औरंगाबादःएक तरफ औरंगाबाद जिले को बिहार में मनरेगा में अच्छा काम करने के लिए पहला स्थान मिला है. वहीं दूसरी तरफ कई ऐसे भी मामले हैं, जहां बाहर से लौटे मजदूरों को मनरेगा योजना में काम तक नहीं मिल रहा है. वह खाली हाथ बैठे हैं. यहां तक कि उन्हें राशन भी नहीं मिला है.
मनरेगा में काम देने को लेकर जिले ने अच्छी पहल की है. जिले ने मनरेगा में काम देने का नया रिकॉर्ड कायम किया और बिहार में पहला स्थान प्राप्त किया. लेकिन जिले में कुछ पंचायत ऐसे भी हैं, जहां बाहर से लौटे मजदूरों को मनरेगा के तहत अब तक कोई काम नहीं मिला है. मामला बारुण प्रखंड के कई गांव का है. जब मामले की जांच करने ईटीवी भारत की टीम ने पंचायतों में जाकर बात की तो पता चला कि प्रवासी मजदूरों को कोई काम नहीं मिला है. ना ही किसी ने अप्रोच किया है.
सरकारी स्तर पर नहीं मिला कोई लाभ
बारुण प्रखंड के ग्राम पंचायत पिपरा में बाहर से लौटे मजदूरों से जब बात की गई तो उन्होंने बताया कि उन्हें लौटे हुए एक महीने हो गए हैं. अभी तक उन्हें कोई काम सरकारी स्तर पर नहीं मिला है. ना ही सरकारी स्तर पर कोई अन्य सहायता ही मिला है.मजदूरों ने बताया कि वह मनरेगा के तहत में काम करने को तैयार हैं, लेकिन उन्हें कोई काम नहीं मिला रहा है. इन लोगों से ना तो रोजगार सेवक ने संपर्क किया और ना ही मुखिया या वार्ड सदस्य ने.