पटना:तपती गर्मी में गले को तर करने वाले पेय पदार्थों का बाजार इन दिनों ठंडा पड़ा है. गन्ना रस और फलों के जूस की दुकानें तो फिर भी थोड़ी बहुत खुली दिख जाती हैं, लेकिन आइसक्रीम नजर नहीं आती है. इन सब की एक मात्र वजह है कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए सरकार की ओर से लागू लाकडॉउन.
केंद्र सरकार ने लॉकडाउन को लेकर जो गाइडलाइन जारी की है, उसके मुताबिक फल और जूस की दुकानें खुल सकती हैं. मगर आइसक्रीम दुकानों के खुलने पर रोक है.
जूस की बिक्री घटी
फलों के जूस की दुकानें खुली तो हैं, लेकिन लॉकडाउन के कारण इसका बाजार सुस्त पड़ा है. राजधानी में 150 से 200 जूस की दुकानें हैं. जबकि जूस की चलंत दुकानें करीब 600 से 700 हैं. जूस की स्थायी दुकानें पूरी तरह बंद है, हालांकि चलंत दुकानें जरूरी खुली हैं, लेकिन खरीदार नहीं के बराबर आ रहे हैं. दुकानदारों की मानें तो पहले रोज 2000 से 2500 रुपए तक कमाई हो जाती थी, लेकिन आज-कल दिनभर में 100-200 की कमाई भी मुश्किल हो रही है. इनके मुताबिक लॉकडाउन ने धंधा मंदा कर दिया है.
ग्राहक के इंतजार में बैठे गन्ना जूस दुकानदार गन्ना जूस की बिक्री भी प्रभावित
बिहार में गर्मी के दिनों में लोग गन्ने का जूस पीना खूब पसंद करते हैं, लेकिन आलम ये है कि गन्ना जूस की लगभग सभी दुकानें बंद हैं. चलंत गाड़ी पर गन्ना का जूस बेचने वाले इक्का-दुक्का लोग ही नजर आते हैं. वे कहते हैं कि स्थिति ठीक नहीं है. कमाई नहीं होने से खाने के भी लाले पड़ रहे हैं.
लॉकडाउन के कारण सड़क पर सन्नाटा डाभ दुकानों पर भीड़ नहीं
कच्चा नारियल यानी डाभ विक्रेताओं की हालत भी कुछ नहीं है. हर साल गर्मी के दिनों में अच्छी-खासी कमाई करने वाले इन लोगों के आज सौ रूपए भी कमाना टेढ़ी खीर साबित हो रही है. डाभ दुकानदार कहते हैं पहले रोजाना 600-700 रुपए कमा लेते थे, लेकिन आज के समय में 50 से 100 रुपए भी बमुश्किल कमा पा रहे हैं. समझ में नहीं आता, आगे घर कैसे चलेगा.
अमूल कूल जैसे पेय पदार्थ की बिक्री भी कम
वहीं, इस लॉकडाउन के कारण ठंडा, अमूल कूल और आइसक्रीम दुकानदारों की कमाई भी घट गई है. पटना में ठंडा और आइसक्रीम की करीब 500 दुकानें हैं. जबकि चलंत दुकानें लगभग 700 से 800 हैं. दुकानदार कहते हैं कि गर्मी में जिस आइसक्रीम को खाने के लिए दुकान पर लोगों की भीड़ लगी रहती थी. आज हालत बहुत बुरी है.
आइसक्रीम कारोबार ठप
वास्तव में लॉकडाउन की सबसे बड़ी मार आइसक्रीम दुकानों पर पड़ी है. क्योंकि इसे बेचने पर फिलहाल रोक लगी है. आइसक्रीम बनाने वाली तमाम फैक्ट्रियां भी बंद हैं. स्थानीय गोल्डन आइसक्रीम के मुकुल गुप्ता कहते हैं कि करीब डेढ़ महीने से फैक्ट्री में ताला लटका है. क्योंकि स्टाफ नहीं आ रहे हैं. वैसे भी अगर काम शुरू भी हो जाएगा तो भी कोई फायदा नहीं है. क्योंकि तमाम होल सेलर और रिटेलर विक्रेताओं की दुकानें बंद हैं.
ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट रोज कमाकर खाने वालों की बढ़ी मुश्किलें
जाहिर है जब लॉकडाउन है तो लोग घरों से कम निकलेंगे ही. और जब लोग नहीं आएंगे तो दुकानदारों की कमाई तो घटेगी ही. ऐसे में असल दिक्कत उन जूस और डाभ दुकानदारों के लिए है. जो रोज कमाते थे और खाते थे. वहीं, ठंडा, अमूल कूल और आइसक्रीम दुकानदारों के लिए परेशानी ये भी है कि लॉकडाउन बढ़ने से कई उत्पाद खराब न हो जाए.