हैदराबाद: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो ने 29 जनवरी को अपने सबसे प्रसिद्ध रॉकेट लॉन्च स्टेशन, सतीश धवन स्पेस सेंटर से 100वां रॉकेट लॉन्च किया था. इसरो ने आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित इस सतीश धवन स्पेस सेंटर से 29 जनवरी की सुबर 6:23 मिनट पर GSLV-F15 2 रॉकेट के जरिए NVS-02 सैटेलाइट लॉन्च किया था. करीब 6:42 मिनट पर GSLV-F15 ने NVS-02 को उसके ऑर्बिट तक पहुंचा दिया और उसे अलग भी कर दिया था. हालांकि, इस मिशन को लेकर रविवार को एक निराशाजनक ख़बर आई. इसरो ने 2 फरवरी को जानकारी देते हुए बताया कि, NVS-02 सैटेलाइट को मनचाहे ऑर्बिट में प्लेस करने की कोशिश की जा रही थी, लेकिन उस वक्त स्पेसक्राफ्ट में लगे 'थ्रस्टर्स' काम नहीं पाए.
इसरो ने दी NVS-02 मिशन की जानकारी
उसके बाद इसरो ने अपने आधिकारिक वेबसाइट के जरिए जानकारी दी कि, NVS-02 को मनचाहे ऑर्बिट में प्लेस करने की कोशिश सफल नहीं हो पाई क्योंकि स्पेसक्राफ्ट में लगे थ्रस्टर्स काम नहीं कर पाए. इसे टेक्निकल भाषा में समझाएं तो इसरो ने बताया कि, लॉन्च के बाद, सैटेलाइट के सोलर पैनल्स सफलतापूर्वक खोल दिए गए थे और बिजली उत्पादन सामान्य है. ग्राउंड स्टेशन के साथ सैटेलाइट का कम्यूनिकेशन भी स्टेबलिश हो गया था, लेकिन सैटेलाइट को उसकी सही लोकेशन पर ले जाने के लिए ऑर्बिट रेज़िंग ऑपरेशन्स किए जा रहे थे, लेकिन ऑक्सीडाइज़र (oxidizer) को थ्रस्टर में ले जाने के लिए एक वाल्व (valve) का खुलना जरूरी होता है, जो इस प्रक्रिया के दौरान खुल नहीं पाया. इस कारण हम सैटेलाइट को उसकी सही लोकेशन पर नहीं पहुंचा सके. इसरो ने आगे बताया कि, सैटेलाइट के सिस्टम ठीक हैं और वह अभी एक अण्डाकार (elliptical) ऑर्बिट में हैं. नेविगेशन के लिए सैटेलाइट का उपयोग एलिप्टिकल ऑर्बिट में करने के लिए नई योजनाएं बनाई जा रही हैं.