गया: बिहार में कोरोना महामारी की दूसरी लहर में एक किलोमीटर तय करने के लिए दस हजार तक वसूला गया था. वहीं गया में दो आधुनिक मशीनों से लैस एम्बुलेंस (Ambulance) चालक के अभाव में सड़ती रही. इन दो एम्बुलेंसों को पूर्व सांसद ने दिया था. लेकिन दोनों एम्बुलेंस महज एक आदेश के लिए कोविड अस्पताल में सड़ रही है और दूसरी सिविल सर्जन आवास की शोभा की वस्तु बनी हुई है. पूर्व सांसद ने कहा, मेरा जो दायित्व था उसे पूरा कर दिया था. इसे जिला स्वास्थ्य समिति को संचालित करना था. लेकिन सालों बीतने पर भी एक किलोमीटर नहीं चला.
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जिला स्वास्थ्य समिति को सौंपी गई थी दो एम्बुलेंस
दरअसल, कोरोना महामारी की दूसरी लहर में गांव के लोग भी काफी प्रभावित हुए हैं. सुदूर क्षेत्रों में स्वास्थ्य व्यवस्था उतनी अच्छी नहीं रहती थी. जिस वजह से कई लोगों की मौत अच्छे इलाज के बिना हो गयी. वहीं पूर्व सांसद ने सुदूर क्षेत्रों में मिनी अस्पताल जैसी बनी दो एम्बुलेंस जिला स्वास्थ्य समिति को सौंपा था. जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में महामारी या आपदा में इलाज हो सके. लेकिन एक आदेश की वजह से ये दो एम्बुलेंस सालों से सड़ रही है.
'मैंने अपने कार्यकाल के दौरान तीन एम्बुलेंस दिया था. तीनों एम्बुलेंस एक करोड़ रुपये से ज्यादा राशि की थी. गया के सुदूर क्षेत्रों में नक्सली घटना, आपदा और महामारी के मद्देनजर सोच कर दिया था. यह एक मात्र एम्बुलेंस नहीं, एक मिनी हॉस्पिटल है. सालों बीत गए लेकिन जिला प्रशासन और जिला स्वास्थ्य विभाग ने इन एम्बुलेंस को एक किलोमीटर तक नहीं चलाया. इस एम्बुलेंस में जनता का पैसा लगा है. लेकिन जनता इसका उपयोग नहीं कर पा रही है. मैंने कई बार इसको शुरू करने के लिए आग्रह किया, पत्राचार किया. लेकिन कोई पहल नहीं हुई. इस महामारी में ये दोनों मिनी हॉस्पिटल जैसी एम्बुलेंस चालू रहती, तो ग्रामीण क्षेत्रों में दर्जनों लोगों की जान बच जाती.'-हरि मांझी, पूर्व सांसद, गया