Hathras Hing: हाथरस की हींग की महक अब यूपी ही नहीं बल्कि भारत के कई राज्यों तक पहुंच चुकी है. करीब 100 साल से ज्यादा पुराने इस कारोबार ने अब तेज रफ्तार पकड़ ली है. अफगानिस्तान, तजाकिस्तान और कजाकिस्तान से आने वाली हींग को जिले में प्रोसेस कर देश के कोने-कोने में पहुंचाया जा रहा है. चलिए जानते हैं इस पूरे कारोबार के बारे में.
कितना पुराना है कारोबारःहाथरस में हींग के इतिहास पर नजर डालें और पुराने घरानों से मिली जानकारी को साझा करें तो पता चलता है कि हाथरस में हींग का इतिहास करीब 100 साल से भी ज्यादा पुराना है. पुराने कारोबारी बताते हैं कि तब पठान लोग दूध के रूप में हींग को हाथरस के बाजार में बेचने के लिए लाते थे.
हाथरस का हींग कारोबार. (video credit: etv bharat)
कारोबारियों ने पहचानी खूबियांःहाथरस में उस दौर के व्यापारियों ने हींग के औषधीय गुणों की पहचान की और फिर इसे डाइल्यूट करके खाने लायक और रसोई का प्रोडक्ट बनाकर उतार. इसके बाद हींग की महक देश के हर घर तक पहुंचने लगी.
हींग का उत्पादन ऐसे होता है. (photo credit: etv bharat)
हींग का इस्तेमाल कहां-कहांः हींग का इस्तेमाल दवाओं के साथ ही पाचन संबंधी समस्याओं को दूर करने में किया जाता है. इस वजह से हींग की खपत बहुत ज्यादा है.
हाथरस में फैला हींग का कारोबार. (photo credit: etv bharat) हाथरस में घर-घर उद्योगः बाजार की जरूरत पूरा करने के लिए अब तो स्थिति यह है कि यहां यह कारोबार कुटीर उद्योग के रूप में फैल गया है छोटी-छोटी इकाइयां घरों के अंदर तक काम कर रही हैं और यह इकाइयां बाजार की या फिर बड़े उद्योगों की पूर्ति करने में सहायक सिद्ध हो रही हैं. हाथरस में हींग के कारोबार को लगे पंख. (photo credit: etv bharat) कई पीढ़ी से कर रहे कारोबारः हाथरस में हींग का कारोबार करने वाले तमाम ऐसी कारोबारी भी है जो तीन-चार पीढ़ी से यह कारोबार कर रहे हैं. कारोबारी विशाल अग्रवाल की मानें तो 'एक जिला एक उत्पाद' से उनके कारोबार को पंख लगे हैं. ओडीओपी में आने से एक तो काम के लिए धन (लोन) की सहूलियत मिली है दूसरे ब्याज की राहत. जीआई टैग की व्यापारी राजेश अग्रवाल बताते हैं कि इससे उनके प्रोडक्ट की पहचान वैश्विक स्तर पर बढ़ी है. 12000 लोग कारोबार से जुड़े. (photo credit: etv bharat gfx) ओडीओपी या जीआई टैग दोनों ही हाथरस के हींग कारोबार के लिए लाभकारी सिद्ध हो रहे हैं. इन दोनों स्कीमों से देश के सुदूर क्षेत्रों में हाथरस की हींग पहुंच रही है और पहचान की वजह से ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी हींग प्रोडक्ट निर्यात हो रहे हैं.
हाथरस हींग का बड़ा मार्केट. (photo credit: etv bharat gfx)
12000 से ज्यादा लोग जुड़ेःहाथरस में हींग कारोबार के कारोबार से करीब 12000 से अधिक लोग किसी न किसी रूप में रोजगार पाते हैं. यहां हींग की करीब सवा सौ छोटी बड़ी फैक्ट्रियां हैं. चाहे बात आयत की हो या फिर निर्यात की अफगानिस्तान युद्ध और रूस यूक्रेन युद्ध ने एक अल्प समय के लिए इस कारोबार को निश्चित रूप से प्रभावित किया लेकिन अब वह स्थिति दूर हो चली है.
हींग के दूध की निर्भरता कम होःहींग का निर्माण पौधे के दूध से किया जाता है. इसे प्रोसेस कर ठोस रूप में लाया जाता है. इसके बाद इसमें तीक्ष्णता कम करने के लिए कुछ खाद्य पदार्थ मिलाए जाते हैं. हींग के दूध के आयात की निर्भरता कम हो और भारत में ही इसकी उद्यान खेती हो इसके लिए हिमालय क्षेत्र से हींग उत्पादन की कोशिश हो रही है. हींग व्यवसाई बांके बिहारी अग्रवाल की मानें तो आत्मनिर्भरता के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह कोशिश एक अच्छी पहल है लेकिन अभी इसका अच्छा प्रतिफल निकलकर सामने नहीं आ रहा है. कारोबारी बताते हैं कि यदि भारत में हींग की खेती होने लगे तो निश्चित रूप से करोड़ों रुपए सालाना राजस्व की बचत होगी और यह सुखद अनुभव होगा. वहीं मजदूर विकास ने बताया कि वह कई सालों से यहां हींग का काम कर रहा है उसके पिता भी यहां मजदूरी किया करते थे.
असली-नकली का खेल क्या हैः कारोबारी ने बताया कि हींग में तीक्ष्णता अधिक होती है. इसे हल्का किया जाता है. इस वजह से कई वैराइटी को हो जाती है. असली हींग को नहीं खाया जा सकता है. दूसरे को खाद्य पदार्थों के साथ कम करके इसे खाने लायक बनाया जाता है. वहीं, कुछ लोग हींग के असली-नकली होने का दावा करते हैं, ऐसा करना गलत है. हींग कम तीक्ष्णता से लेकर अधिक तीक्ष्णता तक की आती है. इसी के आधार पर हींग के रेट तय होते हैं.
भारत में हींग की सालाना खपत कितनीः एक अनुमान के मुताबिक देश में हींग की सालाना खपत 1500 टन की है. इसकी कीमत करीब 940 करोड़ रुपए के आसपास बैठती है. भारत में 90 फीसदी हींग अफगानिस्तान से आती है. इसके बाद उज्बेकिस्तान और ईरान से आयात किया जाता है.
हींग की कीमत कितनी होती हैःबता दें कि विश्व के बाजार में हींग की कीमत 35 से 40 हजार रुपए प्रति किलो तक है. हींग के एक पौधे से करीब आधा किलो दूध मिलता है. इसे प्रोसेस कर हींग तैयार की जाती है. भारत में हींग का उत्पादन हिमाचल में किया जा रहा है. हींग का एक पौधा तैयार होने में 4 से 5 साल लगते हैं.
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