देहरादून: आगामी लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. राजनीतिक पार्टियों का चुनावी कैंपेन जारी है. वहीं, उत्तराखंड निर्वाचन आयोग ने प्रत्याशियों के होने वाले कार्यक्रमों के साथ ही अन्य खर्चों पर नजर रखना शुरू कर दिया है. लोकसभा चुनाव में भारत निर्वाचन आयोग ने प्रति प्रत्याशी 95 लाख रुपए तक के खर्च को ही अनुमति दी है. बावजूद इसके अमूमन लोकसभा चुनाव के दौरान प्रति प्रत्याशी करीब 4 से 5 करोड़ रुपए खर्च का अनुमान होता है. ऐसे में चुनाव के दौरान शराब और नकदी पर लगाम लगाने के साथ ही प्रत्याशियों के खर्चों पर विस्तृत निगरानी रखने के लिए निर्वाचन आयोग ने फुल प्रूफ प्लान तैयार किया है.
चुनाव के दौरान प्रत्याशी चुनाव जीतने के लिए पानी की तरह पैसा बहाते हैं. चुनाव के दौरान धन बल का इस्तेमाल चुनाव को प्रभावित करने में ना हो, इसके लिए ही निर्वाचन आयोग की ओर से पार्टियों और प्रत्याशियों के लिए गाइडलाइन जारी की जाती है. ताकि प्रति प्रत्याशी तय किए गए खर्च के मुताबिक ही चुनाव लड़े. लेकिन वास्तव में ऐसा होता नहीं है. हालांकि, उत्तराखंड की बात करें तो प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियां अन्य राज्यों से भिन्न है. अभी तक हुए चुनाव में देखा गया है कि चुनाव के दौरान पर्वतीय क्षेत्रों में ठंड होने के कारण शराब का चलन काफी अधिक हो जाता है. पर्वतीय क्षेत्रों में पार्टी न सिर्फ अपने कार्यकर्ताओं के लिए शराब की व्यवस्था करती है. बल्कि प्रत्याशियों को लुभाने के लिए भी शराब का इस्तेमाल किया जाता है.
SFT और SST रखेगी निगरानी: ऐसे में शराब के चलन पर लगाम लगाने के लिए भारत निर्वाचन आयोग ने इस बार फुल प्रूफ प्लानिंग की है. इसके तहत आयोग ने प्रति प्रत्याशी के लिए एक्सपेंडिचर टीम की तैनाती की है. संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी नमामि बंसल ने बताया कि चुनाव के दौरान कैश और शराब का दुरुपयोग न हो, इसके लिए कैश और शराब के मूवमेंट पर आयोग निगरानी रख रहा है. इसी क्रम में भारत निर्वाचन आयोग ने इलेक्शन सीजर मैनेजमेंट सिस्टम प्रणाली विकसित की है. इसके अनुपालन के लिए जनपद स्तर तक एफएसटी और एसएसटी (Flying Squads Team and Static Surveillance Teams) गठित की गई है, जो पूरी निगरानी रख रहा है.