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बक्सर में धान की रोपनी तय सीमा से पहले संपन्न, प्रवासी मजदूरों की घर वापसी ने दिलाया मुकाम

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Published : Aug 13, 2020, 10:36 PM IST

रोजगार बंद होने के बाद घर वापस आए कई प्रवासी श्रमिकों के साथ छात्रों ने भी खेती का काम शुरू कर दिया है. कृषि कार्य में जुटे श्रमिकों और छात्रों ने बताया कि लॉकडाउन के बाद वह गांव आकर कृषि कार्य से जुड़ गए हैं. अब वह अपने ही जिले में काम करने का विचार कर रहे हैं.

बक्सर
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बक्सर: पिछले वर्षों की तुलना में इस वर्ष धान की रोपनी पहले ही संपन्न हो गई है. जिसमें प्रवासी मजदूरों की सहभागिता काफी महत्वपूर्ण है. कोरोना काल में 32 हजार 800 प्रवासी श्रमिकों की बक्सर में घर वापसी हुई. जिसमें 8 हजार श्रमिकों को जिला प्रशासन द्वारा जॉब कार्ड दिया गया है. जबकि 50% से अधिक श्रमिक कृषि कार्य में जुटे हुए हैं. इस वजह से किसानों को कम पैसों में आसानी से श्रमिक उपलब्ध हो गए.

90 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान उत्पादन का लक्ष्य
बक्सर में कृषि विभाग द्वारा इस वर्ष 90 हजार हेक्टेयर भूमि पर धान उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. हालांकि, मौसम की अनुकूलता और प्रवासी श्रमिकों की उपलब्धता के कारण जिले में यह लक्ष्य तय समयावधि से 20 दिन पहले ही शत-प्रतिशत पूरा कर लिया गया है. जिले के किसानों ने बताया कि इस बार लॉकडाउन के कारण गांव में ही श्रमिकों की उपलब्धता बहुत ज्यादा थी. जिसके कारण कृषि कार्य आसानी से संपन्न हो गया.

जिला कृषि पदाधिकारी कृष्ण नंदन चक्रवर्ती

दूसरे प्रदेश में रोजगार बंद होने के बाद घर वापस आए कई प्रवासी श्रमिकों के साथ छात्रों ने भी खेती का काम शुरू कर दिया है. कृषि कार्य में जुटे श्रमिकों और छात्रों ने बताया कि लॉकडाउन के बाद वह गांव आकर कृषि कार्य से जुड़ गए हैं. अब वह अपने ही जिले में काम करने का विचार कर रहे हैं.

वहीं खरीफ फसल की स्थिति जानने के लिए ईटीवी संवाददाता ने जिला अधिकारी अमन समीर से संपर्क किया तो उन्होंने फोन पर जिला कृषि पदाधिकारी कृष्ण नंदन चक्रवर्ती को कृषि विभाग के उत्पादन आंकड़े को साझा करने का निर्देश दिया. इसके बाद भी कृषि पदाधिकारी कृष्ण नंदन चक्रवर्ती ने प्रेस से उत्पादन संबंधी विवरण साझा करना उचित नहीं समझा.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट
  • कृषि पदाधिकारी की नाराजगी का कारण
    जिला कृषि कार्यालय को साल 2018-19 में 90% अनुदान पर कृषि विभाग द्वारा 700 क्विंटल ढईचा घास की बीज किसानों को आवंटित कराने के लिए मिला था. इसके बाद स्थानीय डीलरों के मिलीभगत से फर्जी किसानों की सूची तैयार कर जिला कृषि पदाधिकारी ने सभी बीज को बाजार में बेचकर विभाग को फर्जी सूची उपलब्ध करा दी. इसके बाद ईटीवी भारत ने मामले का खुलासा किया. मामला संज्ञान में आने पर जांच के लिए राजधानी पटना से आए विभागीय अधिकारियों ने भी ईटीवी भारत एक खबर को सही पाया. साथ ही जिला कृषि पदाधिकारी के खिलाफ उप विकास आयुक्त अरविंद कुमार को जांच का आदेश दिया. जो अभी जारी है.
  • अरहर बीज घोटाला
    इस घटना के कुछ ही दिन बाद सूखे की स्थिति को देखते हुए कृषि विभाग द्वारा 350 क्विंटल अरहर का बीज किसानों में वितरण के लिए विभाग द्वारा भेजा गया. वहीं कृषि विभाग के अधिकारियों ने इसे भी बाजार में बेचकर धान की जगह अरहर और अरहर की जगह धान की सूची तैयार कर विभाग को दे दिया. इसका भी खुलासा ईटीवी भारत ने की. इस मामले को भी अधिकारियों ने जांच में सत्य पाया. जिसका जांच अभी जारी है.
  • मसूर बीज अनुदान राशि घोटाला
    कृषि समन्वयक अधिकारी रामपुकार तिवारी और जिला कृषि पदाधिकारी कृष्ण नंदन चक्रवर्ती का 10 मई 2020 को ईटीवी भारत संवाददाता ने जिला कृषि कार्यालय में तैनात एक अधिकारी को एक वीडियो बनाकर दिया. जिसमें जिला कृषि पदाधिकारी अपने ही विभाग के कृषि समन्वयक को मसूर अनुदान राशि की फर्जी सूची तैयार करने के लिए दबाव बना रहे थे. जब कृषि समन्वयक ने फर्जी सूची तैयार करने से इनकार कर दिया तो उस पर एफआईआर कर जेल भेजने की धमकी देने लगे. वहीं ईटीवी भारत द्वारा जैसे ही खबर दिखाई गई, उसके बाद आनन-फानन में रातों-रात जिला कृषि पदाधिकारी ने उस कृषि समन्वयक का तबादला कर अपने ही विभाग के 5 जूनियर अधिकारियों को अपने खिलाफ जांच का आदेश दे दिया. यह जांच भी अभी जारी है.


    कृषि मंत्री प्रेम कुमार के चहेते
    बिहार के कृषि मंत्री डॉक्टर प्रेम कुमार के चहेते होने के कारण जिला कृषि पदाधिकारी कृष्ण नंदन चक्रवर्ती पर अब तक कार्रवाई नहीं किया जा सका है. वहीं घोटालों को कवर करने वाले पत्रकार पर इन्होंने पैसा मांगने का आरोप लगाया. साथ ही कृष्ण नंदन चक्रवर्ती ने एससी-एसटी एक्ट के तहत पत्रकार पर एफआईआर दर्ज करवाने की धमकी भी दी.

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