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गोपालगंज: बच्चों के भविष्य के लिए दान की जमीन, अब स्कूल में सैकड़ों नौनिहाल पाते हैं शिक्षा

विश्वनाथ भगत ने अपने परिवार के खिलाफ जाकर अपनी दो कट्ठा जमीन स्कूल निर्माण के लिए दान कर दी. इनकी इस कोशिश से आज सैकड़ों बच्चों का उद्धार हो रहा है. इनकी जमीन पर बने भवन में आज नन्हें मासूम शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.

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Published : Aug 26, 2019, 12:05 AM IST

Published : Aug 26, 2019, 12:05 AM IST

Updated : Aug 26, 2019, 12:26 AM IST

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गोपालगंज: 'कुछ तो खार कम कर गए, गुजरे जिधर से तुम' साहिर लुधियानवी की यह पंक्तियां जिले के विश्वनाथ भगत के ऊपर बिल्कुल सटीक बैठती है. बहुत कम ऐसे लोग होते हैं जो दूसरों के लिए अपनी सुविधाएं कुर्बान करते हैं. गोपालगंज के विश्वनाथ भगत इन लोगों में से ही एक हैं. नन्हें मासूमों के भविष्य के लिए इन्होंने अपनी जमीन दान कर दी.

विश्वनाथ भगत ने अपने परिवार के खिलाफ जाकर अपनी दो कट्ठा जमीन स्कूल निर्माण के लिए दान कर दी. इनकी इस कोशिश से आज सैकड़ों बच्चों का उद्धार हो रहा है. इनकी जमीन पर बने भवन में आज नन्हें मासूम शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं.

बच्चों से मिलने पहुंचे विश्वनाथ

खुले आकाश के नीचे पढ़ते थे बच्चे
गोपालगंज के मांझा प्रखण्ड स्थित लंगटुहाता गांव निवासी विश्वनाथ भगत ने देश-समाज के लिए एक मिसाल कायम की है. इन्होंने अपनों के परवाह किए बगैर बेगाने बच्चों के भविष्य के लिए 2 कट्ठा जमीन दान दे दी. गौरतलब है कि बच्चों को पहले खुले आकाश के नीचे पढ़ना पड़ता था. जो विश्वनाथ से सहा नहीं गया और उन्होंने इसके समाधान का बीड़ा उठाया.

विश्वनाथ भगत

समय-समय पर करते हैं निरीक्षण
विश्वनाथ ने बच्चों के लिए कुछ करना चाहा. अथक प्रयास के बाद जब कुछ नहीं जुगाड़ कर पाए तो अपने हिस्से से ही दान दे दिया. आज इस जमीन पर भव्य स्कूल उत्क्रमित मध्य विद्यालय का निर्माण हुआ है. जिसमें सैकड़ों बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. विश्वनाथ कहते हैं कि उन्हें आज बेहद संतोष महसूस होता है. वह समय-समय पर खुद विद्यालय जाकर निरीक्षण करते हैं और कमियों को पूरा करते हैं.

छात्रों ने जताई खुशी

2008 में एक कमरे का था स्कूल
दरअसल, साल 2008 में मांझा के पुरानी बाजार के पास एक ही कमरे में यह स्कूल संचालित होता था. बच्चों की संख्या ज्यादा थी और बैठने की व्यवस्था नहीं होने के कारण स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के सामने संकट आ गया था. कुछ बच्चों को खुले आसमान में पढ़ना पड़ता था. यह देख विश्वनाथ ने जमीन दान की.

खुद करते हैं निरीक्षण

खुद पढ़ नहीं सके तो दूसरों को शिक्षा दिलाने की चाहत
इस उत्क्रमित मध्य विद्यालय तथा आसपास के करीब 508 बच्चे पढ़ते हैं. विश्वनाथ भगत ने बताया कि गरीबी और गांव के पास स्कूल नहीं होने के कारण वह 9वीं कक्षा से आगे नहीं पढ़ सके. पढ़ाई का महत्व क्या होता है, इसका अहसास उन्हें है. इसीलिए यह मदद करके वह आश्वस्त हैं. उन्हें संतोष है कि आज बच्चे अच्छे से पढ़ रहे है हैं. सभी बच्चे व शिक्षक खुश हैं.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

इंटरमीडिएट स्कूल बनाने की चाहत
विश्वानथ की चाहत है कि अब स्कूल इंटरमीडिएट बन जाए ताकि यहां के बच्चों को पढ़ने के लिए दूर नहीं जाना पड़े. स्कूल के प्राचार्य दीनानाथ आर्य और शिक्षक शिव हरे ने बताया कि आज जो भी यहां है वो सब कुछ विश्वनाथ जी के कारण है.

Last Updated : Aug 26, 2019, 12:26 AM IST

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