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सितोनस्यूं को सीता सर्किट के रूप में विकसित करने की कवायद तेज, निकाली डोली यात्रा

सितोनस्यूं को सीता सर्किट के रूप में विकसित करने की कवायद तेज हो गई है. लोगों ने इसके लिए डोली यात्रा शुरू की.

Pauri Sita Mata Temple
सितोनस्यूं के विकास के लिए निकाली डोली यात्रा (Photo-ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 13, 2024, 8:52 AM IST

पौड़ी: कोट ब्लॉक के सितोनस्यूं के धार्मिक महत्व को देखते हुए विकास को लेकर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री रहते हुए इस क्षेत्र को सीता सर्किट के रूप में विकसित करने की बात कही थी. लेकिन मुख्यमंत्री की घोषणा अब तक धरातल पर नहीं उतारा गया है. जिसके चलते अब स्थानीय लोगों ने एक समिति बनाकर इसके विकास को लेकर बीड़ा उठा लिया है.

कोट ब्लॉक के स्थानीय लोगों ने सीता माता परिपथ (सर्किट) समिति का निर्माण कर पूरे क्षेत्र को धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित करने की शुरुआत कर ली है. इस यात्रा की डोली देवप्रयाग स्नान के बाद कोटसाड़ा रात्रि विश्राम के लिए पहुंची. सीता माता सर्किट परिपथ यात्रा के अध्यक्ष सुनील लिंगवाल ने बताया कि धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने और क्षेत्र की धार्मिक महत्व को जन जन तक पहुंचाने के लिये बीते वर्ष इस यात्रा का आयोजन किया गया था. इस वर्ष भी यात्रा का देवप्रयाग से शुरुआत की गई है.

बताया कि डोली देवप्रयाग संगम में स्नान करने के बाद रघुनाथ मंदिर पहुंची, रघुनाथ मंदिर से विधाकोटी, विधाकोटी से मुछियाली, मुछियाली में मां सीता का 600 वर्ष पुराना मंदिर है, जिसका प्रचार प्रसार कर सभी तक इसकी जानकारी पहुंचाई जाएगी. वहीं समिति के संयोजक अनसूया प्रसाद सुन्द्रियाल ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं की बात की जाए तो जिस तरह से अयोध्या में भगवान श्रीराम को पूजा जाता है, उसी तर्ज पर सितोनस्यूं क्षेत्र में मां सीता को पूजा जाता है. कहा कि इसकी धार्मिक मान्यताओं को जन-जन तक पहुंचाना जरूरी है. जिस तरह से लोग आज देश के विभिन्न राज्यों से अयोध्या पहुंच रहे हैं. आने वाले समय में लोग मां सीता के दर्शन के लिए सितोनस्यूं पहुंचेंगे.

सितोनस्यूं वहीं क्षेत्र है जहां पर लक्ष्मण जी का मंदिर, महर्षि वाल्मीकि का मंदिर और विधाकोटी स्थित है और उसे सर्किट के रूप में विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है. इसी को लेकर देवप्रयाग से इस यात्रा की शुरुआत की गई है जो मुख्य पड़ाव होते हुए रात्रि विश्राम के लिए कोटसाड़ा पहुंची. क्षेत्र के सभी लोग का प्रयास है की मां सीता का एक भव्य मंदिर का निर्माण किया जाए, ताकि अयोध्या के तर्ज पर मां सीता के मंदिर को भी एक नई पहचान मिल सके. इस मंदिर के निर्माण के बाद जहां धार्मिक पर्यटन के रूप में क्षेत्र का विकास होगा, यहां पर पर्यटकों की आवाजाही बढ़ेगी. साथ ही लोगों का व्यवसाय बढ़ेगा और पलायन पर अंकुश लगेगा.
पढ़ें-ढोल दमाऊ की मधुर लहरियों पर लोगों ने खेला भैलो, लोकगीतों पर जमकर थिरके लोग

पौड़ी: कोट ब्लॉक के सितोनस्यूं के धार्मिक महत्व को देखते हुए विकास को लेकर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री रहते हुए इस क्षेत्र को सीता सर्किट के रूप में विकसित करने की बात कही थी. लेकिन मुख्यमंत्री की घोषणा अब तक धरातल पर नहीं उतारा गया है. जिसके चलते अब स्थानीय लोगों ने एक समिति बनाकर इसके विकास को लेकर बीड़ा उठा लिया है.

कोट ब्लॉक के स्थानीय लोगों ने सीता माता परिपथ (सर्किट) समिति का निर्माण कर पूरे क्षेत्र को धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित करने की शुरुआत कर ली है. इस यात्रा की डोली देवप्रयाग स्नान के बाद कोटसाड़ा रात्रि विश्राम के लिए पहुंची. सीता माता सर्किट परिपथ यात्रा के अध्यक्ष सुनील लिंगवाल ने बताया कि धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने और क्षेत्र की धार्मिक महत्व को जन जन तक पहुंचाने के लिये बीते वर्ष इस यात्रा का आयोजन किया गया था. इस वर्ष भी यात्रा का देवप्रयाग से शुरुआत की गई है.

बताया कि डोली देवप्रयाग संगम में स्नान करने के बाद रघुनाथ मंदिर पहुंची, रघुनाथ मंदिर से विधाकोटी, विधाकोटी से मुछियाली, मुछियाली में मां सीता का 600 वर्ष पुराना मंदिर है, जिसका प्रचार प्रसार कर सभी तक इसकी जानकारी पहुंचाई जाएगी. वहीं समिति के संयोजक अनसूया प्रसाद सुन्द्रियाल ने बताया कि धार्मिक मान्यताओं की बात की जाए तो जिस तरह से अयोध्या में भगवान श्रीराम को पूजा जाता है, उसी तर्ज पर सितोनस्यूं क्षेत्र में मां सीता को पूजा जाता है. कहा कि इसकी धार्मिक मान्यताओं को जन-जन तक पहुंचाना जरूरी है. जिस तरह से लोग आज देश के विभिन्न राज्यों से अयोध्या पहुंच रहे हैं. आने वाले समय में लोग मां सीता के दर्शन के लिए सितोनस्यूं पहुंचेंगे.

सितोनस्यूं वहीं क्षेत्र है जहां पर लक्ष्मण जी का मंदिर, महर्षि वाल्मीकि का मंदिर और विधाकोटी स्थित है और उसे सर्किट के रूप में विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है. इसी को लेकर देवप्रयाग से इस यात्रा की शुरुआत की गई है जो मुख्य पड़ाव होते हुए रात्रि विश्राम के लिए कोटसाड़ा पहुंची. क्षेत्र के सभी लोग का प्रयास है की मां सीता का एक भव्य मंदिर का निर्माण किया जाए, ताकि अयोध्या के तर्ज पर मां सीता के मंदिर को भी एक नई पहचान मिल सके. इस मंदिर के निर्माण के बाद जहां धार्मिक पर्यटन के रूप में क्षेत्र का विकास होगा, यहां पर पर्यटकों की आवाजाही बढ़ेगी. साथ ही लोगों का व्यवसाय बढ़ेगा और पलायन पर अंकुश लगेगा.
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