पटना: बिहार में शराबबंदी से संबंधित मुकदमों में बढ़ोत्तरी को लेकर हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया है. दरअसल, बिहार में मई 2017 में पूर्ण शराबबंदी कानून लागू किया गया था. 2 साल से अधिक का समय बीतने के बाद राज्य के विभिन्न न्यायालयों में इससे संबंधित मुकदमों की बाढ़ आ चुकी है. इसको लेकर न्यायालयों में अब तक 2 लाख 75 हजार मुकदमे लंबित पड़े हुए हैं. पटना उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता दीनू कुमार ने कहा है कि अब तक शराबबंदी से जुड़े जितने मामले सामने आए हैं, उसे निपटाने में लगभग 125 साल लग जाएंगे. इस विषय पर उन्होंने सरकार से राय मांगी है.
'बिना किसी तैयारी के लागू की गई शराबबंदी'
वरिष्ठ अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि जिस रफ्तार से लोअर कोर्ट या हाई कोर्ट में शराबबंदी के मुकदमें सामने आ रहे हैं, कुछ सालों में हर कोर्ट में सिर्फ शराबबंदी के ही मुकदमे देखने को मिलेंगे. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने शराबबंदी कानून लागू करने से पहले कोई तैयारी नहीं की. न तो जजों की संख्या बढ़ाई गई, न ही पुलिस पदाधिकारियों की संख्या बढ़ी. नतीजा यह है कि अब तक जितने शराबबंदी से जुड़े मामलों में फैसले सुनाए गए हैं, उनकी संख्या सैकड़ों में ही है. ऐसा लग रहा है मानों जिलाधिकारियों को अन्य सभी मामलों को छोड़कर इसी कार्रवाई में अपना पूरा समय देना होगा.
'पूरे हालात पर सरकार की नजर'
वहीं इस मामले पर बिहार सरकार के कानून मंत्री नरेंद्र नारायण यादव ने कहा कि पूरे हालात पर सरकार की नजर है. शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से मुकदमों की संख्या जरूर बढ़ी है. इसके लिए सरकार भी चिंतित है. अपर मुख्य सचिव के नेतृत्व में पिछले दिनों बैठक भी की गई है. सरकार जजों की संख्या बढ़ाने पर भी विचार कर रही है.