लेकिन इसके अलावा भी उन्हें कई और नामों से पुकारा जाता है. जिनमें मोहन, मिस्टर गांधी, बापू, राष्ट्रपिता जैसे नाम शामिल हैं.

कठपुतली के माध्यम से गांधी के जीवन पर प्रकाश डाला गया

अलग-अलग जगह से आए कलाकार
इस कार्यक्रम के आयोजन में कार्यक्रम निदेशक मिथिलेश दुबे, मुजफ्फरपुर से आये गांधीवादी शाहिद कमाल और विनोद कुमार रंजन सचिव गांधी स्मारक निधि बिहार ने कठपुतली नाटक की प्रस्तुति में सराहनीय योगदान दिया. वहीं, कठपुतली कलाकार बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी के आईआईटीयन अनिल कुमार, सूरज कुमार, पंकज कुमार, विशाल कुमार व गोविंद कुमार ने गांधी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि हम कठपुतली नाटक के माध्यम से जान पाएंगे कि कैसे एक साधारण व्यक्ति महान बन गया.

हेमजा भारत विद्यालय में ''मोहन से महात्मा'' का किया गया कठपुतली नाटक मंचन

समाज में शांति और सद्भाव फैलाना उद्देश्य
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य समाज में शांति और सद्भाव फैलाना, विद्यालयों में शांति संगठन का गठन करना, लुप्त हो रहे लोक कला को पुनर्जीवित करना, गांधी जी के विचार और जीवन को रोचक ढ़ंग से प्रस्तुत करना, गांधी जी के अनछुए पहलु से सबको अवगत कराना और गांधी साहित्य को जन-जन तक पहुंचाना था. कार्यक्रम के अंत में मिथलेश दुबे ने प्रश्नोत्तरी के जरिए इस नाटक के सकारात्मक प्रभाव की भी जांच की, जिसमें बच्चों ने बड़े उत्साह से भाग लिया.

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