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हरियाणा में गेहूं, सरसों की सरकारी खरीद, जानिए क्या हैं अनाज मंडी के हालात, किसानों ने सरकार से की ये मांग - mustard Government procurement - MUSTARD GOVERNMENT PROCUREMENT

Wheat Mustard Government Procurement in Haryana: हरियाणा में गेहूं और सरसों की सरकारी खरीद जारी है. हालांकि, कई जगहों पर अनाज मंडी में किसान और आढ़ती परेशान भी हैं. कहीं, किसान अनाज मंडी में सरसों लेकर लाइन में लगे हैं तो कहीं अनाज मंडी में परेशानी पेश आने पर किसानों में अधिकारियों के खिलाफ खासा नाराजगी है.

mustard Government procurement in Haryana
हरियाणा में गेहूं, सरसों की सरकारी खरीद

By ETV Bharat Haryana Team

Published : Apr 4, 2024, 2:29 PM IST

Updated : Apr 5, 2024, 9:51 AM IST

चंडीगढ़: हरियाणा सरकार ने प्रदेश में सरसों और गेहूं की सरकारी खरीद शुरू कर दी है. हालांकि, कहीं पोर्टल में गड़बड़ी, कहीं अनाज मंडी में अव्यवस्था तो कहीं फसल बेचने के लिए लंबे समय तक लाइन में लगने के कारण हरियाणा के किसान परेशानी हैं. इन सबके बीच कहीं-कहीं अनाज मंडियों में आढ़तियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. आइए जानते हैं प्रदेश में किस अनाज मंडी की क्या स्थिति है.

चरखी दादरी में सरसों लेकर लाइनों में लगे किसानों की पुकार: सरसों की एमएसपी पर 26 मार्च से सरकारी खरीद करने की घोषणा के बाद चरखी दादरी में आढ़तियों एवं प्रशासन के बीच सहमति बनने के बाद आखिरकार शुरू हो गई है. खरीद के पहले की दिन चरखी दादरी की अनाज मंडी के बाहर हजारों किसान फसल लेकर पहुंचे. करीब 2 किलोमीटर लंबी लाइनों में लगे किसानों के वाहनों के चलते जाम की स्थित बनी रही. खरीद को लेकर हो रही मारामारी के चलते प्रशासन एवं पुलिस को भी खासी मशक्कत करनी पड़ी. वहीं किसानों ने बैकडोर व पैसे लेकर टोकन देने के आरोप भी लगाए.साथ ही प्रशासन व सरकार से खरीद व्यवस्था में सुधार करने करने की मांग उठाई.

अनाज मंडी में सरसों.

'खरीद व्यवस्था में सुधार करे सरकार':बता दें कि सरसों की सरकारी खरीद शुरू होने के बाद से ही स्थानीय अनाज मंडी के आढ़ती उनके जरिए सरसों की खरीद नहीं किए जाने पर खरीद का विरोध कर रहे थे. इसके लिए उन्होंने धरना प्रदर्शन भी किया और खरीद का बहिष्कार किया था. जिसके चलते मंडी में खरीद प्रक्रिया सुचारू रूप से नहीं चल पाई थी. मंडी में फसल लेकर पहुंचे किसानों ने मंडी कर्मियों पर पैसे लेकर टोकन जारी करने के आरोप लगाए. साथ ही कहा कि व्यापारियों के वाहनों की बैकडोर से एंट्री करवाई जा रही है.

चरखी दादरी के किसान परेशान: चरखी दादरी में सरसों की सरकारी खरीद के दौरान किसानों को अपने फसल बचने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ रहा है. अल सुबह से फसल कटाई बीच में छोड़कर अनाजमंडी में अपनी फसल लेकर पहुंचे किसानों को घंटों लाइनों में लगने के बाद भी उनकी सरसों की खरीद नहीं हो रही है. सरसों लेकर मंडी में पहुंचे किसानों का कहना है कि वे ऐसी मझधार के बीच फंसे हैं कि वे अपनी फसलों की कटाई करें या फिर फसल बचने के लिए मंडियों के चक्कर काटें. वहीं मार्केट कमेटी के सचिव परमजीत नांदल का कहना है कि खरीद को लेकर पुख्ता प्रबंध किए गए हैं. मंडी में पानी खत्म होने पर दोबारा प्याऊ में भरा जाता है और लाइनों में लगे किसानों के लिए पुलिस व्यवस्था की गई है. अब तक करीब 75 हजार क्विंटल सरसों की आवक हो चुकी है और 10 हजार खरीद की गई है.

हड़ताल पर जींद, उचाना के आढ़ती.

हड़ताल पर जींद, उचाना के आढ़ती: जींद और उचाना की अनाज मंडियों में बुधवार को आढ़तियों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर आढ़ती वेलफेयर एसोसिएशन के बैनर तले अनाज मंडी में प्रदर्शन किया और नारेबाजी कर मार्केट कमेटी सचिव को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा. आढ़ती एसोसिएशन प्रधान राजेश गोस्वामी ने कहा कि सरकार द्वारा उनकी आढ़त में कटौती कर ढाई फीसदी से भी काफी कम देने और सरसों की एमएसपी पर खरीद उनके माध्यम से न करने पर रोष व्यक्त किया गया. बैठक में आढ़तियों ने हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल द्वारा उनकी मांगों के समर्थन में पांच दिवसीय हड़ताल का समर्थन किया और मंडी में दो घंटे की हड़ताल रख सरकार विरोधी प्रदर्शन कर धरना देने का फैसला लिया.

