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केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री के संसदीय क्षेत्र में बदहाल है आयुर्वेद महाविद्यालय

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Published : Sep 4, 2020, 9:34 PM IST

केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के संसदीय क्षेत्र में धन्वंतरि आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल आज भी बदहाल है. इस कॉलेज की स्थापना 1972 में हुआ था. वहीं सरकार एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के कारण यह महाविद्यालय वेंटीलेटर पर अंतिम सांस गिन रहा है.

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बक्सरः बिहार में विकास के मुद्दे पर 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में उतरने की तैयारी में जुटे नीतीश कुमार के प्रदेश में जिले का एकमात्र धन्वंतरी आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल वेंटिलेटर पर अंतिम सांस गिन रहा है. स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सन 1972 में इस कॉलेज की स्थापना हुई थी. उस समय पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार के छात्र यहां पढ़ाई करने आते थे और प्रत्येक साल इस कॉलेज से पढ़ाई कर 60 डॉक्टर अलग-अलग स्थानों पर अपना योगदान देते थे. कॉलेज की लोकप्रियता को देखते हुए बिहार सरकार ने वर्ष 1986 में अधिग्रहण कर लिया.

1986 से अब तक नहीं हुआ है विकास का कार्य
इस आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के डॉक्टर वी वी गिरि राम ने बताया कि, जब तक यह कॉलेज निजी हाथों में था. प्रत्येक वर्ष विकास के नए-नए कार्य को देख दूसरे प्रदेश के छात्र इतना प्रभावित थे, कि पंजाब, उत्तर प्रदेश के लखनऊ, बनारस, कानपुर, गाजीपुर, बलिया, बिहार के कई शहरों से छात्र यहां पढ़ने के लिए आते थे और अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद प्रत्येक साल 60 नए डॉक्टर तैयार होकर अलग-अलग जगहों पर अपना योगदान देते थे. लेकिन जैसे ही इसे राज्य सरकार ने 1986 में अधिग्रहण किया. इस आयुर्वेद महाविद्यालय पर अस्तित्व बचाने का खतरा मंडराने लगा. आज हालात यह है की एक एकड़ 15 डिसमिल जमीन पर संचालित मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल 10 फुट के कमरे में सिमट कर रह गया है.

आयुर्वेद महाविद्यालय

क्या कहते हैं स्थानीय
इस महाविद्यालय के अस्तित्व को बचाने के लिए वर्षों से संघर्ष कर रहे संदीप ठाकुर ने कहा कि यह कैसा दुर्भाग्य है कि जिस बक्सर वासियों ने केंद्र सरकार में दो-दो बार स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्यमंत्री दिया. वहां के धन्वंतरी आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल आज अपने बदहाली पर आंसू बहा रहा है. जिसे देखकर ही शर्मिंदगी महसूस हो रही है. ऐसा नहीं है कि राज्य सरकार को इसके बारे में जानकारी नहीं दी गई है. कई बार स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे एवं सरकार के अन्य लोगों से मिलकर इसका ज्ञापन दिया गया. उसके बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. सरकार विकास के एजेंडे पर चुनाव लड़ने जा रही है. लेकिन सरकार को यह भी बताना चाहिए कि विकास कहां गुम हो गया है.

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धन्वंतरी आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज बदहाली पर बहा रहा आंसू
वहीं इस महाविद्यालय की बदहाल स्थिति को लेकर प्रभारी प्रिंसिपल डॉक्टर जगदीश सिंह से जब पूछा गया , तो उन्होंने बताया कि सरकार की उदासीनता के कारण ही यह धन्वंतरी आयुर्वेद महाविद्यालय खंडहर में तब्दील हो गया है. सरकार ने विकास के नाम पर ना तो एक ईट रखा और ना ही दवा की उपलब्धता कराई. आज जिला की पहचान दिलवाने वाला यह महाविद्यालय केवल एक कमरे में सिमट कर रह गया है. यहां कार्यरत 11 सरकारी कर्मचारी आने वाले मरीजों का ओपीडी में सेवा देते है. कॉलेज में पढ़ाई 2003 से ही बंद है.

गौरतलब है कि जिले का इकलौता धन्वंतरी आयुर्वेद मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल की स्थिति को सुधारने के लिए महीनों तक लोगों ने आंदोलन किया. केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने आश्वासन भी दिया. उसके बाद भी अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.

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