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बिहार में जुगाड़! रेनकोट पहनकर डॉक्टर छत से मरीजों का कर रहे हैं इलाज

गया शहर के एपी कॉलोनी में स्थित निजी हड्डी रोग अस्पताल में कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए बिल्कुल अलग व्यवस्था किया गया है. इस अस्पताल के डॉक्टर अपना चैम्बर छोड़कर छत से मरीजों का इलाज कर रहे हैं.

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Published : May 1, 2020, 6:12 PM IST

Updated : May 1, 2020, 6:29 PM IST

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गया:कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव को लेकर आम लोग के साथ-साथ चिकित्सक भी सतर्क हैं. गया में हड्डी रोग के चिकित्सक कोरोना से बचाव को लेकर दस फिट की ऊंचाई से व रेन कोट पहनकर मरीज को देख रहे हैं. अस्पताल के सभी कर्मी भी रेनकोट पहनकर ही काम करते हैं. इसके पीछे डॉक्टर का तर्क हैं कि जिले में मिल रहे हैं पिपीई किट से रेन कोट बेहतर हैं.

डीएम ने क्लीनिक खोलने का दिया आदेश
बिहार में जहां जुगाड़ तकनीक देखने को खूब मिलता हैं. अब कोरोना वायरस से बचाव के लिए भी जुगाड़ टेक्नोलॉजी गया शहर के हड्डी रोग अस्पताल में देखने को मिल रहा है. दरअसल, गया में कोरोना संक्रमण के डर से सारे निजी क्लीनिक बंद हो गया थे. जिले में सरकारी अस्पतालों में मरीजो की संख्या बढ़ते देख डीएम अभिषेक सिंह ने सारे क्लीनिक खोलने के आदेश दिये. उसके बाद निजी क्लीनिक खुले हैं. लेकिन डॉक्टर कोरोना से बचाव के लिए तरह-तरह का जुगाड़ लगाते दिख रहे हैं.

देखें पूरी रिपोर्ट

सोशल डिस्टेंस बनाकर रखना जरूरी
गया शहर के एपी कॉलोनी में स्थित निजी हड्डी रोग अस्पताल में कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए बिल्कुल अलग व्यवस्था किया गया है. इस अस्पताल के डॉक्टर अपने चैम्बर छोड़कर छत से मरीजों का इलाज कर रहे हैं. इसके पीछे डॉक्टर नवनीत निश्चल का तर्क हैं की अस्पताल में कौन मरीज किस तरह से आ रहे हैं. पता नही रहता है. उनसे दूरी रहकर सिर्फ इमरजेंसी मरीजों का इलाज 10 फिट की ऊंचाई की छत से बैठकर कर रहे हैं. कोरोना से बचाव के लिए सोशल डिस्टेंस बनाकर रखना जरूरी है. वहीं, रेन कोट पहनने की वजह से जिले में जो पिपीई किट उपलब्ध हैं, वो अच्छी क़्वालिटी का नहीं है. उससे बेहतर रेन कोट हैं. यहां के सभी कर्मी रेन कोट पहनकर काम करते हैं.

डॉक्टर रेनकोट पहनकर छत से कर रहे हैं इलाज

थर्मल स्क्रीनिंग कर किया जाता है सेनेटाइज
हालांकि अस्पताल में प्रवेश करने के पहले मरीज और उनके परिजन को आरोग्य सेतु एप्प डाऊनलोड करवाया जा रहा है. उसमे ग्रीन सिंगल मिलने पर अस्पताल में प्रवेश मिलता हैं. उसके बाद मरीजों और उसके परिजनों को थर्मल स्क्रीनिंग कर सेनेटाइज किया जाता हैं. बहरहाल अस्पताल प्रशासन और चिकित्सक कोरोना के बचाव के लिए किसी तरह का ईजाद कर ले मरीजों पर कोई फर्क नही पड़ता हैं. मरीज का इलाज इस महामारी में हो रहा है, उनके लिए ये बड़ी बात है.

Last Updated : May 1, 2020, 6:29 PM IST

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