हैदराबाद: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (IRSO) ने 30 दिसंबर 2024 की रात 10:00:15 बजे श्रीहरीकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से स्पेडेक्स (Space Docking Experiment) यानी SpaDeX लॉन्च किया था. इस मिशन में PSLV-C60 के साथ दो सैटेलाइट्स SDX01 (Chaser) और SDX02 (Target) को अंतरिक्ष में भेजा गया है.
इसमें चेज़र जब अंतरिक्ष में ऑटोमैटिक रूप में टारगेट को ढूंढकर, उससे जुड़ जाता है, तो उसे डॉकिंग कहते हैं. इसरो के प्री-प्लानिंग के मुताबिक स्पेडेक्स मिशन में डॉकिंग के लिए 7 जनवरी की तारीख तय की गई थी, लेकिन अब इसरो ने इस मिशन पर लेटेस्ट अपडेट देते हुए जानकारी दी है कि स्पेडेक्स मिशन में डॉकिंग की टाइमिंग को 7 जनवरी से आगे बढ़ाकर 9 जनवरी कर दिया गया है.
इसरो ने दिया लेटेस्ट अपडेट
इसरो ने अपने एक्स (पुराना नाम ट्विटर) के जरिए जानकारी दी है कि, आज उन्हें इस मिशन में एक समस्या का पता चला है, जिसके कारण डॉकिंग प्रोसेस की कुछ और जांच की जरूरत है और इसलिए उन्होंने डॉकिंग के लिए नई तारीख शेड्यूल की है.
इस पोस्ट के थोड़ी देर बाद ही इसरो ने एक और वीडियो पोस्ट किया. 13 सेकेंड के इस वीडियो में देखा जा सकता है कि SPADEX ने अपने दूसरे सैटेलाइट यानी SDX02 (जिसे टारगेट के नाम से जाना जाता है) को लॉन्च किया. इस वीडियो में दिखाया गया है कि स्पेडेक्स ने कैसे SDX02 लॉन्च के दौरान एक खास पकड़ को हटाया और फिर डॉकिंग रिंग को आगे बढ़ाया.
स्पेडेक्स क्या है?
स्पेडेक्स (SpaDeX) का पूरा नाम स्पेस डॉकिंग एक्सपेरीमेंट (Space Docking Experiment) है. यह एक परीक्षण है जिसमें दो सैटेलाइट्स को पृथ्वी की निचली कक्षा में एक-दूसरे को पहचानने, जोड़ने, सामान ट्रांसफर करने और फिर अलग होने की प्रक्रिया की जांच की जाती है।
आसान भाषा में कहें तो स्पेडेक्स में दो सैटेलाइट्स होती हैं. एक सैटेलाइट को 'चेज़र' और दूसरी को 'टारगेट' कहा जाता है. चेज़र सैटेलाइट टारगेट सैटेलाइट को खोजती है, उससे जुड़ती है, फिर सामान ट्रांसफर करती है और अंत में अलग हो जाती है. यह प्रक्रिया इसलिए महत्वपूर्ण है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अंतरिक्ष में सैटेलाइट्स के बीच सफल डॉकिंग और सामान का सुरक्षित ट्रांसफर हो सके.