गया: गया की ख्याति पूरे विश्व में फैली हुई है. दर्जनों देश से पर्यटक व श्रद्धालु पर्यटन के लिये गया आते है. अंतर्राष्ट्रीय स्थल होने के बावजूद आज तक गया का विकास उस स्तर का नहीं हो सका. गया में बरसात के शुरुआती दिनों से कई मोहल्लों में जलजमाव की स्थिति बन जाती है. जलजमाव की समस्या से निजात पाने के लिए हर साल प्रयास किया जाता है, लेकिन आज तक गया नगर निगम सफल नहीं हो सका. इस साल भी गया शहर में जलजमाव की समस्या जस की तस बनी हुई है.
दरअसल, गया शहर में छोटे-बड़े 50 नाले हैं. इसमें अधिकांश नालों को अंग्रेजों ने बनाया था. वो नाले आज भी अस्तित्व में हैं और कारगर हैं. इनके अलावा गया नगर निगम और बिहार सरकार द्वारा बनाये गये नाले अस्तित्व में तो हैं लेकिन कारगर नहीं हैं. इनको कारगर बनाने के लिए गया नगर निगम हर साल प्रयास करती है लेकिन सफल नहीं हो पाती. बात करें मनसरवा नाला की तो गया शहर में माड़नपुर बाईपास के पास स्थित मधुसूदन कॉलोनी और अशोक विहार कॉलोनी के बीच से गुजरने वाला मनसरवा नाला लोगों के डर का कारण बन गया है. साल 2017 में मनसरवा नाला में अतिक्रमण होने से इस इलाके में भयंकर जलजमाव की स्थिति पैदा हो गई थी. जिस कारण हजारों घर डूब गए थे. गया जैसे सूखाग्रस्त जिले में सरकारी लापरवाही से आई बाढ़ को देखने सूबे के मुख्यमंत्री भी पहुंचे थे. मुख्यमंत्री ने कई आदेश दिए लेकिन नाला की हालत जस के तस बनी हुई है.
पानी निकालने के लिये जनरेटर का इस्तेमाल
पूर्व वार्ड पार्षद सह आरटीआई कार्यकर्ता लालाजी प्रसाद ने बताया कि गया शहर में अंग्रेजों द्वारा भूगर्भ नाला बनवाया गया था. वो नाला आज भी उपयोग में है. वर्तमान में गया नगर निगम जलजमाव से निपटने में सफल नहीं हो पा रहा है. मनसरवा नाला और बॉटम नाला के लिए सरकार ने योजनाएं और राशि निर्गत किया है लेकिन निगम की लापरवाही और भ्रष्टाचार के कारण काम नहीं हो पा रहा है. शहर के दुर्गाबाड़ी और बारी रोड की सड़कों पर नाले का पानी जमा ही रहता है. निगम यहां से पानी निकालने के नाम पर वर्षों से टावर चौक के पास जनरेटर चला रहा है. इसके बाद भी यहां के लोगों को कोई खास राहत नहीं मिली है. नाले के पानी से दुर्गाबाड़ी के लोग परेशान हैं. वहीं जनरेटर की आवाज से टावर चौक के निवासी त्रस्त हैं.