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स्वास्थ्य मंत्री के इलाके का अस्पताल भी बीमार, दवा के अलावा बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव

जिले में मरीजों को कम-से-कम 350 प्रकार की दवाईयों की जरूरत है. जबकि अस्पतालों में पैरासिटामोल तक की दवा पिछले 4 महीने से उपलब्ध नहीं है. यहां एक्सरे मशीन आधा-अधूरा है. डायलिसिस और अल्ट्रासाउंड करने के लिए विभाग के पास एक भी टेक्नीशियन नहीं है.

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Published : Jun 21, 2019, 1:32 PM IST

स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल बेहाल

बक्सर: बिहार में चमकी बुखार और हीट वेव से हो रहे मासूमों की मौत से चारों तरफ हाहाकर मचा हुआ है. लगातार हो रहे मासूमों की मौत ने सरकार के स्वास्थ्य व्यवस्था को आइना दिखा दिया है. वहीं अधिकारियों और विभागीय मंत्रियों के बयानों में कितनी सच्चाई है इसकी बानगी केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के संसदीय क्षेत्र में देखने को मिली.

यहां 22 लाख की आबादी वाले बक्सर जिले में मात्र 67 डॉक्टर पूरे जिला के लोगों का उपचार कर रहे हैं. यहां चल रहे स्वास्थ्य व्यवस्था के आकड़ों को देखा जाए तो इस जिले में एक सदर अस्पताल के अलावा:

स्वास्थ्य व्यवस्था का हाल बेहाल
  • एक सब डिविजनल अस्पताल
  • 4 सीएससी सेंटर्स
  • 7 पीएचसी सेंटर्स
  • 2 हेल्थ वेलनेस सेंटर स्थापित हैं
  • 22 लाख जनसंख्या वाले इस जिले में ICU की कोई सुविधा नहीं है..

पर्याप्त दवाईयों की कमी
इस जिले में मरीजों को कम से कम 350 प्रकार की दवाईयों की जरूरत है. जबकि अस्पतालों में पैरासिटामोल तक की दवा पिछले 4 महीने से उपलब्ध नहीं है. यहां एक्सरे मशीन आधा-अधूरा है, तो डायलिसिस और अल्ट्रासाउंड करने के लिए विभाग के पास एक भी टेक्नीशियन नहीं है. इस जिले में कम से कम 191 डॉक्टर की जरूरत हैं. जहां मात्र 67 डॉक्टर ही वर्तमान समय में कार्यरत हैं. जिसमें से 15 डॉक्टर लगातार छुट्टी पर ही रहते हैं.

दवाओं का घोर अभाव

परिजनों का हंगामा करना जायज
अस्पताल की इस व्यवस्था को देखकर कोई भी अंदाजा लगा सकता है कि जिस राज्य में शिक्षा के बाद स्वास्थ्य के लिए सरकार सबसे अधिक बजट जारी करती हैं. वहां की स्थिति आखिर क्यों नहीं बदल रही है. वहीं जिले के डिप्टी सुपरिटेंडेंट डॉ. राम कुमार ने बताया कि अस्पताल में आने वाले मरीज अगर मारपीट पर उतर आते हैं तो उसमें उनकी कोई गलती नहीं है. क्योंकि परिस्थितियां उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर कर देती हैं. अगर अस्पताल में मरीज के उपचार के लिए व्यवस्था ही नहीं होगी तो कोई भी व्यक्ति अपना आपा खो देगा.

अस्पताल की बदहाली

स्वास्थ्य मंत्री को नहीं है परवाह
वहीं मरीज के परिजनों ने सरकार के प्रति गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि बक्सर जिले जैसी बदहाल स्थिति किसी अन्य जिले की नहीं है. यहां ना तो दवाईयों की सुविधा है, ना ही आईसीयू की. परिजनों ने कहा कि जिस जिले के सांसद केंद्र में स्वास्थ्य मंत्री हो वहां के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा न मिले यह दुर्भाग्य की बात है.

स्वास्थ्य व्यवस्था की खुली पोल
बता दें कि बक्सर जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था खुद वेंटिलेटर पर चल रहा है. अगर कुदरत ने अपना कहर बरपाना शुरू किया तो इन अस्पतालों में आने वाले मरीजों के लिए विभाग के पास कोई सुविधा नहीं है, जिससे स्थिति को नियंत्रित किया जा सके. गौरतलब है कि अबतक जिले के किसी भी स्वास्थ्य केंद्र पर गंभीर अवस्था में मरीज के आने की कोई सूचना नहीं है.

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