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iPhone में मिलेगा SpaceX वाला सैटेलाइट इंटरनेट? बिना नेटवर्क के मिलेगी फुल स्पीड - IPHONE STARLINK SATELLITE INTERNET

एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स और टी-मोबाइल की मदद से एप्पल में स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस मिलने वाली है, जिसकी टेस्टिंग शुरू हो चुकी है.

STARLINK SATELLITE INTERNET IN IPHONE
आईफोन में मिलेगा स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट (फोटो - APPLE I STARLINK I T-MOBILE)

By ETV Bharat Tech Team

Published : Jan 30, 2025, 5:32 PM IST

हैदराबाद: टिम कुक की कंपनी एप्पल (Apple) एलन मस्क की कंपनी SpaceX और जर्मनी की टेलीकॉम्यूनिकेशन कंपनी T-Mobile के साथ मिलकर अपने एक लेटेस्ट आइफोन सॉफ्टवेयर में स्टारलिंक नेटवर्क (Starlink Network) का सपोर्ट जोड़ने पर काम कर रही है. इससे कंपनी अपनी इन-हाउस सैटेलाइट कम्यूनिकेशन सर्विस के लिए एक अल्टरनेटिव ऑप्शन प्रदान कर सकेगी.

ब्लूमबर्ग के द्वारा पब्लिश किए गए एक आर्टिकल में मार्क गुरमन की एक लेटेस्ट रिपोर्ट के जरिए इस ख़बर की जानकारी मिली है. इस मामले की जानकारी रखने वाले लोगों के अनुसार, कंपनियां एलन मस्क की कंपनी स्पेक्सएक्स की स्टारलिंक सर्विस के साथ आईफोन्स की टेस्टिंग कर रही है. रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार को रिलीज़ किया गया स्मार्टफोन का लेटेस्ट सॉफ्टवेयर अपडेट, अब इस टेक्नोलॉजी का सपोर्ट करता है.

आइफोन सॉफ्टवेयर में स्टारलिंक नेटवर्क

जर्मनी की टेलीकॉम्यूनिकेशन कंपनी टी-मोबाइल ने पहले सिर्फ सैमसंग फोन, जैसे- Galaxy Z Fold और Galaxy S24 जैसे मॉडल के लिए स्टारलिंक को एक ऑप्शन के रूप में स्पेसिफाइड किया था. उधर, एप्पल पहले से ही ग्लोबलस्टार (Globalstar) सर्विस प्रोवाइड करता है, जो यूज़र्स को सेलुलर रेंज के बाहर भी टेक्स्ट मैसेज भेजने और इमरजेंसी में रिस्पॉन्स करने वाली सर्विस (पुलिस, एंबुलेंस, फायर बिग्रेड आदि) से संपर्क करने की अनुमति देता है.

टी-मोबाइल ने ग्राहकों को स्टारलिंक सर्वस के शुरुआती वर्ज़न के लिए साइन-अप करने की अनुमति देना शुरू कर दिया है और इस हफ्ते कुछ आइफोन्स में भी स्टारलिंक सर्विस को बीटा टेस्टिंग के रूप में इनेबल किया गया है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पुराना नाम ट्विटर) पर इस मामले पर पूछे गए सवाल पर एलन मस्क ने रिप्लाई किया कि, वर्तमान की स्टारलिंक टेक्नोलॉजी से इमेज, म्यूज़िक और पॉडकास्ट सपोर्ट किया जाना चाहिए और भविष्य में होने वाले अपग्रेड्स के साथ वीडियो सपोर्ट भी जोड़ा जाएगा.

इस टेस्टिंग के दौरान पहले यूज़र को टी-मोबाइल से टेक्स्ट मैसेज मिला कि, "आप T-Mobile Starlink बीटा में हैं. अब आप सैटेलाइट के माध्यम से किसी भी स्थान से टेक्स्टिंग करने के लिए जुड़े रहे सकते हैं. इसके अलावा इस बीटा वर्ज़न का यूज़ करने वाले यूज़र को मिले पहले मैसेज में लिखा था कि, इसका ज्यादा एक्सपीरियंस लेने के लिए, कृप्या आप iOS 18.3 में अपडेट करें. इस प्रोग्राम में यूज़र्स के पास उनके आईफोन सेलुलर डेटा सेटिंग्स में सैटेलाइट सर्विस को मैनेज करने के लिए एक नया टॉगल स्विच उपलब्ध होगा.

पब्लिकेशन के द्वारा पब्लिश की गई रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में एप्पल के प्रवक्ता ने कोई भी कमेंट करने से इंकार कर दिया है, लेकिन टी-मोबाइल ने कहा कि, "टेस्टिंग कुछ सिलेक्टेड ऑप्टिमाइज़ स्मार्टफोन्स के साथ शुरू होगी और इसका फुल लॉन्च ज्यादातर मॉडर्न स्मार्टफोन्स पर सपोर्ट करेगा." हालांकि, टी-मोबाइल ने एंड्रॉयड 15 (Android 15) ओएस इस्तेमाल करने वाले कुछ यूज़र्स के लिए भी बीटा वर्ज़न को उपलब्ध कराया है. एंड्रॉयड 15, गूगल का लेटेस्ट ऑपरेटिंग सिस्टम है. इनके अलावा स्पेसएक्स के प्रतिनिधि ने भी इस मामले पर, फिलहाल कोई कमेंट करने से मना किया है.

स्टारलिंक सर्विस कैसे काम करेगी?

जब कोई T-Mobile iPhone किसी ऐसे क्षेत्र में होगा, जहां सेलुलर कनेक्टिविटी उपलब्ध नहीं है, तो स्टारलिंक प्रोग्राम का हिस्सा बने डिवाइस पहले स्पेसएक्स सैटेलाइट के साथ जुड़ने की कोशिश करेंगे. यूज़र्स ग्लोबस्टार सर्विस के लिए सैटेलाइट मेनू के माध्यम से टेक्स्टिंग को एक्टिव करने या एप्पल के माध्यम से इमरजेंसी सर्विस से कॉन्टैक्ट करने में सक्षम होंगे.

स्टारलिंक का शुरुआती वर्ज़न सिर्फ टेस्टिंग के लिए है, लेकिन स्पेसएक्स और टी-मोबाइल ने कहा है कि वो भविष्य में डेटा कनेक्शन और वॉयस कॉल में विस्तार करने की योजना बना रहे हैं. स्टारलिंक सर्विस प्रोग्राम, फिलहाल सिर्फ अमेरिका में ही उपलब्ध है, जबकि एप्पल की ग्लोबलस्टार सर्विस कई देशों में काम करती है. एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स भी स्टारलिंक सर्विस को दुनिया के अन्य देशों तक पहुंचाने के लिए काम कर रही है.

Globalstar और Starlink सर्विस में सबसे बड़ा अंतर

एप्पल की Globalstar और स्पेसएक्स की Starlink सर्विस में एक और बड़ा अंतर है. फिलहाल, एप्पल यूज़र्स को ग्लोबलस्टार फीचर के जरिए सैटेलाइट ढूंढने के लिए अपने आईफोन को आसमान की ओर पॉइंट करना पड़ता है, जबकि स्टारलिंक सर्विस ऑटोमैटिकली काम करती है. जब फोन यूज़र्स के जेब में रहता है, स्टारलिंक सर्विस तब भी ऑटोमैटिक ही काम करती है. अब देखना होगा कि अमेरिका के अलावा भारत और बाकी देशों में स्टारलिंक सर्विस कब तक शुरू हो पाती है.

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