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Jio और एलन मस्क की StarLink के बीच विवाद बढ़ा, Reliance ने TRAI पर डाला दवाब - DISPUTE BETWEEN JIO AND STARLINK

भारत में सैटेलाइट स्पेक्ट्रम को लेकर स्टारलिंक और रिलायंस जिओ के बीच विवाद छिड़ा हुआ है. Jio ने भारत के दूरसंचार नियामक पर दबाव डाला.

Dispute between Jio and StarLink
Jio और StarLink के बीच विवाद (फोटो - Getty Images/IANS)

By ETV Bharat Tech Team

Published : Nov 9, 2024, 12:33 PM IST

हैदराबाद: भारत में सैटेलाइट स्पेक्ट्रम को लेकर एलन मस्क की स्टारलिंक और मुकेश अंबानी की रिलायंस जिओ के बीच विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. रिलायंस जिओ ने शुक्रवार को भारत के दूरसंचार नियामक पर दबाव डाला कि वह सैटेलाइट स्पेक्ट्रम की नीलामी न करके उसे केवल आवंटित करने की अपनी योजना पर पुनर्विचार करे.

भारत के दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पिछले महीने कहा था कि सरकार वैश्विक रुझानों के अनुरूप प्रशासनिक रूप से स्पेक्ट्रम आवंटित करेगी, लेकिन स्पेक्ट्रम कैसे दिया जाएगा, इस पर अंतिम अधिसूचना दूरसंचार नियामक TRAI द्वारा अपनी प्रतिक्रिया दिए जाने के बाद आएगी.

एलन मस्क की StarLink ने अफ्रीका में सफल प्रक्षेपण के बाद भारत में प्रक्षेपण में रुचि व्यक्त की है, जहां स्थानीय कंपनियां कम ब्रॉडबैंड कीमतों से परेशान थीं और उन्होंने स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए सरकार के दृष्टिकोण का समर्थन किया है.

Reliance के शीर्ष नीति कार्यकारी रवि गांधी ने शुक्रवार को दूरसंचार नियामक TRAI से इस निर्णय की समीक्षा करने का आग्रह किया. उन्होंने TRAI द्वारा आयोजित एक खुली चर्चा में कहा कि प्रशासनिक रूप से स्पेक्ट्रम आवंटित करने का कदम किसी भी प्रकार के सरकारी संसाधन आवंटित करने का सबसे भेदभावपूर्ण तरीका है.

दूसरी ओर, StarLink India के कार्यकारी परनील उर्ध्वारशे ने कहा कि भारत की आवंटन योजना भविष्य की ओर देखने वाली है. अरबपति मुकेश अंबानी भारत की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी Reliance Jio चलाते हैं. विश्लेषकों का कहना है कि स्पेक्ट्रम नीलामी, जिसके लिए बहुत अधिक निवेश की आवश्यकता होगी, संभवतः विदेशी प्रतिद्वंद्वियों को रोक देगी.

आने वाले सप्ताहों में तैयार की जाने वाली TRAI की सिफारिशें, उपग्रह स्पेक्ट्रम के वितरण के भविष्य की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण होंगी. Reliance, जिसने वर्षों से भारत के दूरसंचार क्षेत्र पर अपना दबदबा कायम रखा है, अब उसे चिंता है कि एयरवेव नीलामी में 19 बिलियन डॉलर खर्च करने के बाद वह मस्क के हाथों ब्रॉडबैंड ग्राहकों को ख सकती है.

इसके साथ ही Jio को यह डर भी है कि बाद में प्रौद्योगिकी के विकास के साथ डेटा और वॉयस क्लाइंट भी कंपनी से बाहर हो जाएंगे. बता दें कि भारत में उपग्रह सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम देने की पद्धति अरबपतियों के बीच विवाद का विषय रही है.

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