ढाई फीसदी आढ़त देने की मांग: उचाना में आढ़ती सरसों की खरीद पर आढ़त देने के साथ-साथ एमएसपी पर खरीदी जाने वाली फसलों की ढाई फीसदी आढ़त देने की मांग को लेकर धरने पर हैं. सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए आढ़तियों ने कहा कि सरसों की फसल में भी आढ़तियों की ढाई फीसदी तक आढ़त देने की मांग है, लेकिन वह नहीं दी. अब गेहूं की सरकारी खरीद में भी पूरी आढ़त नहीं दी जा रही है. यदि उनकी मांग सरकार ने नहीं मानी तो 5 अप्रैल तक ऐसे ही मंडी में दो घंटे तक प्रदर्शन करेंगे. पांच अप्रैल के बाद जो प्रदेश आढ़ती एसोसिएशन फैसले लेगी, उसके अनुरूप आढ़ती धरना, प्रदर्शन करेंगे.

यह है मांग: आढ़तियों की मांग है कि एमएसपी पर खरीदी जाने वाली फसलों की ढाई फीसदी आढ़त देने की मांग है. सरकार द्वारा खरीदी जाने वाली सभी फसलों का भुगतान किसान की सहमति के अनुसार आढ़ती या किसान के स्वयं के खाते में अदा किया जाना चाहिए. मार्केट कमेटी के लाइसेंस की अवधि जीएसटी की तरह असीमित होनी चाहिए या जब तक फर्म अपना कार्य बंद ना कर दे। बार-बार रिनीवल कराने की जरूरत नहीं होनी चाहिए. मार्केट कमेटी की लाइसेंस की फीस एकमुश्त हो.

सिरसा अनाज मंडी में आढ़तियों का प्रदर्शन: सिरसा अनाज मंडी में आढ़तियों के धरने को समर्थन देने पहुंचे हरियाणा वयापार मंडल के प्रदेश अद्यक्ष बजरंगदास गर्ग ने कहा कि सरकार की गलत नीतियों के कारण आज प्रदेश का आढ़ती परेशान हैं. उन्होंने कहा कि पहले सरकार ने गेहूं और धान पर आढ़त कम कर दी है. वहीं, दूसरी फसल जैसे नरमा (कपास) सरसों, मूंग की फसलों पर आढ़त बिल्कुल ही खत्म करती है जो सही नहीं है. बजरंगदास गर्ग ने कहा कि सरकार के आदेश है कि खरीद एजेंसियां किसानों से सीधी फसल की खरीद करेगी जो कि सरासर गलत है. उन्होंने कहा कि इससे लाखों करोड़ों रुपए लगाकर मंडी में आढ़त का काम करने वालों के साथ-साथ मजदूरों, मुंशियों और ट्रक ऑपरेटर को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा.

भिवानी अनाज मंडी में अव्यवस्था से नाराज.

रोहतक में अनाज मंडी में कैसी है व्यवस्था?: 1 अप्रैल से प्रदेश भर की मंडियों में गेहूं की खरीद शुरू हो गई है, लेकिन रोहतक अनाज मंडी में अभी तक एक भी दाना गेहूं का नहीं पहुंचा है. हालांकि सरसों की खरीद 26 मार्च से शुरू हुई थी, लेकिन अब तक मात्र 200 क्विंटल ही सरसों की खरीद हो पाई है. ऐसा माना जा रहा है कि पिछले दिनों हुई ओलावृष्टि और बेमौसमी बारिश की वजह से फसल खराब हो चुकी है. वहीं, जहां मंडी अधिकारियों का कहना है कि किसानों के लिए पानी खाने-पीने यहां तक की टीवी देखने की भी व्यवस्था की गई है तो वहीं दूसरी ओर किसानों का कहना है की सरकार उन्हें खत्म करने पर लगी हुई है. किसानों ने कहा कि वह फसल लेकर आते हैं. लेकिन, अधिकारी फसल में नमी होने का बहाना बना नहीं खरीदते. वहीं, आढ़तियों का कहना है कि सरकार आढ़तियों को भी खत्म करने पर लगी हुई है. सरकार जानबूझकर ऐसी व्यवस्था कर रही है ताकि किसान मजबूरी में अपनी फसल प्राइवेट कंपनियों को भेज सके.

रोहतक अनाज मंडी.

