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कटिहारः शिवगंज बांध का टूटना अब लोगों के लिए साबित हो रहा वरदान, सरकार से खुला ही रखने की मांग

मुखिया बताते हैं कि शिवगंज बांध टूटे होने से अब खेतों-खलियानों में पानी नहीं जमता है. जिससे इलाके में 2017 और 2018 में उपज भी बेहतर हुई है. शिवगंज बांध का टूटना इलाके के लोगों के लिए वरदान साबित हुआ है.

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Published : Sep 1, 2019, 1:56 PM IST

कटिहारःबिहार में हाल ही में आई बाढ़ का प्रकोप कटिहार में भी देखने को मिला. जिले में महानंदा नदी हर साल लोगों पर कहर बनकर टूटती है. इस नदी के तट पर बसे लोग बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित होते हैं. यहां बाढ़ से सबसे ज्यादा तबाही कदवा इलाके में देखने को मिलती थी. लेकिन शिवगंज बांध के टूटे होने से इस इलाके के लोगों को थोड़ी राहत मिली है.

2017 की बाढ़ में टूटा था शिवगंज बांध
दरअसल, 2017 में आई बाढ़ प्रलयकारी थी, कदवा इलाके में पानी भर जाने से यहां जानमाल का काफी नुकसान हुआ था. पानी के दबाव से कदवा के पास शिवगंज बांध टूट गया था. जिसके बाद पानी निचले इलाके में जाने लगा और जन आबादी वाले इलाके से पानी कम होने लगा था. इससे इलाके में लोगों ने राहत की सांस ली.

बाढ़ का पानी

2019 की बाढ़ में राहत
2019 में एक बार फिर बाढ़ आने से इलाके में पानी भर गया, लेकिन शिवगंज बांध के टूटे हिस्से से पानी निचले इलाके में खेतों की तरफ जाता रहा. बताया जाता है कि इस बार की बाढ़ में 2017 से भी ज्यादा पानी था. लेकिन पानी को रास्ता मिलने से उस अनुपात में तबाही होने से बच गया. लोगों को गांव छोड़कर सुरक्षित ठिकानों पर शरण लेना पड़ा, जो अब अपने-अपने घरों में लौट चुके हैं.

स्थानीय मुखिया

शिवगंज बांध का टूटना वरदान साबित हुआ
भर्री ग्राम पंचायत के मुखिया विवेकानंद साह ने कहा कि 2017 की बाढ़ में जब शिवगंज बांध टूटा नहीं था, तो पानी घर की छत के उपर से जा रहा था. तबाही का आलम यह था कि मौतों का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता था. मुखिया बताते हैं कि शिवगंज बांध टूटे होने से अब खेतों-खलियानों में पानी नहीं जमता है. जिससे इलाके में 2017 और 2018 में उपज भी बेहतर हुई है. शिवगंज बांध का टूटना इलाके के लोगों के लिए वरदान साबित हुआ है.

पूरी रिपोर्ट

'बांध खुली रखे सरकार'
विवेकानंद साह ने कहा कि बांध के टूटे होने से दूसरी तरफ भी पानी भर गया था. लेकिन उधर भी जान-माल की क्षति नहीं हुई है. वहीं, स्थानीय लोगों ने बताया कि यदि इस बांध से पानी नहीं निकल रहा होता, तो इस बार भी 2017 जैसी ही भयावह स्थिति हो जाती. हम सरकार से मांग करते हैं कि बांध को खुला ही रखें.

'जिले से निकल चुका है बाढ़ का पानी'
वहीं, जिलाधिकारी पूनम कुमारी का कहना है कि जिले में एक-दो इलाकों को छोड़कर बाकि जगहों से पानी निकल चुका है. लोग अपने-अपने गांव लौट चुके हैं. दो जगहों पर लगभग 250 लोग बांध पर शरण लिए हुए हैं. वहीं, प्रभावित लोगों को हरसंभव मदद की जा रही है.

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