औरंगाबाद: कहते हैं 'अगर मन में कोई सच्ची लगन हो, तो हर मुश्किल आसां हो जाती है'. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र अंबा के चिल्हकी गांव के किसानों ने, इन किसानों की मेहनत ने गांव की बंजर मिट्टी को स्ट्राबेरी उगलने को मजबूर कर दिया है.
स्ट्रॉबेरी की खेती ने चिल्हकी गांव की तकदीर बदल कर रख दी. जिस वजह से गांव न केवल जिले में बल्कि देश में चर्चा का केंद्र बन गया है. ऐसा प्रदेश में पहली बार है, जब स्ट्राबेरी का सफल उत्पादन किया गया हो. ऐसे में जीविका दीदियों की ओर से किए गए स्ट्रॉबेरी की खेती का जायजा लेने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गांव में पहुंचे. जहां उन्होंने इस खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रेरित किया.
5 साल पहले शुरू हुई थी खेतीइस बाबत सफल किसान धनंजय मेहता का कहना है कि गांव में 5 साल पहले इस फल की खेती की शुरूआत हुई थी, लेकिन सफलता नहीं मिल पाई थी. लेकिन हमने देश के विभिन्न राज्यों में जाकर प्रशिक्षण लेकर खेती शुरू की थी. पहले साल में थोड़ा कम मुनाफा हुआ था. लेकिन दूसरे और तीसरे साल उन्होंने वृहद पैमाने पर खेती की और काफी अच्छा मुनाफा हुआ. जिसके बाद कई किसानों ने स्ट्राबेरी की खेती शुरू की. आज यह खेती व्यवसाय का रूप ले चुकी है और दर्जनों किसानों के घरों में खुशहाली आई है. 'सरकार दे रही है 50% अनुदान'
बिहार सरकार में कृषि विभाग के प्रधान सचिव डॉ. एन श्रवण कुमार बताते है कि जब 5 साल पहले गांव में इस फसल की खेती शुरू की गई थी, तब उन्हें इतने वृहद पैमाने पर सफलता की उम्मीद नहीं थी. लेकिन इस गांव के किसानों ने अपनी मेहनत से खुद की तकदीर बदली है. इस फसल के लिए एक बीघे में तीन से चार लाख की लागत आती है, जबकि उत्पादन पांच से छह लाख का होता है. फिलहाल कृषी विभाग की ओर से इस फसल की खेती के लिए 50% सरकारी अनुदान दिया जा रहा है.
नीतीश कुमार को भेंट में दी गई स्ट्रॉबेरी 'स्टोरेज और मार्केटिंग पर किया जाएगा काम'
कृषि विभाग के प्रधान सचिव डॉ. एन श्रवण कुमार बताते है कि यहां पर मुख्यमंत्री का आगमन होना है. किसान धनंजय मेहता और उनकी पत्नी नीलम देवी ने स्टोरेज और मार्केटिंग की है समस्या को बताया है. जिसके बारे में मुख्यमंत्री को अवगत कराया गया.