हल्द्वानी: गौलापार सुल्तान नगरी क्षेत्र के कई ग्राम सभा के ग्रामीण आंदोलन करते हुए सड़कों पर प्रदर्शन कर एसडीएम कोर्ट पहुंचे और सिटी मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौपा. ग्रामीण ने प्रदर्शन कहा कि पिछले कई सालों से वह यहां पर निवास कर रहे हैं. लोकसभा से लेकर विधानसभा चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं, लेकिन 2014 से उनको पंचायत चुनाव में मतदान करने के अधिकार से रोक दिया गया है.
हल्द्वानी में गौलापार के ग्रामीणों ने एसडीएम कार्यालय में किया प्रदर्शन, पंचायत चुनाव में वोट के अधिकार की मांग - Haldwani Villagers Protest
People of Sultan Nagari Gram Sabhas protested in Haldwani नैनीताल जिले के सुल्तान नगरी की कई ग्राम सभाओं के ग्रामीणों ने पंचायत चुनाव में मतदान का अधिकार देने की मांग की है. ये लोग हल्द्वानी में एसडीएम कार्यालय पहुंचे और प्रदर्शन किया. ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि उनके गांवों को वन भूमि का हवाला देते हुए 2014 से पंचायत चुनावों में वोट देने से रोक दिया गया है. इन लोगों ने सिटी मजिस्ट्रेट को ज्ञापन देने हुए पंचायत चुनाव में वोट का अधिकार नहीं मिलने पर आंदोलन की चेतावनी दी है.
By ETV Bharat Uttarakhand Team
Published : Aug 14, 2024, 12:18 PM IST
|Updated : Aug 14, 2024, 1:22 PM IST
पंचायत चुनाव में वोट डालने का अधिकार देने की मांग: स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ उपजिलाधिकारी कार्यालय में प्रदर्शन के लिए पहुंचे ग्रामीणों में आरोप लगाया कि वर्ष 2008 तक वह पंचायत चुनाव में मतदान करते थे. पता नहीं क्यों उसके बाद उनसे मतदान करने का अधिकार छीन लिया गया. ग्रामीणों का कहना है कि आधा दर्जन से अधिक ग्राम सभाएं ऐसी हैं, जिनको प्रशासन पंचायत चुनाव में मतदान के अधिकार का प्रयोग करने से रोक देता है.
वोट की अनुमति नहीं मिलने पर ग्रामीणों ने दी आंदोलन की चेतावनी: ग्रामीणों का कहना है कि पंचायत चुनाव नजदीक हैं. सरकार को चाहिए कि उनको मताधिकार का प्रयोग करने की अनुमति दी जाए. ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन ने उनको वन भूमि का वाला देते हुए पंचायत चुनाव में वोट करने से रोक दिया है. ग्रामीणों का कहना है कि अगर उनको पंचायत चुनाव का अधिकार मिलता है, तो उनके प्रतिनिधि पंचायत चुनाव में खड़े होंगे, जिससे उनके क्षेत्र का भी विकास होगा. सुल्तान नगरी के सभी ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि आगामी पंचायत चुनाव में उन्हें वोट डालने का अधिकार फिर से दिया जाए, अन्यथा ग्रामीण उग्र आंदोलन को बाध्य होंगे.
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