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80 लाख की धोखाधड़ी का मामला, एसटीएफ ने दो आरोपियों को किया अरेस्ट, तरीका जान आप भी रह जाएंगे हैरान

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 2, 2024, 7:57 PM IST

National scam case राष्ट्रीय घोटाले मामले में उत्तराखंड एसटीएफ को एक और बड़ी सफलता मिली है. दरअसल मामले में दीपक अग्रवाल और गौरव गुप्ता नाम के दो आरोपियों को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया है. इससे पहले भी मुदस्सिर मिर्जा नाम के आरोपी को दिल्ली से ही दबोचा गया था.

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देहरादून: इंदिरा सिक्योरिटी के नाम पर राष्ट्रीय घोटाले में दो आरोपियों को एसटीएफ की टीम ने दिल्ली से गिरफ्तार किया है. दरअसल फर्जी जीएसटी फॉर्म और फर्जी इंपोर्ट एक्सपोर्ट कोड घोटाला करने का मामला सामने आया था. आरोपियों ने अनेक संदिग्ध फर्जी फॉर्म को पंजीकृत किया था. इससे पहले भी इसी केस में एम2एम सिम के माध्यम से अपराध का राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला सामने आया था.

देहरादून निवासी व्यक्ति से 80 लाख की ठगी:बता दें कि कुछ दिन पहले साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में देहरादून निवासी एक व्यक्ति ने शिकायत दर्ज कराई थी कि पीड़ित फेसबुक के जरिए एक व्हाट्सएप ग्रुप में ऐड था. जिसमें स्टॉक ट्रेडिंग के बारे में जानकारी दी जा रही थी. इसके बाद अज्ञात व्यक्तियों द्वारा पीड़ित से संपर्क कर खुद को इंदिरा सिक्योरिटी कंपनी से बताकर ट्रेडिंग के लिए पीड़ित का खाता खुलवाया और अन्य व्हाट्सएप ग्रुप “INDIRA Customer care- A303” में ऐड कर एप डाउनलोड करने के लिए लिंक दिया. स्टॉक ट्रेडिंग में निवेश कर लाभ कमाने के नाम पर पीड़ित से अलग-अलग तारीखों में अलग-अलग लेन देन के माध्यम से कुल 80,00,000 रुपये की धोखाधड़ी की गई. पुलिस ने तहरीर मिलने के बाद केस दर्ज कर लिया है.

मामले में पहले मुदस्सिर मिर्जा नाम का आरोपी हो चुका गिरफ्तार:बता दें कि पहले इस मुकदमे में जांच में आया था की जिन मोबाइल नंबरों से पीड़ित को व्हाट्सएप कॉल की गई थी वह XENO TECHNOLOGY के नाम से मुदस्सिर मिर्जा निवासी तुर्कमान गेट चांदनी महल दिल्ली द्वारा प्राप्त किए गए थे. जिसकी तलाश में एक एसटीएफ टीम को दिल्ली भेजा गया, तभी स्थानीय स्तर पर टीम द्वारा जानकारी करने के बाद मुदस्सिर मिर्जा को दिल्ली से गिरफ्तार किया गया. आरोपी मुदस्सिर मिर्जा के कब्जे से लगभग 3000 सिम बरामद हुई हैं, जिनके जरिए कॉर्पोरेट आईडी के नाम पर हजारों सिम ISSUE कराई गई थी. जिनका प्रयोग आरोपी व्हाटसएप पर अपने बिजनेस की मार्केटिंग करने के लिए करता था.

मामले में दीपक अग्रवाल और गौरव गुप्ता गिरफ्तार:आरोपी मुदस्सिर मिर्जा ने बताया कि उसने मुंबई और बोरीवली में एक ऑफिस किराये पर लिया है और अपनी कॉर्पोरेट आईडी पर अलग-अलग समय पर एयरटेल से कुल 29,000 सिम और वोडाफोन-आइडिया के 16000 सिम कार्ड खरीदी गई हैं. वह इन सिम कार्डों को अपने अलग-अलग एजेटों को वितरित करता था. आरोपी द्वारा आगे की महत्वपूर्ण जानकारियां दी गई. जिस पर कार्रवाई के लिये एसटीएफ की टीमों को अलग-अलग स्थानों पर रवाना किया गया. उसके बाद अब एसटीएफ की टीम ने मामले में दो और आरोपी दीपक अग्रवाल और गौरव गुप्ता को आईटीओ दिल्ली से गिरफ्तार किया.

आरोपी दीपक अग्रवाल पहले भी जा चुका है जेल:गिरफ्तार आरोपियों द्वारा बताया गया कि उनके द्वारा लगभग अनेक ऐसी फर्जी सोल प्रॉपराइटरशिप जीएसटी फॉर्म को खोला गया है, जिनके दस्तावेज़ों के ऊपर ये बैंको में अपराध के लिए करंट अकाउंट खुलवाते हैं. गिरफ्तार आरोपी दीपक अग्रवाल पहले भी गुड़गांव से एक जीएसटी मामले में जेल जा चुका है. साथ ही जांच में सामने आए बैंक खाते पर देश में है कुल 38 शिकायतें बिहार, दिल्ली,कर्नाटक,उत्तर प्रदेश,पश्चिम बंगाल,आंध्र प्रदेश,गुजरात, हिमाचल प्रदेश,कर्नाटक,महाराष्ट्र,मध्य प्रदेश,ओडिशा, झारखंड और तेलंगाना में दर्ज हैं.

अपराध का तरीका:आरोपियों द्वारा अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर फर्जी कंपनी तैयार की गई थी. फर्जी कंपनी के नाम पर सिम लेकर उन फर्जी सिमों के माध्यम से अपनी फर्जी वेब साइट पर खुद को “Indira Securities ” कंपनी के कर्मचारी और अधिकारी बताते हुये व्हाट्सएप कॉल और मैसेज कर स्टॉक ट्रेडिंग में निवेश की जानकारी देकर लाभ कमाने का लालच दिया जाता है और फिर पीड़ितों को विश्वास में लेकर अलग-अलग फर्जी व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़कर लिंक के माध्यम से अलग-अलग एप डाउनलोड कराकर निवेश के नाम पर धोखाधड़ी की जाती है और धोखाधड़ी से प्राप्त धनराशि को अलग-अलग बैक खातों में लेकर धनराशि का प्रयोग करते हैं.

फर्जी दस्तावेजों का प्रयोग करके आरोपी खुलवाते थे करंट अकाउंटएसएसपी एसटीएफ आयुष अग्रवाल ने बताया कि दोनों गिरफ्तार आरोपियों द्वारा फर्जी सोल प्रॉपराइटरशिप (Sole Proprietorship), जीएसटी फार्मों (GST Firms) का पंजीकरण और इंपोर्ट एक्सपोर्ट कोड (IEC) बनाने के लिए आधार कार्ड समेत अन्य दस्तावेजों के माध्यम से अलग-अलग बैंको में करंट अकाउंट खुलवाया जाता है. जिनमें अलग-अलग पीड़ितों के साथ धोखाधड़ी कर अलग- अलग बैंक खातों में धनराशि को बार-बार ट्रांसफर कर धनराशि को निकाला जाता है. उन्होंने कहा कि आरोपियों द्वारा आईडीएफसी (IDFC bank) और इंडसइंड बैंको के खाते खोले गए. जिसमें बैंक द्वारा भौतिक केवाइसी वेरिफिकेशन पर भी एक प्रश्न है. साथ ही फर्जी कंपनी के खाते में संदिग्ध 6.33 करोड़ के ठगी से प्राप्त लेनदेन का मामला भी सामने आया है.

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