हैदराबाद: पार्टिकुलेट मैटर 2.5 या PM 2.5 या कणिका तत्व 2.5, इसका नाम आपने शायद पहले भी सुना होगा. लेकिन क्या आपको पता है कि पीएम 2.5 से आपका सामना रोज होता है और यह आपके लिए बेहद खतरनाक है. लेकिन कई लोगों के मन में यह सवाल होगा कि आखिर यह पीएम 2.5 क्या बला है.
क्या है पीएम 2.5?
पीएम 2.5 का मतलब 2.5 माइक्रोमीटर से कम व्यास वाले कण पदार्थ से है. पीएम 2.5 कण इंसान के बाल के व्यास (70 माइक्रोमीटर) से लगभग 28 गुना छोटे होते हैं. ये छोटे कण सांस के साथ फेफड़ों में गहराई तक जा सकते हैं. इतना ही नहीं यह रक्तप्रवाह में भी प्रवेश कर सकते हैं. यह दहन प्रक्रियाओं, औद्योगिक उत्सर्जन और प्राकृतिक स्रोतों सहित विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न हो सकता है. पीएम 2.5 के संपर्क में आने से मध्यम से उच्च अवधि के दौरान और कम से मध्यम अवधि के दौरान हानिकारक प्रभाव पड़ता है, जिससे प्रत्येक के साथ जुड़े स्वास्थ्य संबंधी अलग-अलग प्रभाव होते हैं.
कैसे होता है पीएम 2.5 का निर्माण
अपूर्ण दहन: जब ईंधन पूरी तरह से नहीं जलता है, तो यह कार्बन और अन्य पदार्थों के छोटे कण बनाता है, जो पीएम 2.5 बनाते हैं.
रासायनिक प्रतिक्रियाएं: निकास गैसें वायुमंडल के साथ प्रतिक्रिया कर सकती हैं, जिससे द्वितीयक पीएम 2.5 कण बनते हैं.
टूट-फूट: ब्रेक, टायर और सड़क की सतहों से घर्षण भी पीएम 2.5 उत्पन्न करता है.
डीजल वाहन पेट्रोल वाहनों से ज़्यादा खराब क्यों हैं?
ज़्यादा उत्सर्जन: डीजल इंजन पेट्रोल इंजन की तुलना में ज़्यादा पार्टिकुलेट मैटर और NOx पैदा करते हैं.
कालिख का निर्माण: डीजल का दहन पूर्ण रूप से नहीं हो पाता है, जिससे कालिख और PM उत्सर्जन ज़्यादा होता है.
ईंधन संरचना:डीजल ईंधन में हाइड्रोकार्बन और अन्य यौगिक (जैसे सल्फर) होते हैं, जो पीएम 2.5 निर्माण में ज्यादा योगदान करते हैं.
पेट्रोल वाहन डीजल से कम खतरनाक
स्वच्छ दहन: पेट्रोल इंजन आम तौर पर ईंधन को पूरी तरह से जलाते हैं, जिसके परिणामस्वरूप कम पीएम उत्सर्जन होता है.
उन्नत प्रौद्योगिकियां:आधुनिक पेट्रोल इंजनों में अक्सर उत्प्रेरक कन्वर्टर्स जैसी उन्नत उत्सर्जन नियंत्रण प्रौद्योगिकियां होती हैं, जो हानिकारक उत्सर्जन को कम करती हैं. हालांकि, पेट्रोल वाहनों में भी अन्य उत्सर्जन के कारण कमियां हैं.
कार्बन मोनोऑक्साइड (CO): इन कमियों में सबसे पहली कमी कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन है. पेट्रोल इंजन कार्बन मोनोऑक्साइड का उच्च स्तर उत्सर्जित करते हैं, जो एक जहरीली गैस है, जो स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है, खासकर हृदय रोग से पीड़ित लोगों के लिए.
वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (VOCs): दूसरी कमी पेट्रोल इंजन VOCs छोड़ते हैं, जो ग्राउंड-लेवल ओजोन और स्मॉग के निर्माण में योगदान करते हैं. VOCs और ओजोन श्वसन संबंधी समस्याओं और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का भी कारण बन सकते हैं.
कार्बन डाइऑक्साइड (CO2): हालांकि पेट्रोल और डीज़ल दोनों इंजन CO2 उत्सर्जित करते हैं, लेकिन पेट्रोल इंजन आम तौर पर उत्पादित ऊर्जा की प्रति इकाई उच्च स्तर उत्सर्जित करते हैं. CO2 एक प्रमुख ग्रीनहाउस गैस है, जो ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन का कारण बनती है.
इसलिए, वायु प्रदूषण के संदर्भ में डीजल और पेट्रोल दोनों वाहनों में महत्वपूर्ण कमियां हैं, और इलेक्ट्रिक या हाइब्रिड वाहनों जैसे स्वच्छ विकल्पों पर स्विच करने से इन प्रभावों को कम करने में मदद मिल सकती है.
वाहन प्रदूषण के अलावा पीएम 2.5 के अन्य स्रोत
औद्योगिक उत्सर्जन:कारखाने और बिजली संयंत्र दहन प्रक्रियाओं और रासायनिक प्रतिक्रियाओं के माध्यम से पीएम 2.5 छोड़ते हैं.
कृषि गतिविधियां: जुताई, कटाई और फसल अवशेषों को जलाने जैसी कृषि गतिविधियां पीएम 2.5 उत्पन्न कर सकती हैं.