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भाजपा MLA की हत्या की 5 करोड़ की सुपारी; हिस्ट्रीशीटर से जान का खतरा, कभी था दाहिना हाथ, योगी-शाह तक पहुंची लड़ाई - BJP MLA Fateh Bahadur - BJP MLA FATEH BAHADUR

एक समय में वह उनके साए की तरह साथ में होता था. जहां फतेह बहादुर सिंह वहां राजीव रंजन चौधरी. ठंड हो, गर्मी हो, बरसात हो, शादी हो ब्याह हो, राजीव रंजन फतेह बहादुर सिंह के साथ हर वक्त नजर आता था. लेकिन, आज वह उनके जान का दुश्मन बन बैठा है, ऐसा फतेह बहादुर सिंह ने आरोप लगाया तो आवाज मुख्यमंत्री से लेकर केंद्रीय गृहमंत्री तक पहुंची.

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हमेश भाजपा विधायक फतेह बहादुर साथ रहता था राजीव रंजन (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 20, 2024, 9:35 AM IST

Updated : Jul 20, 2024, 12:34 PM IST

गोरखपुर: पूर्व कैबिनेट मंत्री और गोरखपुर की कंपियरगंज सीट से भाजपा विधायक फतेह बहादुर सिंह के अपनी ही हत्या की साजिश रचे जाने का मामला उठाने के बाद गोरखपुर से लेकर लखनऊ तक सियासी और प्रशासनिक गलियारे में चर्चा तेज हो गई है. विधायक ने जिस राजीव रंजन चौधरी को अपनी हत्या की साजिश रचने का आरोपी बताया है वह एक हिस्ट्रीशीटर है. लेकिन, वह फतेह बहादुर का भी बेहद करीबी रहा है.

एक समय में वह उनके साए की तरह साथ में होता था. जहां फतेह बहादुर सिंह वहां राजीव रंजन चौधरी. ठंड हो, गर्मी हो, बरसात हो, शादी हो ब्याह हो, राजीव रंजन फतेह बहादुर सिंह के साथ हर वक्त नजर आता था. लेकिन, आज वह उनके जान का दुश्मन बन बैठा है, ऐसा फतेह बहादुर सिंह ने आरोप लगाया तो आवाज मुख्यमंत्री से लेकर केंद्रीय गृहमंत्री तक पहुंची.

इस मामले में जांच को लेकर गोरखपुर के जिलाधिकारी और एसएसपी को भी अपना बयान जारी करना पड़ा. लेकिन, एक सवाल तो उठता ही है कि आखिर कौन सी ऐसी वजह बनी जो, एक समय में फतेह बहादुर का खास रहा आज उनकी जान का दुश्मन बन बैठा है.

विधायक ने आरोप लगाया था कि हिस्ट्रीशीटर राजीव रंजन ने मेरी हत्या की सुपारी 5 करोड़ में उठाई थी. जिस व्यक्ति को सुपारी दी गई थी वही मेरे पास आया था और बताया था कि एडवांस में एक करोड़ रुपए मिले हैं. काम होने के बाद 4 करोड़ रुपए और मिलेंगे. (पढ़ें-पूर्व मुख्यमंत्री के विधायक पुत्र को सता रहा कत्ल का डर, सीएम योगी और अमित शाह से लगाई गुहार)

बताया तो यह जा रहा है कि इसकी पृष्ठभूमि में बीते साल हुए नगर पंचायत का चुनाव है, जिसमें राजीव रंजन ने फतेह बहादुर की एक न मानते हुए पीपीगंज नगर पंचायत से अपनी पत्नी को प्रत्याशी बना दिया था. हालांकि वह चुनाव में हार गई थीं लेकिन, इसके बाद से ही राजीव रंजन और फतेह बहादुर के बीच ठन गई थी. अब हालात यह हैं कि दोनों ने एक दूसरे की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाकर, राजनीतिक और प्रशासनिक अमले में गरमाहट पैदा कर दी है.

राजीव रंजन चौधरी के परिवार की पीपीगंज नगर पंचायत में अच्छी खासी पकड़ है. जब यह ग्रामीण क्षेत्र था तब कई वर्षों तक प्रधानी उसके परिवार में रही. नगर पंचायत बनने के बाद वह इस पर भी अपना दबदबा कायम रखना चाह रहा था. इसीलिए भाजपा प्रत्याशी के विरोध में राजीव ने अपनी पत्नी को निर्दल चुनाव मैदान में उतार दिया.

फतेह बहादुर सिंह भाजपा प्रत्याशी को समर्थन देने की बात करते रहे, लेकिन राजीव रंजन ने बात नहीं मानी. जब राजीव की पत्नी चुनाव हार गई तो उसे लगा कि फतेह बहादुर ने भितरघात कर उसकी पत्नी को हरवा दिया. यहीं से दोनों के बीच दूरी बढ़ती चली गई. राजीव रंजन की माता जबकि भारतीय जनता पार्टी से ही जिला पंचायत सदस्य हैं और वह भी भाजपा का कार्य करता है. लेकिन, अपनी पत्नी को नगर पंचायत अध्यक्ष बनाने के लिए वह बागी होकर मैदान में कूद पड़ा था.

इस बीच लोकसभा चुनाव 2024 में फतेह बहादुर और राजीव रंजन चौधरी के बीच कुछ करीबियां बढीं लेकिन, बात मजबूती से बन नहीं पाई. अब जब भाजपा विधायक फतेह बहादुर सिंह ने अपनी हत्या की साजिश रचने का आरोप राजीव रंजन चौधरी पर लगाया है तो, उसने कहा है कि लोकसभा चुनाव में फतेह बहादुर ने समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी काजल निषाद को समर्थन और वोट दिलाने को कहा था.

ऐसा नहीं करने पर उन्होंने मेरे ऊपर यह आरोप लगाया है और झूठे मामले में फंसाने की कोशिश कर रहे हैं. जबकि विधायक से उसे खुद और उसके परिवार को जान माल का खतरा है. राजीव रंजन पर कई आपराधिक मामले भी पीपीगंज थाने में दर्ज हैं. उसके ऊपर गुंडा एक्ट भी लग चुका है. पुलिस ने इस मामले में राजीव रंजन चौधरी से जो जानकारी हासिल की है, उसके मुताबिक राजीव के पिता मुख्यमंत्री के दरबार में मिलकर उन्हें सारी बात बता चुके हैं.

यही वजह है कि विधायक फतेह बहादुर ने पीपीगंज के थानेदार पर राजीव रंजन से मिले होने का आरोप लगाया था. इसके बाद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने तत्काल थानाध्यक्ष को हटा दिया. राजीव रंजन ने कहा कि उसके ऊपर जो भी मुकदमे हैं, उसमें भी फतेह बहादुर सिंह का हाथ है.

अब अपनी जान माल का आरोप लगाकर मेरे ऊपर एक मुकदमा और कराना चाहते हैं. जबकि मैं उनके विधानसभा चुनाव से लेकर हर कार्यक्रम में और हर जगह, पूरा साथ देता था. केवल पत्नी को नगर पंचायत का चुनाव लड़ा दिया तो विधायक जी वहीं से खार खाए हुए हैं और अब जान के दुश्मन बन बैठे हैं.

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Last Updated : Jul 20, 2024, 12:34 PM IST

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