गाजियाबाद में बसपा ने बदला अपना उम्मीदवार नई दिल्ली/गाजियाबाद:बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती रविवार को गाजियाबाद दौरे पर रही. बसपा सुप्रीमो ने गाजियाबाद के कवि नगर रामलीला मैदान में चुनावी रैली को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कांग्रेस और भाजपा पर जमकर निशाना साधा. साथ ही उन्होंने बसपा को सर्व समाज की पार्टी बताया.
मंच पर संबोधन के दौरान मायावती ने कहा बीएसपी का कांग्रेस, बीजेपी और अन्य किसी विरोधी पार्टी से गठबंधन नहीं है. हमारी पार्टी अपने बलबूते चुनाव लड़ रही है. उन्होंने कहा कि टिकट बंटवारे में बीएसपी ने सर्व समाज के लोगों को उचित भागीदारी दी है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में क्षत्रिय समाज के लोग काफी अधिक तादात में रहते हैं. भारतीय जनता पार्टी समेत अन्य राजनीतिक पार्टियां जो खुद को क्षत्रिय समाज का हिमायती समझती हैं. लेकिन इस बार पश्चिमी यूपी में भाजपा और अन्य पार्टियों ने उनकी उपेक्षा की है. वहीं, टिकट बंटवारे में बीएसपी ने पश्चिमी यूपी में अन्य समाज के साथ-साथ क्षत्रिय समाज को भी पूरा सामान दिया है.
बीएसपी राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने कहा कि गाजियाबाद में भारतीय जनता पार्टी ने क्षत्रिय समाज को टिकट ना देकर अपेक्षा की है. जिसको लेकर क्षत्रिय समाज में काफी नाराजगी थी. इस लोकसभा सीट से बहुजन समाज पार्टी ने क्षत्रिय समाज से आने वाले नंदकिशोर पुंडीर को प्रत्याशी बनाया है. हालांकि इससे पहले, बहुजन समाज पार्टी ने अंशय कालरा को इस सीट से प्रत्याशी बनाया था. लेकिन घोषणा के 72 घंटे बाद ही प्रत्याशी बदल दिया.
टिकट में बदलाव करने को लेकर मायावती ने मंच से कहा गाजियाबाद में पंजाबी और सिख समाज भी रहता है इसका मतलब यह नहीं कि हमने उनकी उपेक्षा की है. नंदकिशोर पुंडीर के टिकट से पहले हमने इस लोकसभा सीट से पंजाबी समाज से आने वाले अंशय कालरा का टिकट फाइनल किया था. जब आबादी के हिसाब से हमने छानबीन की तो हमें मालूम हुआ की आबादी के हिसाब से लखीमपुर खीरी में पंजाबी और सिख समाज का वोट काफी ज्यादा है. अंशय कालरा को हमने लखीमपुर खीरी से टिकट दिया है.
भाजपा पर निशाना साधते हुए मायावती ने कहा कि इस बार भारतीय जनता पार्टी केंद्र की सत्ता में आसानी से वापस आने वाली नहीं है. बशर्ते लोकसभा चुनाव इस बार फ्री और फेयर होता है. भाजपा की जुमलेबाजी और गारंटी इस बार काम में आने वाली नहीं है. कांग्रेस की तरह भाजपा ने भी केंद्र की अधिकांश जांच एजेंसी का राजनीतिकरण कर दिया है. बीजेपी की सरकार में अपनी समस्याओं को लेकर किसान भी काफी परेशान रहे हैं.