क्या कहते हैं किसान?: वहीं, किसानों का कहना है कि पहले ओलावृष्टि और बेमौसमी बारिश की वजह से उनकी लगभग फसल खराब हो गई. अब थोड़ी बहुत बची थी उसे लेकर आए तो कहीं नमी का बहाना बनाया गया तो कहीं खरीद नहीं हो पाई इसलिए वह परेशान हैं. उन्होंने कहा कि सरकार जो दावे कर रही है, वह पूरी तरह से निराधार है. वहीं, मंडी में आढ़ती का काम करने वाले ओमप्रकाश ने बताया कि सरकार जानबूझकर ऐसी व्यवस्था बनाए हुए है, ताकि किसान अपनी फसल मंडी में लेकर आए तो प्राइवेट कंपनियां उनकी फसल खरीदें. वहीं, दूसरी ओर मंडी के सचिव देवेंद्र कुमार का कहना है कि किसानों के लिए हर प्रकार की सुविधा मुहैया कराई गई है, चाहे खाने की कैंटीन हो या फिर पानी और बैठने की व्यवस्था हो. उन्होंने कहा कि किसान सहायता केंद्र भी बनाया गया है ताकि किसान अपनी शिकायत दर्ज करवा सके.

सोनीपत में सरसों की खरीद: सोनीपत के गन्नौर में सरसों की खरीद की फसल को लेकर किस किस तरह सरकार के प्रति गुस्सा जाहिर कर रहे हैं. किसानों का आरोप है कि फसलों के मेरी फसल मेरा ब्योरा रजिस्ट्रेशन में घपला किया गया है. किसानों का कहना है कि सरकार जानबूझकर किसानों के साथ ऐसा कर रही है. सरकार सिर्फ दावा कर रही है कि सरसों की फसल की खरीद की जा रही है, लेकिन आज यह साबित हो गया है कि मंडी सेक्रेटरी और अधिकारी मिलकर किसानों के साथ धांधली कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जब मंडी में यह धांधली नहीं रुकी तो किसानों ने एकत्रित होकर मंडी पर ताला लगा दिया और पुलिस आने के बाद सेक्रेटरी को बाहर लेकर आई और जब कांटे की जांच की गई तो तोल में गड़बड़ मिली और जब नमी की मशीन की जांच की गई तो उसमें भी गड़बड़ी सामने आई है.

किसानों का कहना है कि सरकार जी पोर्टल पर फसल का रजिस्ट्रेशन करवाती है इस पोर्टल पर धांधली की जा रही है. किसान की 5 से 6 एकड़ का रजिस्ट्रेशन पोर्टल पर होता है, लेकिन अधिकारी एक से दो एकड़ की ही फसल खरीद रहे हैं. इसी के साथ अधिकारी जिस मशीन से सरसों की फसल की नमी बता रहे हैं, वह नामी ज्यादा है और जब सरकारी मशीन से इसकी नमी नापी गई तो नमी कब मिली इतना ही नहीं जब अधिकारियों से इस बारे में बातचीत की गई तो अधिकारियों ने बातचीत से ही मना कर दिया.

भिवानी अनाज मंडी में सरसों की खरीद जारी: भिवानी की नई अनाज मंडी में सरसों की फसल की खरीद 26 मार्च से शुरुआत हुई थी और अभी तक 15 हजार क्विंटल सरसों की फसल भिवानी की मंडी में आई है. भिवानी जिले की अन्य मंडियों में भी सरसों की फसल सरकारी खरीद जारी है. इस बारे में मंडी सुपरवाइजर योगेश शर्मा ने बताया कि मंडी प्रशासन द्वारा किसानों के लिए अच्छे इंतजाम किए गए हैं, ताकि किसानों को फसल बेचने में कोई असुविधा न हो.

हरियाणा में गेहूं, सरसों की सरकारी खरीद

क्या कहते हैं भिवानी अनाज मंडी में आए किसान?: बता दें कि किसानों की सरसों सरकारी समर्थन 5650 रुपए में बिक रही है. किसानों को हर सुविधा का ध्यान मंडी प्रशासन ने रखा है. चाहे मूलभूत सुविधाओं की हो या गेट पास की हो. अभी तक किसी भी किसान को कोई दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ा. मंडी प्रशासन के अनुसार किसानों का दाना-दाना खरीदा जाएगा. वहीं, किसान सुरेश और राजेंद्र का कहना है कि अच्छे दामों पर बिक रही है. मंडी में कोई समस्या नहीं है, उन्होंने कहा कि मंडी में आते ही फसल बिक रही है. सरकार ने अब की बार अच्छे इंतजाम किए हैं. वही एक किसान ने बताया कि ऑनलाइन में गड़बड़ी के चलते टोकन कटने में समस्या हुई थी. मंडी आढ़तियों ने बताया कि अबकी बार समय पर सरसों की फसल समय पर उठ रही है.

15,000 क्विंटल सरसों की फसल की आवक: भिवानी अनाज मंडी के सुपरवाईजर योगेश शर्मा ने बताया कि भिवानी की मंडी में सरसों की फसल की आवक दूसरे जिले से कम है. भिवानी जिले की अन्य मंडियों में कुछ सरसों की फसल सरकारी खरीद हुई है. किसानों को अच्छे भाव भी मिल रहे हैं. अबकी बार किसानों को कोई भी दिक्कत का सामना करना नहीं पड़ेगा. अभी तक मंडी में 15,000 क्विंटल सरसों की फसल की आवक हुई है.

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Last Updated : Apr 5, 2024, 9:51 AM IST

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