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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Dec 13, 2023, 6:22 AM IST

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चौंक गए न, यह धोबी घाट नहीं, दरभंगा का कॉलेज ही है, जिस पर कब्जा हो गया है

MRM Women College Darbhanga : दरभंगा में एक ऐसा कॉलेज भी है, जिसे धोबी घाट कॉलेज के नाम से जाना जाता है. ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय से 2-3 सौ गज की दूरी पर नारी शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 1958 में महारानी रामेश्वरी महिला महाविद्यालय की स्थापना की गई थी. अब प्रशासनिक लापरवाही के कारण एमआरएम कॉलेज कैंपस में सालों से चल रहे धोबी घाट ने शैक्षणिक माहौल को बर्बाद कर रखा है. पढ़ें पूरी खबर..

एमआरएम महिला कॉलेज दरभंगा
एमआरएम महिला कॉलेज दरभंगा

एमआरएम महिला कॉलेज दरभंगा का हाल

दरभंगा : बिहार के दरभंगा स्थित महारानी रामेश्वरी महिला महाविद्यालय में कॉलेज परिसरको देखकर यह पता ही नहीं चलता है, कि यह कॉलेज है या धोबी घाट. कॉलेज प्रशासन ने कई बार इसकी शिकायत वरीय अधिकारियों से की, लेकिन आजतक इसका कोई समाधान नहीं निकला. कॉलेज परिसर में धोबी घाट होने के कारण छात्राओं की परेशानी दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, लेकिन इसे देखने वाला कोई नहीं है.

स्पोर्ट्स व अन्य गतिविधियों के दौरान होती है काफी परेशानी: कॉलेज और विश्वविद्यालय प्रशासन की पहल पर शैक्षणिक माहौल में परिवर्तन लाने का लगातार प्रयास चल रहा है. फिर भी कॉलेज परिसर स्थित तालाब में आसपास के धोबी दबंगता पूर्वक कपड़े साफ करते हैं और उसी परिसर में कपड़ों को सुखाया भी जाता है. इस कॉलेज में स्पोर्ट्स मीट और बाकी की चीजों में कठिनाई का सामना करना पड़ता है.

"पूरे परिसर में कपड़े फैले रहते हैं. इससे कॉलेज अच्छा नहीं लगता है. स्पोर्ट्स के दौरान काफी परेशानी होती है. हमने कभी परिकल्पना नहीं की थी कि हमारे कॉलेज की ऐसी स्थिति होगी. इसको लेकर हमलोगों ने कई बार मैनेजमेंट से बात की है. वहां से हमे आश्वासन मिल रहा है कि इसे जल्द ठीक किया जाएगा."-प्रियंका, छात्रा

कॉलेज परिसर में सूख रहे कपड़े

धोबी घाट का नहीं निकल पाया कोई समाधान : वहीं कॉलेज परिसर में कपड़ा धो रहे धोबी, सुरेंद्र रजक ने बताया कि हम लोगों के पास तालाब का ऑप्शन मौजूद नहीं है. इसीलिए कॉलेज परिसर में घुसकर कपड़े धोने का तथा सुखाने का काम करते हैं. अगर हम लोग यह काम नहीं करेंगे तो भूखे मरेंगे. मजबूर गरीब आदमी कहां जाएगा. सरकार अगर हमलोगों के लिए कहीं और व्यवस्था कर देगी तो हमलोग वहीं जाकर अपना काम करेंगे.

"इस समस्या के समाधान के लिए हम लोगों ने विधायक से भी बात की. लेकिन आजतक कोई समाधान नहीं निकला. हम लोगों को भी कॉलेज परिसर में कपड़ा धोना तथा सुखाना अच्छा नहीं लगता है. लेकिन क्या करें मजबूरी है."-सुरेंद्र रजक, धोबी

DM से शिकायत के वावजूद नहीं निकल रहा समाधान :वहीं एमआरएम महिला कॉलेज की प्रिंसिपल रूपकला सिन्हा ने बताया कि इस बात की शिकायत को लेकर मैं पिछले मार्च में डीएम से मिली थी. उन्होंने तुरंत डेवलपमेंट कमिश्नर को फॉरवर्ड कर दिया. जब किसी तरह की कार्रवाई नहीं हुई तो 11 नवंबर को मैं नए आवेदन के साथ फोटो लेकर डिस्ट्रिक डेवलपमेंट कमिश्नर से मिली थी. उन्होंने कहा कि आपका शिकायत एसडीओ को भेज दी गई है और वहां सर्वे टीम जाएगी.

कॉलेज परिसर स्थित तालाब में कपड़ा धोते धोबी

"डीएम से शिकायत के एक साल होने के बाद भी आजतक कोई सर्वे टीम हमारे कॉलेज में नहीं आई है. कॉलेज में धोबी घाट होने के कारण हम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है."- रूपकला सिन्हा, प्रिंसिपल, एमआरएम महिला कॉलेज

धोबी घाट के नाम से जाना जाने लगा है कॉलेज :महिला कॉलेज की प्रिंसिपल रूपकला सिन्हा ने बताया की अभी हमारे कॉलेज की छात्रा कबड्डी की तैयारी कर रही है. पूरे परिसर में धोबी कपड़ा फैला देते हैं. इससे छात्राओं को प्रैक्टिस करने में काफी परेशानी हो रही है.उन्होंने कहा कि वर्तमान में BPSC TRE 2.0 की परीक्षा थी. इसमें प्रशासन ने उन्हें एंट्री नहीं करनी दी, लेकिन परीक्षा समाप्त होते ही, आज फिर से जबरदस्ती कॉलेज परिसर में एंट्री कर कपड़े धोकर पूरे परिसर में फैला दिया है. हमारा कॉलेज धोबी घाट कॉलेज के नाम से जाना जाने लगा है.

ट्यूटोरियल कॉलेज के रूप में हुई थी स्थापना :बतातें चले कि 1958 में मात्र 5 छात्राओं के साथ इस कॉलेज की स्थापना ट्यूटोरियल कॉलेज के रूप में हुई थी. 1972 में कॉलेज का यूजीसी से 2 एफ व 12 बी के तहत रजिस्ट्रेशन हुआ. प्रारंभ में यहां कला व विज्ञान की शिक्षा प्रदान की जाती थी. बाद में वाणिज्य की पढ़ाई भी प्रारंभ हो गई. 1985 में यहां कला विज्ञान के 10 विषयों में स्नातकोत्तर की पढ़ाई शुरू हुई. विज्ञान में बॉटनी, जूलॉजी, फिजिक्स, केमेस्ट्री व मैथमेटिक्स के साथ ही कला विषय में राजनीति विज्ञान, इतिहास, हिंदी, अंग्रेजी एवं अर्थशास्त्र में यहां पीजी की पढ़ाई हो रही है.

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