सरगुजा: साल 2024 में सरगुजा संभाग में महिलाओं और नाबालिग बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामले बढ़े हैं. साल 2023 में महिलाओं के साथ दुष्कर्म के 77 मामले दर्ज किए गए थे जबकि साल 2024 में अब तक ये आंकड़ा बढ़कर 91 हुआ है.
सरगुजा में साल 2023 में दुष्कर्म की घटनाएं:एएसपी अमोलक सिंह ढिल्लो ने बताया कि साल 2023 में महिलाओं के साथ दुष्कर्म के 70 मामले दर्ज किए गए. जिसमें 70 आरोपियों की गिरफ्तार की जा चुकी है. पॉक्सो के मामले में साल 2023 में 77 प्रकरण दर्ज किए गए, जिसमें सभी 77 आरोपियों की गिरफ्तारी की गई है. यानी साल 2023 में महिला अपराध से जुड़े 147 केस दर्ज किए गए.
सरगुजा महिला अपराध (ETV Bharat Chhattisgarh)
सरगुजा में साल 2024 में अब तक दुष्कर्म की घटनाएं:एएसपी ने साल 2024 में दिसंबर 16 तक के महिला अपराधों से जुड़े मामलों के बारे में बताते हुए कहा कि इस साल अब तक 91 मामले दर्ज किए गए. जिसमें से 85 आरोपियों की गिरफ्तारी की गई. पॉक्सो एक्ट के मामले में जनवरी 2024 से अब तक 69 प्रकरण दर्ज किए गए, जिसमें 66 आरोपियों की गिरफ्तारी की गई. यानी साल 2024 में अब तक 161 केस दर्ज किए गए.
सोशल मीडिया से दोस्ती के बाद फंस रही महिलाएं और नाबालिग: एएसपी ने कहा कि सरगुजा पुलिस महिला संबंधी अपराधों में लगातार कार्रवाई कर गिरफ्तारी कर रही है. किसी भी अपराध के सामाजिक और मनोवैज्ञानिक कारण भी होते हैं, लेकिन कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं, जिनमें सोशल मीडिया से दोस्ती के बाद महिलाओं या नाबालिग के साथ दुष्कर्म की घटनाएं हो रही है.
सरगुजा में साल 2024 में बढ़ा महिला अपराध (ETV Bharat Chhattisgarh)
सरगुजा पुलिस शैक्षणिक संस्थानों में जाकर सायबर फ्रॉड और महिला संबंधी अपराध की जानकारी देती है. सामुदायिक पुलिसिंग के तहत जागरूकता के कई कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं. इसमें कई एनजीओ भी नशे और महिला संबंधी अपराध के विरोध में जागरूकता कार्यक्रम चला रहे हैं- अमोलक सिंह ढिल्लो, एएसपी
9 से 10 साल की उम्र की बच्चियों के साथ दुष्कर्म: बालिकाओं के उत्थान और महिला उत्पीड़न के खिलाफ काम करने वाली मीरा शुक्ला बताती हैं कि सरगुजा में महिला अपराध के आंकड़े तेजी से बढ़ रहे हैं. पहले लोगों को 17-18 साल में यौन संबंध और यौन शिक्षा के बारे में जानकारी होती थी. लेकिन आज के दौर में 9 साल की उम्र में ये देखा जा रहा है. वे बताती हैं कि उनके पास ऐसी कई बच्चियां आती हैं, जो 9 से 10 साल की हैं और उनके साथ दुष्कर्म की घटनाएं हुई हैं.
हमारे पास अभी एक बच्ची है, जो आंखों से नहीं देख सकती. उसके साथ इतना गलत हुआ कि उसका मल मार्ग ही नहीं बचा. डॉक्टरों ने पेट के पास बाईपास करके उसका मल मार्ग बनाया है. ये तीन महीने पहले की घटना है- मीरा शुक्ला, बालिका सुधार गृह
बच्चों के साथ पैरेंट्स को जागरूक करना जरूरी:मीरा शुक्ला का मानना है कि इसके लिए कहीं न कहीं बच्चों के पैरेंट्स जिम्मेदार हैं. उनका कहना है कि आज के जमाने के पैरेंट्स अपने बच्चों पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं. बच्चियों के साथ साथ लड़के भी यौन उत्पीड़न का भी शिकार हो रहे हैं. पैरेंट्स अपने बाहर और घर के काम से फुर्सत के बाद सोशल मीडिया पर ज्यादा बिजी रहते हैं. खाली समय में मोबाइल में लगे रहते हैं.
पैरेंट्स को कम से कम दो घंटे बच्चों से बात करनी चाहिए, उनके साथ बैठना चाहिए. उनकी पढ़ाई भले ही आपको समझ ना आये, फिर भी आप उनसे बात करिए, क्योंकि जब आप उनसे बात करेंगे तब वो अपनी समस्या आपसे साझा करेंगे. बच्चों की बातों से पैरेंट्स को काफी कुछ पता चलेगा - मीरा शुक्ला, बालिका सुधार गृह
मीरा शुक्ला आगे बताती हैं कि महिला बाल विकास विभाग की तरफ से एमएसएसवीपी संस्था के बालिका गृह में ऐसी 32 नाबालिग और 27 महिलाएं मौजूद हैं, जो महिला उत्पीड़न की शिकार हुई हैं. 27 वह महिलाएं है, जो बिना ब्याही मां बनी हैं. एक बच्ची कुंआरी है और वो खुद दो बच्चों की मां बन गई है. उनके माता पिता ने उसे घर से निकाल दिया. 14 साल से कम उम्र की बच्चियां हैं, जो मां बन चुकी है. कई ऐसी बच्चियां है, जो पैसे और दूसरी चीजों के लालच में आकर अपना सबकुछ गंवा बैठती हैं.