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भागलपुर: विकास से कोसों दूर है शंकरपुर दियारा का इलाका, नेता भूल गए वादा

शंकरपुर दियारा में रहने वाले लोगों की रोजी-रोटी का साधन खेती और पशुपालन है. हर साल इन लोगों को प्राकृतिक आपदा से सामना करना पड़ता है.

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Published : Apr 17, 2019, 2:42 PM IST

क्या है लोगों की बड़ी समस्या

भागलपुर: जिले में चुनावी सरगर्मी काफी तेज हो गई है. 18 अप्रैल को यहां होने वाले लोकतंत्र के इस पर्व में भागीदार हर शख्स के अपने मुद्दे हैं. भागलपुर लोकसभा क्षेत्र से कोसों दूर शंकरपुर दियारा इलाका जहां से विकास और आधुनिकता कोसों दूर है. ईटीवी भारत सवांददाता शंकरपुर दियारा के लोगों से बातचीत करने पहुंचे.

हर साल आपदा से जूझते हैं दियारा के लोग

दियारा क्षेत्र के लोगों की सबसे बड़ी समस्या
शंकरपुर दियारा में वे लोग रहते हैं जिनको रोजी-रोटी खेती और पशुपालन से मिलती है. शहरी रास्ते और शंकरपुर के बीच एक नदी है, जिसे पार करने के लिए अभी तक कोई पुल नहीं बन पाया. गांव के लोगों ने खुद ही मिलकर बांस और लकड़ी का एक चचरी पुल (लकड़ी और बांस से बना पुल) बनवाया, लेकिन उसे पार करके जाना जोखिम में डालने से कम नहीं है.

ग्रामीणों का बनाया हुआ चचेरी पुल

इमरजेंसी में क्या करें ग्रामीण
यहां बच्चियां सिर्फ इसलिए नहीं पढ़ पाती हैं कि वहां पर बांस का बना हुआ खतरनाक चचरी पुल है. बच्चे उच्च शिक्षा नहीं ले पाते क्योंकि उन्हें गांव से शहर की तरफ जाना पड़ता है. लोगों का कहना है कि जब कभी कोई बीमार हो जाता है या कोई दुर्घटना घट जाती है ऐसे में पुल पार कर शहर हॉस्पिटल जाना दूसरे खतरे को न्यौता देना है.

किए वादे, जीते भी पर भूल गए गांव आना
लोगों का कहना है कि उनकी सबसे बड़ी समस्या पुल ही है. यह कभी भी गिर सकता है. कोई भी अनहोनी हो सकती है. इतने वर्षों से चुनाव हो रहे हैं. प्रत्याशी वादे करते हां और जीतने के बाद गांव की तरफ देखते भी नहीं.

जान जोखिम में डाल पार करते हैं पुल

कितनी खत्म हुई बाकी समस्याएं
पुल के निर्माण को लेकर लोगों में मौजूदा सरकार के लिए खासी नाराजगी है. वहीं बुजुर्गों को अभी तक पेंशन योजना का लाभ भी नहीं मिल पाया.
हालांकि, इस दियारा क्षेत्र में बिजली की जो समस्या थी, वो जरूर दूर की गई है.

इलाके के लोगों को हर साल प्राकृतिक आपदा से जूझना पड़ता है. लोगों को भीषण बाढ़ का सामना करना पड़ता है. जिसमें लाखों का अनाज और पशुधन का भी नुकसान होता है. फिर भी सरकार दियारा के इन लोगों पर ध्यान नहीं देती है.

इस बार लोगों में नाराजगी है, इससे कुछ ग्रामीण नोटा का बटन दबाने की बात कर रहे हैं तो कोई एक अच्छी सरकार की आस में प्रत्याशियों को फिर से मौका देने की बात कर रहे हैं.

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