अयोध्या: मिल्कीपुर विधानसभा उपचुनाव में चंद्रभानु पासवान विधायक चुने गए हैं. समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी अजीत कुमार को 60 हजार से अधिक वोटों से हराकर लोकसभा चुनाव में हार का बदला ले लिया है. यह सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाती है. यहां से अधिकतर समाजवादी पार्टी के विधायक चुने जाते रहे हैं. 2017 में इस सीट पर मोदी की लहर ने भाजपा के खाते में गई थी लेकिन 2022 की चुनाव में समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर अपना अधिकार ले लिया था. ऐसे में आइए जानते हैं कि भाजपा का परचम लहराने वाले चंद्रभानु का राजनितिक सफर कैसा रहा है.
पहले पत्नी, फिर पिता और अब खुद राजनीति में रखा कदमःबता दें कि चंद्रभानु पासवान का रुदौली के परसौली गांव के रहने वाले हैं, जो पासी समाज से ताल्लुक रखते हैं. चंद्रभानु पिता राम लखन करीब 15 साल से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए हैं. अपने पिता के साथ संघ के विभिन्न कार्यक्रमों में भी शामिल होते रहे हैं. इस बीच चंद्रभानु के कार्यों के कारण समाज में लोकप्रियता बड़ी तो 2015 में अपने पत्नी कंचन को राजनीति में उतार दिया. पत्नी ने रुदौली पंचम सीट पर 8396 वोट हासिल कर जिला पंचायत सदस्य चुनी गईं. इन दोनों बढ़ती लोकप्रियता के कारण 2021 में पिता राम लखन दास प्रधानी का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. लेकिन जब अयोध्या नगर निगम बनने के बाद सीमा विस्तार किया गया तो परसौली नगर निगम में शामिल हो गया और उनके पिता को भाजपा से पार्षद के लिए प्रत्याशी बने लेकिन हार गए.
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वकील से बने विधायकःचंद्रभानु पासवान बी कॉम, एम कॉम और एलएलबी किया है. पेशे से अधिवक्ता के साथ कपड़ों के कारोबार में बड़ी रुचि रखते हैं. रुदौली मेनका एक कपड़े का बड़ा शोरूम है. जहां पर अहमदाबाद और सूरत कपड़े को मंगाने का कार्य करते हैं. अपनी लोकप्रियता के कारण एक बार जिला पंचायत सदस्य भी रह चुके हैं. पहली बार उन्हें इतने बड़े स्तर पर चुनाव में शामिल होने का मौका मिला है.
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