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बिहार : 4 महीने से नहीं मिला डॉक्टर को वेतन, एक्सीडेंट के बावजूद दे रहे सेवा

धरती पर भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर महामारी के दौर में 'कोरोना योद्धा' के नाम से जाने जा रहे हैं. लेकिन इन कोरोना योद्धाओं का परिवार भी है, जो उनकी राह देखता है. ऐसे में उन्हें अगर सैलरी ना मिले, तो सरकारी तंत्र से सवाल उठाना लाजमी हो जाता है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Aug 9, 2020, 6:31 PM IST

बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था
बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था

गोपालगंज:कोरोना वायरस संक्रमण से सभी डरे-सहमे हैं. ऐसे में कोरोना योद्धा डॉक्टर, अगर बिना तनख्वाह के इस वायरस से लड़ते दिखाई दें, तो ये एक बड़ा सवालिया निशान खड़ा करता है. सवाल खड़े करता है स्वास्थ्य व्यवस्था पर और उस राज्य के जिम्मेदार आला अधिकारियों के काम पर, तो सरकार पर भी. मामला गोपालगंज से है, जहां एक डॉक्टर पिछले चार महीनों से वेतन से वंचित हैं, लेकिन वो अपनी सेवा दे रहे हैं.

खुद और परिवार की परवाह किये बगैर लगातार सेवा देने वाले डॉ. संदीप कुमार को चार माह से वेतन नहीं मिला है. बिना वेतन के वो जनसेवा करने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल कोरोना काल में इलाज करते दिखाई दे रहे हैं. ऐसे में सरकार और अस्पताल प्रशासन की नजर इनपर नहीं पड़ी है. दो महीने पहले कोरोना योद्धाओं के लिए सरकारों ने आसमान से फूल बरसाये जरूर बरसाये थे. लेकिन गोपालगंज के डॉ. संदीप को सैलरी ना मिलना उनके परिवार के भरण पोषण में कांटों जैसी की चुभन दे रहा है.

देखें ये रिपोर्ट

एक्सीडेंट के बावजूद काम पर आए
ईटीवी भारत से बात करते हुए डॉ. संदीप ने बताया कि कोरोना काल के शुरूआती दौर में वापस प्रदेश लौट रहे प्रवासी मजदूरों की स्क्रीनिंग की. वो बॉर्डर पर तैनात रहे. जनसेवा भाव से वो अपना काम बखूबी करते रहे लेकिन उन्हें ना तब सैलरी मिली और ना ही अभी मिल रही है.

  • डॉ. संदीप कुमार सदर अस्पताल गोपालगंज में बतौर मेडकिल ऑफिसर के पद पर कार्यरत् हैं.

डॉ. संदीप ने बताया कि इस दौरान उनका एक्सीडेंट भी हो गया. हाथ में फैक्चर है. बावजूद इसके वो सेवा देने आ रहे हैं और मरीजों का इलाज कर रहे हैं. वो कहते हैं, 'मार्च से ही बॉर्डर पर हम काम कर रहे थे. बल्थरी चेक पोस्ट पर हम तैनात थे. गोपालगंज जिले से काफी जिलों के लोग आए गए. हमने क्वारंटाइन सेंटर से लेकर आइसोलेशन वार्ड तक में काम किया और अभी भी कर रहे थे. इस दौरान मेरा एक्सीडेंट हो गया. मैं काम करने में अक्षम हूं लेकिन फिर भी काम करने आ रहा हूं.'

सदर अस्पताल में कार्यरत् है डॉ. संदीप

डॉ. संदीप ने कहा, 'सरकार की तरफ से काफी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं. सबसे बड़ी समस्या है कि चार महीने से हमें वेतन नहीं मिला है. वेतन परिवार पोषण के लिए बड़ी चीज है. जनसेवा भाव से काम कर रहे हैं. हादसे में बहुत पैसा खर्च हो गया है. अभी भी काम कर रहे हैं और लोगों को संदेश दे रहे हैं कि अपनी आदत बदलकर कोरोना को हराया जा सकता है. शारीरिक दूरी बनाते हुए कोरोना को दूर रख सकते हैं.'

सरकार से डॉ. संदीप का निवेदन...

  • सरकार से विनम्र निवेदन है कि डॉक्टरों को समय से वेतन समय से मिले
  • सरकार से निवेदन है कि वो वेतन के साथ-साथ मैन पॉवर बढाएं.
  • मैन पॉवर की कमी है, जिसकी वजह से डॉक्टरों को कुछ आराम मिल सके.
  • डॉक्टर भी बीमार पड़ रहे हैं और कभी-कभी वो हादसे का शिकार भी हो रहे हैं.

लोगों की मानें, तो कोरोना काल में डॉक्टर बहुत अच्छा काम कर रहे हैं, ऐसे में सरकार अगर उनपर ध्यान नहीं देती है, तो ये चिंता का विषय है. धरती पर डॉक्टर की भगवान की भूमिका में हैं. असली कोरोना योद्धा वही हैं.

गोपालगंज में चल रही लगातार स्क्रीनिंग

लचर स्वास्थ्य व्यवस्था की निशानी
डॉक्टरों को वेतन ना मिलना कहीं ना कहीं बिहार के लचर स्वास्थ्य व्यवस्था को बयां कर रहा है. सरकार आइसोलेशन वार्ड और तमाम सुविधाएं देने का दावा क्यों ना कर ले लेकिन जब तक इनके कार्यवाहक यानी डॉक्टरों को राहत नहीं मिलेगी, ये व्यवस्थाएं गतिमान नहीं हो सकती. बिहार में जहां डॉक्टरों की घोर कमी है, तो वहीं सेवारत डॉक्टरों पर अतिरिक्त बोझ भी पड़ रहा है. ऐसे में सरकार को इनकी बहाली की दिशा में भी ध्यान देने की जरूरत है.

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