सागर: लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए रामनिवास रावत को भरोसा ही नहीं हो रहा है कि मंत्री और सत्ताधारी दल के उम्मीदवार होने के बावजूद वह उपचुनाव में हार गए हैं. लेकिन हाल ही में हुए उपचुनाव में उनको अपने ही गढ़ में करारी हार का सामना करना पड़ा. जहां से वह कांग्रेस के टिकट पर छह बार विधायक रहे. हालांकि अपनी हार का ठीकरा वह भाजपा नेताओं पर ही फोड़ रहे हैं और अपने भविष्य को लेकर मंथन कर रहे हैं. लेकिन दूसरी तरफ उनकी हार के बाद खाली हुई मंत्री पद को कौन भाजपा विधायक भरेगा, इसकी चर्चा सियासी गलियारों में जोर पकड़ चुकी है.
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चर्चा है कि मंत्रिमंडल में जगह ना मिलने से नाराज भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह दी जाएगी. इन नाराज नेताओं की फेहरिस्त बड़ी लंबी है, लेकिन सबसे ज्यादा नाराजगी बुंदेलखंड में देखने मिल रही है. जहां लगातार 9वीं बार रेहली विधानसभा से चुनाव जीते गोपाल भार्गव नाराज हैं. चर्चा है कि जल्द ही गोपाल भार्गव को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है क्योंकि उपचुनाव के परिणामों ने भाजपा के माथे पर भी चिंता की लकीरें बढ़ा दी है.
लोकसभा चुनाव के वक्त भाजपा में शामिल हुए थे रावत
रामनिवास रावत की बात करें, तो कांग्रेस के टिकट पर 6 बार विधायक, दिग्विजय सरकार में मंत्री और मप्र कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रहने के बाद भी वह लोकसभा चुनाव के वक्त कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे. उनका तर्क था कि क्षेत्र के विकास के लिए उन्होंने भाजपा ज्वाइन की है. भाजपा में शामिल होते ही उन्हें तत्काल मंत्री पद से भी नवाजा गया था. वनमंत्री रहते हुए उन्होंने चुनाव लड़ा. उन्हें भरोसा था कि भाजपा सरकार में मंत्री रहते हुए वे आसानी से चुनाव जीत जाएंगे. लेकिन उनको हार का सामना करना पड़ा. अब अपनी हार का ठीकरा वह भाजपा नेताओं पर ही फोड़ रहे हैं.
भारतीय जनता पार्टी जुटेगी अंसतोष पाटने में
इन परिणामों ने न सिर्फ रामनिवास रावत बल्कि भाजपा को सोचने पर मजबूर कर दिया है. क्योंकि हाल ही में एमपी में दो सीटों पर उपचुनाव हुए थे. जिसमें रामनिवास रावत तो विजयपुर से हार गए और भाजपा का गढ़ माने जाने वाली बुधनी सीट से भाजपा के प्रत्याशी महज 13 हजार वोटों से जीत पाए. जबकि एक साल पहले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह यहां से एक लाख से ज्यादा मतों से जीते थे. बुधनी भाजपा का गढ़ और सुरक्षित सीट मानी जाती है. ऐसे में भाजपा अब पार्टी में उभरे असंतोष को पाटने पर मंथन करने लगी है. चर्चा है कि जो दिग्गज भाजपा नेता मंत्रिमंडल में जगह ना मिलने से नाराज हैं, उनको स्थान दिया जाए. इसके अलावा संगठन में भी लोगों को एडजस्ट किया जाए.