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जमुई: किसानों ने रासायनिक खाद और बोरिंग का किया बहिष्कार, जैविक खेती से कमा रहे मुनाफा

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Published : May 2, 2019, 11:29 AM IST

यहां ग्रामीणों ने रसायनिक खेती करना बंद कर दिया है. किसान यहां जैविक खेती कर रहे हैं साथ ही पर्यावरण का संरक्षण भी कर रहे हैं.

जैविक खेती संबंधित किसानों से बातचीत

जमुई: जिले के केड़िया गांव के किसानों ने पर्यावरण को बचाने के लिए एक अच्छी पहल की है. लोगों ने यहां रासायनिक खेती और बोरिंग का बहिष्कार कर दिया है. किसान यहां जैविक खेती कर रहे हैं. लोगों ने सिंचाई के लिए बोरिंग के बजाय कुएं का पानी इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है.

दरअसल यहां ग्रामीणों ने रसायनिक खेती करना बंद कर दिया है. उन्होंने जैविक खेती को अपनाकर पर्यावरण को सुरक्षित रखने का लोगों को एक सकारात्मक संदेश दिया है. साथ ही ग्रामीणों ने यहां बोरिंग का बहिष्कार कर कुएं के पानी को अपनाना पसंद किया है. उनके मुताबिक बोरिंग करने से जलस्तर काफी नीचे चला जाता है. जिससे इलाके में पानी की समस्या होती है. ग्रामीण यहां नदी-तालाब में पानी का संरक्षण करते हैं और खेतों में पटवन करते हैं.

जैविक खेती संबंधित किसानो से बातचीत

भीषण गर्मी में लहलहा रहे फसल
ग्रामीणों ने कहा कि जिस तरह का माहौल है कि पर्यावरण को नुकसान हो रहा है और पानी की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है. इसीलिए सबसे पहले यहां के लोगों ने बोरिंग करवाना बंद किया. बोरिंग होने की वजह से पानी का स्तर नीचे चला जाता है. लेकिन जब से यहां के लोगों ने बोरिंग का बहिष्कार किया है, तब से यहां के कुएं में 20 से 30 फीट तक पानी प्रचूर मात्रा में उपलब्ध है. लोग यहां पीने के पानी से लेकर खेतों में पटवन भी आसानी से कर रहे हैं. इस भीषण गर्मी में भी खेतों में फसल लहलहा रहे हैं.

जैविक खेती से मिट्टी रहती है नरम
एक अन्य किसान ने ईटीवी से बातचीत में बताया कि पहले इस गांव में रासायनिक खाद से ही खेती की जाती थी. लेकिन पटवन और घरेलू काम के लिए कुंऐ का पानी ही लिया जाता था. धीरे-धीरे लोगों ने जानकारी जुटाकर आज पूरे गांव का किसान खुद से जैविक खाद तैयार कर रहा है. उन्होंने कहा कि खेतों में जैविक खेती की वजह से यहां की मिट्टी में नमी रहती है. जिससे पानी पानी हमेशा रीसता रहता है. वर्ना अगर रसायनिक खाद का उपयोग करें, तो मिट्टी में कड़ापन आ जाता है और फसल सही प्रकार से उपज नहीं पाता है.

सरकार से की उपकरण की मांग
स्थानीय किसान ने बताया कि इस खबर के फैलने के बाद से यहां के जनप्रतिनिधि और मंत्री प्रेम कुमार ने इसकी सराहना भी की. लेकिन सरकार की तरफ से कोई खास मदद नहीं मिल पाई है. उन्होंने सरकार से गुजारिश की है कि सरकार उचित संसाधन प्राप्त कराए, जिससे काम और भी आसानी से हो सके.

ऑर्गेनिक खेती कर फसल सब्जी उपजा रहे किसान
बता दें कि केड़िया गांव जैविक खेती को लेकर जैविक ग्राम के रूप में जाना जा रहा है. पूरे गांव में किसान न सिर्फ ऑर्गेनिक खेती कर फसल और सब्जी उपजा रहे हैं बल्कि साथ-साथ औषधि पौधे भी लगा रहे हैं. यहां फसल हमेशा लहलहाते रहते हैं.

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