उत्तर प्रदेश

uttar pradesh

ETV Bharat / state

विश्व उर्दू दिवस 2024; चमक रहे उर्दू के नए कवि और कलमकार, भाषा के प्रचार-प्रसार पर दिया जा रहा विशेष जोर

उर्दू के बड़े कवि और लेखक डॉ. अल्लामा इकबाल का जन्मदिन 9 नवंबर को होता है, इसी के चलते विश्व उर्दू दिवस मनाया जाता है.

Etv Bharat
विश्व उर्दू दिवस 2024. (Photo Credit; ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 9, 2024, 6:44 PM IST

Updated : Nov 9, 2024, 9:54 PM IST

लखनऊ: आज, 9 नवंबर को विश्व उर्दू दिवस के मौके पर उत्तर प्रदेश में उर्दू भाषा के प्रचार-प्रसार पर विशेष जोर दिया जा रहा है. उत्तर प्रदेश सरकार ने उर्दू को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं लागू की हैं. इसके तहत उर्दू शिक्षण संस्थानों की स्थापना, उर्दू साहित्य को पाठ्यक्रमों में शामिल करना और विभिन्न सांस्कृतिक आयोजनों में उर्दू को बढ़ावा देने की पहल की गई है. इसके अलावा, सरकार द्वारा उर्दू के नए लेखकों और शायरों के लिए मंच तैयार किया जा रहा है.

मेरठ की हिमांशी बाबरा, जो उर्दू शायरी में कम समय में अपना एक अलग मुकाम हासिल कर चुकी हैं, ने ईटीवी भारत से बातचीत में उर्दू के बढ़ते प्रभाव पर चर्चा की. उन्होंने कहा कि नए लेखकों और शायरों के लिए इंटरनेट और सोशल मीडिया अब एक बड़ा माध्यम बन चुके हैं. सोशल मीडिया पर उर्दू शायरी को नई पहचान मिल रही है, लोग इसे पढ़ और पसंद कर रहे हैं. उन्होंने अपनी एक नज़्म साझा की जो उनकी लोकप्रियता का प्रमाण है:

उर्दू कवि हर्षित मिश्रा से बातचीत (Video Credit- ETV Bharat)

दिल ऐसे मुब्तला हुआ तेरे मलाल में

ज़ुल्फ़ें सफ़ेद हो गईं उन्नीस साल में

ऐसे वो रो रहा था मिरा हाल देख कर

आया हुआ हो जैसे किसी इंतिक़ाल में

ये बात जानती हूँ मगर मानती नहीं

दिन कट रहे हैं आज भी तेरे ख़याल में

इक बार मुझ को अपनी निगहबानी सौंप दे

उम्रें गुज़ार दूँगी तिरी देख-भाल में

वो तो सवाल पूछ के आगे निकल गया

अटकी हुई हूँ मैं मगर उस के सवाल में

लखनऊ यूनिवर्सिटी के उर्दू विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. जां निसार आलम ने भी उर्दू दिवस पर नई पीढ़ी की रुचि को लेकर संतोष व्यक्त किया. उन्होंने कहा, आज की पीढ़ी अहमद फ़राज़, गालिब और इकबाल जैसे कवियों के विचारों को समझ रही है. मौजूदा हालात में उर्दू के नए लेखकों के पास अभिव्यक्ति के लिए बहुत कुछ है, जो वे सोशल मीडिया के माध्यम से वैश्विक स्तर पर साझा कर रहे हैं.

उर्दू के नए शायर हर्षित मिश्रा ने अपनी यात्रा पर प्रकाश डालते हुए बताया कि उन्होंने पिछले 8 वर्षों में कई मंचों पर उर्दू शायरी पढ़ी है. ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखने वाले हर्षित का कहना है कि उर्दू शायरी से उन्हें अपनी सांस्कृतिक धरोहर से गहरा लगाव महसूस होता है. उन्होंने बताया, मुझे बेहद खुशी है कि मेरी शायरी को हर मंच पर सराहा गया है.

उर्दू का क्या है इतिहास, क्यों मनाया जाता है विश्व उर्दू दिवस:ऐतिहासिक दृष्टि से देखा जाए तो उर्दू भाषा की शुरुआत 12वीं सदी के बाद भारत में मुसलमानों के आगमन के साथ मानी जाती है. उत्तर-पश्चिमी भारत के क्षेत्रों में संपर्क की भाषा के रूप में उर्दू का उदय हुआ, जिसे उस समय ‘हिंदवी’ कहा जाता था. मध्यकाल में यह मिश्रित भाषा विभिन्न नामों से जानी गई, जैसे कि हिंदवी, ज़बान-ए-हिंद, हिंदी, ज़बान-ए-दिल्ली, रेख्ता, गजरी, दकनी, ज़बान-ए-उर्दू-ए-मुअल्ला, ज़बान-ए-उर्दू आदि.

शब्दार्थ की दृष्टि से उर्दू एक तुर्की शब्द है, जिसका अर्थ होता है "सेना," "छावनी," या "शाही पड़ाव". यह शब्द दिल्ली के लिए भी प्रयुक्त होता था, जो सदियों तक मुगलों की राजधानी रही. इस शब्द से ही इस भाषा का नाम उर्दू पड़ा, जो हिंदुस्तानी और फ़ारसी के सम्मिश्रण से विकसित हुई और बाद में साहित्यिक रूप में प्रसिद्ध हुई. 9 नवंबर को उर्दू के बड़े कवि और लेखक डॉ. अल्लामा इकबाल का जन्मदिन मनाया जाता है. उन्हीं के जन्मदिन के मौके पर विश्व उर्दू दिवस भी मनाया जाता है.

ये भी पढ़ेंःगजब! नाबालिग कन्याओं को पहुंचा बालिग वाला सरकारी मैसेज; CDO बोले- ये मानवीय भूल है

Last Updated : Nov 9, 2024, 9:54 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details