गोरखपुर: पूर्व कैबिनेट मंत्री और गोरखपुर की कंपियरगंज सीट से भाजपा विधायक फतेह बहादुर सिंह के अपनी ही हत्या की साजिश रचे जाने का मामला उठाने के बाद गोरखपुर से लेकर लखनऊ तक सियासी और प्रशासनिक गलियारे में चर्चा तेज हो गई है. विधायक ने जिस राजीव रंजन चौधरी को अपनी हत्या की साजिश रचने का आरोपी बताया है वह एक हिस्ट्रीशीटर है. लेकिन, वह फतेह बहादुर का भी बेहद करीबी रहा है.
एक समय में वह उनके साए की तरह साथ में होता था. जहां फतेह बहादुर सिंह वहां राजीव रंजन चौधरी. ठंड हो, गर्मी हो, बरसात हो, शादी हो ब्याह हो, राजीव रंजन फतेह बहादुर सिंह के साथ हर वक्त नजर आता था. लेकिन, आज वह उनके जान का दुश्मन बन बैठा है, ऐसा फतेह बहादुर सिंह ने आरोप लगाया तो आवाज मुख्यमंत्री से लेकर केंद्रीय गृहमंत्री तक पहुंची.
इस मामले में जांच को लेकर गोरखपुर के जिलाधिकारी और एसएसपी को भी अपना बयान जारी करना पड़ा. लेकिन, एक सवाल तो उठता ही है कि आखिर कौन सी ऐसी वजह बनी जो, एक समय में फतेह बहादुर का खास रहा आज उनकी जान का दुश्मन बन बैठा है.
विधायक ने आरोप लगाया था कि हिस्ट्रीशीटर राजीव रंजन ने मेरी हत्या की सुपारी 5 करोड़ में उठाई थी. जिस व्यक्ति को सुपारी दी गई थी वही मेरे पास आया था और बताया था कि एडवांस में एक करोड़ रुपए मिले हैं. काम होने के बाद 4 करोड़ रुपए और मिलेंगे. (पढ़ें-पूर्व मुख्यमंत्री के विधायक पुत्र को सता रहा कत्ल का डर, सीएम योगी और अमित शाह से लगाई गुहार)
बताया तो यह जा रहा है कि इसकी पृष्ठभूमि में बीते साल हुए नगर पंचायत का चुनाव है, जिसमें राजीव रंजन ने फतेह बहादुर की एक न मानते हुए पीपीगंज नगर पंचायत से अपनी पत्नी को प्रत्याशी बना दिया था. हालांकि वह चुनाव में हार गई थीं लेकिन, इसके बाद से ही राजीव रंजन और फतेह बहादुर के बीच ठन गई थी. अब हालात यह हैं कि दोनों ने एक दूसरे की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाकर, राजनीतिक और प्रशासनिक अमले में गरमाहट पैदा कर दी है.
राजीव रंजन चौधरी के परिवार की पीपीगंज नगर पंचायत में अच्छी खासी पकड़ है. जब यह ग्रामीण क्षेत्र था तब कई वर्षों तक प्रधानी उसके परिवार में रही. नगर पंचायत बनने के बाद वह इस पर भी अपना दबदबा कायम रखना चाह रहा था. इसीलिए भाजपा प्रत्याशी के विरोध में राजीव ने अपनी पत्नी को निर्दल चुनाव मैदान में उतार दिया.