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15 साल बाद उत्तराखंड पुलिस की गोली से ढेर हुआ अपराधी, रणवीर एनकाउंटर से उठे थे सवाल - Uttarakhand Police Encounter

Uttarakhand Police Encounter उत्तराखंड पुलिस ने बाबा तरसेम सिंह के हत्यारे को एनकाउंटर में मार गिराया है. उत्तराखंड पुलिस ने करीब 15 साल बाद एनकाउंटर में किसी अपराधी को मारा है. इससे पहले पुलिस ने 2009 में रणवीर एनकाउंटर को अंजाम दिया था. उस एनकाउंटर ने उत्तराखंड पुलिस को सवालों के कटघरे में खड़ा किया था.

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Apr 9, 2024, 6:33 PM IST

देहरादूनः3 जुलाई 2009... वो तारीख जब उत्तराखंड में आखिरी बार पुलिस ने किसी को एनकाउंटर में मार गिराया था. हालांकि, उक्त कथित एनकाउंटर ने पुलिस के कई अधिकारियों और कर्मियों को सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया था. लेकिन अब 15 साल बाद उत्तराखंड पुलिस ने फिर से एनकाउंटर किया है. एनकाउंटर में एक शूटर को मार गिराया है. पुलिस उक्त शूटर की काफी दिनों तलाश कर रही थी.

15 साल बाद पुलिस का एनकाउंटर एक्शन:8 अप्रैल 2024 रात लगभग 12 बजे हरिद्वार पुलिस और एसटीएफ को सूचना मिली कि कुछ बदमाश हरिद्वार में प्रवेश कर रहे हैं. सूचना के आधार पर भगवानपुर में पुलिस और एसटीएफ की संयुक्ट टीम ने बदमाशों की घेराबंदी की. टीम ने एक बाइक सवार दो बदमाशों को रोकने की कोशिश की तो बदमाश पुलिस पर फायरिंग कर भागने लगे. पुलिस ने बदमाशों को रुकने की चेतावनी भी दी लेकिन बदमाश लगातार पुलिस पर फायरिंग करते हुए भागते रहे. जिसके बाद पुलिस को भी जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी और फायरिंग करते हुए एक बदमाश को मार गिराया. जबकि दूसरा बदमाश भागने में कामयाब रहा. पुलिस ने मृतक की पहचान अमरजीत सिंह बिट्टू के रूप में की. जिसने 28 मार्च 2024 को श्री नानकमत्ता साहिब गुरुद्वारा डेरा कार सेवा के प्रमुख बाबा तरसेम सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी थी.

एनकाउंटर के बाद चर्चा में रही उत्तराखंड पुलिस: उत्तराखंड पुलिस ने 2009 के बाद 2024 में एनकाउंटर की कार्रवाई की है. 2009 के रणवीर एनकाउंटर ने पुलिस कार्रवाई पर कई सवाल खड़े करते हुए कई पुलिस कर्मियों को जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया था. 2009 के रणवीर एनकाउंटर के दौरान तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल मसूरी दौरे पर थीं. राष्ट्रपति के उत्तराखंड दौरे से राजधानी देहरादून में काफी सतर्कता बनी हुई थी. आराघर चौकी प्रभारी जीडी भट्ट दोपहर के समय आराघर पर वाहनों की चेकिंग कर रहे थे. इस बीच एक बाइक सवार तीन युवक आराघर चौक की तरफ आते हुए दिखाई दिए.

पुलिस की मानें तो पुलिस ने जब इन युवकों को रोका तो पुलिस और युवकों की नोकझोंक हुई. इसके बाद युवकों ने एक पुलिसकर्मी की रिवाल्वर लूटी और फरार हो गए. इस घटना की सूचना कंट्रोल रूम में दी गई. सूचना के आधार पर अन्य इलाकों में पुलिस ने घेराबंदी शुरू कर दी. पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार, लाडपुर के जंगल पुलिस और युवकों के बीच फायरिंग हुई, जिसमें पुलिस ने रणवीर पुत्र रविंद्र निवासी बागपत को मार गिराया था.

शरीर पर मिले कई चोटों के निशान:इस एनकाउंटर के बाद जब रणवीर की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आई तो पता चला कि रणवीर के सीने पर 22 गोलियां दागी गई थी. पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ था कि गोली 3 फीट की दूरी से चलाई गई है. इतना ही नहीं, रणवीर के शरीर पर 28 ऐसी चोटों के निशान थे, जिससे कई अन्य भी चौकाने वाले खुलासे किए. परिजनों ने पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के बाद हंगामा किया और इसे फर्जी मुठभेड़ बताया था. इसके बाद हुई जांच में कई तरह के खुलासे के बाद यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा. दिल्ली एचसी ने 18 पुलिसकर्मियों में से 11 पुलिसकर्मियों को सबूतों के आधार पर बरी किया और 7 पुलिस कर्मियों की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा. हालांकि, सीबीआई दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई है. मामला अभी भी लंबित है.

रणवीर एनकाउंटर और उसके बाद हुआ घटनाक्रम:

  • 3 जुलाई 2009 को एनकाउंटर में रणवीर की हत्या.
  • 4 जुलाई को हत्या का आरोप, हंगामा, लाठीचार्ज किया.
  • 5 जुलाई को पीएम रिपोर्ट में 25 चोटें और 22 गोलियों की पुष्टि हुई.
  • 5 जुलाई को सीबीसीआईडी से जांच कराने के आदेश.
  • 6 जुलाई को पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज.
  • 7 जुलाई को सीबीसीआईडी की टीम ने जांच शुरू की.
  • 8 जुलाई को नेहरू कॉलोनी थाने से रिकॉर्ड जब्त किया.
  • 8 जुलाई को सरकार की सीबीआई जांच की सिफारिश.
  • 31 जुलाई को सीबीआई ने देहरादून आकर जांच शुरू की.
  • 4 जून 2014 सीबीआई ने निचली अदालत में चार्जशीट दायर की.
  • CBI ने देहरादून के 18 पुलिसकर्मियों को दोषी माना.
  • 6 जून 2014 को अदालत ने सभी 18 कैदियों को उम्रकैद की सजा सुनाई.
  • दोषी पुलिसकर्मियों ने फैसले के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में रिट दायर की.
  • दिल्ली हाईकोर्ट ने 18 में 11 को डायरेक्ट हत्या में शामिल न होने के सबूतों के आधार पर सजा से बरी किया.
  • दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सीबीआई सुप्रीम कोर्ट पहुंची.
  • सुप्रीम कोर्ट में मामला अभी भी लंबित है.

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