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लॉकडाउन में निजी स्कूल बंद रहने से शिक्षकों को नहीं मिला वेतन, पैसे के अभाव में घर चलाना बेहद मुश्किल

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Published : Jun 2, 2020, 8:31 PM IST

प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के नेशनल प्रेसिडेंट डॉ डीके सिंह कहते हैं कि इस समस्या को लेकर उन्होंने मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री और मुख्य सचिव को पत्र लिखा है. सरकार को चाहिए कि राइट टू एजुकेशन के तहत निजी विद्यालयों का करोड़ों रुपया जो राज्य सरकार के पास बकाया है वह उसे तुरंत जारी करें ताकि निजी विद्यालय संचालक अपने शिक्षकों और कर्मियों का वेतन दे सकें.

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पटना: लॉकडाउन के दौरान प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षकों की स्थिति दयनीय हो गई है.राज्य को लगभग 54 हजार प्राइवेट स्कूलों में कार्यरत 25 लाख शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक कर्मियों को पिछले 2 महीने से वेतन नहीं मिला है. स्कूल प्रबंधन की इस मामले में अपनी दलील है. लेकिन इन सबके बीच इन स्कूलों के कर्मियों का हाल बेहाल है.

2 महीने से नहीं मिला वेतन
प्राइवेट स्कूल में पढ़ाने वाली शिक्षिका कहती हैं कि लॉक डाउन के समय से उनका वेतन नहीं मिला है. प्रिंसिपल ने ये जानकारी दी है कि अभी अभिभावक फीस जमा करने के प्रति दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं इस कारण शिक्षकों को भी समय पर वेतन देने में परेशानी हो रही है. उन्होंने बताया कि स्कूल खुलने के बाद प्रिंसिपल मैडम ने वेतन का आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि 2 महीने से पैसे नहीं मिले है और इस कारण परेशानी बढ़ गई है.

प्राइवेट स्कूल संचालक राजीव रंजन सिंह

शिक्षकों को हाफ पेमेंट ही कर पा रहे हैं विद्यालय संचालक
निजी विद्यालय श्री राम ग्लोबल स्कूल के संचालक राजीव रंजन सिंह ने बताया कि अभिभावकों पर पैसा जमा करने के लिए दबाव न बनाने का सरकार ने निर्देश दिया है. प्राइवेट स्कूल संचालक इसका पालन भी कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि स्कूल में कार्यालय और फीस काउंटर नहीं खुले है और डिजिटली फीस जमा करने में अभिभावकों की दिलचस्पी कम देखने को मिल रही है. उन्होंने बताया इस बाबत शिक्षकों से बात कर उन्हें आधी सैलरी का भुगतान कर रहें हैं. वे खुद बतौर विद्यालय संचालक अपनी जरूरतों में कटौती कर शिक्षकों को हाफ पेमेंट ही कर पा रहे हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

100 से कम कॉर्पोरेट स्कूल ही पूरा वेतन देने में समर्थ
बिहार पब्लिक स्कूल एंड चिल्ड्रन वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन और प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के नेशनल प्रेसिडेंट डॉ डीके सिंह ने कहा कि राज्य में 54000 के करीब प्राइवेट विद्यालय हैं. ये स्कलू सीबीएसई, आईसीएसई और सरकारी मान्यता प्राप्त है. उन्होंने बताया कि राज्य में कई प्रकार के स्कूल हैं. कुछ अफलिएटिड हैं तो कुछ नन अफलिएटिड स्कूल है. डॉ डीके सिंह ने बताया कि कॉर्पोरेट स्कूलों की संख्या 100 से कम ही है और ये विद्यालय ही मौजूदा समय में अपने शिक्षकों का पूरा वेतन दे पाने में थोड़े समर्थ हैं.

निजी स्कूल

70% से ज्यादा स्कूलों में शिक्षकों के 2 महीने की वेतन बकाया
डॉ डीके सिंह ने कहा कि अभी के समय में सबसे अधिक मुश्किल में वो निजी विद्यालय है जो रेंटेड बिल्डिंग में चलते हैं. इन विद्यालयों को चलाने वाले संचालक अपनी बेरोजगारी दूर करने के साथ-साथ समाज के 20-25 लोगों को रोजगार देते हैं. अभी के समय हालात ये हैं कि बिहार के 70% से ज्यादा स्कूलों में शिक्षकों के 2 महीने की वेतन पूरी तरह से बकाया है. राज्य में 25 लाख से ज्यादा लोग सीधे तौर पर निजी विद्यालयों से जुड़कर अपनी रोजी-रोटी चला रहे हैं. शैक्षणिक कार्य में जुटे कर्मी मजदूरों की श्रेणी में भी नहीं आते.

प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के नेशनल प्रेसिडेंट डॉ डीके सिंह

'राइट टू एजुकेशन के तहत निजी विद्यालयों का रुपया जारी करें सरकार'
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के नेशनल प्रेसिडेंट डॉ डीके सिंह कहते हैं कि निजी विद्यालयों की समस्या को लेकर उन्होंने मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री और मुख्य सचिव को पत्र लिखा है. अभी के समय में विद्यालय शिक्षकों और विद्यालय के कर्मियों का वेतन भुगतान करने में पूरी तरह समर्थ नहीं है इसलिए सरकार को चाहिए कि राइट टू एजुकेशन के तहत निजी विद्यालयों का करोड़ों रुपया जो राज्य सरकार के पास बकाया है वह उसे तुरंत जारी करें ताकि निजी विद्यालय संचालक अपने शिक्षकों और कर्मियों का वेतन दे सकें.

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