लखीमपुर खीरी: आज हम बात कर रहे हैं देश के एक अनूठे मंदिर की, जो उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले के ओयल में स्थित है. ये मंदिर अनूठा इसलिए है क्योंकि, यह मेंढक की विशाल मूर्ति के ऊपर स्थापित है. भगवान शंकर का यह मंदिर अपनी बनावट, वास्तुकला और पूजा के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध है. यह भारत का एकमात्र मेंढक मंदिर है, जो मांडूक तंत्र पर आधारित है.
मेंढक मंदिर का इतिहास: इतिहासकार बताते हैं कि लगभग 200 साल पुराने मेंढक मंदिर का निर्माण सूखे और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के लिए करवाया गया था. यह मंदिर ओयल के शासकों द्वारा बनवाया गया था, जो भगवान शिव के बड़े उपासक थे. मंदिर की वास्तु परिकल्पना कपिला के एक महान तांत्रिक ने की थी. इसलिए मेंढक मंदिर की वास्तु संरचना तंत्रवाद पर आधारित है. मंदिर की विशेष शैली लोगों को आकर्षित करती है. मंदिर का मुख्य द्वार पूर्व दिशा में, जबकि दूसरा द्वार दक्षिण में खुलता है.
लखीमपुर खीरी के मेंढक मंदिर पर संवाददाता की खास रिपोर्ट. (Video Credit; ETV Bharat) मेंढक मंदिर की वास्तुकला:मेंढक मंदिर की वास्तुकला अत्यंत आकर्षक है. मंदिर की दीवारों पर देवी-देवताओं की मूर्तियां और विचित्र चित्र उकेरे गए हैं, जो इसे एक अद्भुत रूप प्रदान करते हैं. मंदिर के सामने ही मेंढक की विशाल मूर्ति स्थापित है, जो भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करती है.
लखीमपुर खीरी का मेंढक मंदिर. (Photo Credit; ETV Bharat) देश का एकमात्र शिवलिंग जो दिन में 3 बार बदलता है रंग: मेंढक मंदिर के शिवलिंग की एक खास बात यह है कि इसका रंग बदलता है. बताया जाता है कि दिन में शिवलिंग 3 बार अपना रंग बदलता है. यह देखकर भक्त आश्चर्यचकित रह जाते हैं और इसे भगवान का चमत्कार मानते हैं.
लखीमपुर खीरी के मेंढक मंदिर में नंदी भगवान की खड़े हुए मूर्ति स्थापित है. (Photo Credit; ETV Bharat) मंदिर में नंदी की खड़ी मूर्ति:आम तौर पर शिव मंदिरों में भगवान भोलेनाथ के वाहन नंदी की मूर्ति बैठी मुद्रा में होती है. लेकिन, मेंढक मंदिर में नंदी की मूर्ति खड़ी मुद्रा में है. बताया जाता है कि ओयल का मेंढक शिव मंदिर एकलौता ऐसा शिव मंदिर है, जहां नंदी खड़ी मुद्रा में स्थापित हैं.
लखीमपुर खीरी के मेंढक मंदिर का शिवलिंग. (Photo Credit; ETV Bharat) मान्यताएं और त्योहार:मेंढक मंदिर में हर रोज हजारों भक्त दर्शन करने के लिए आते हैं. दीपावली और महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां विशेष रूप से भक्तों की भीड़ उमड़ती है. मान्यता है कि इस मंदिर में पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और विशेष फल की प्राप्ति होती है.
लखीमपुर खीरी के मेंढक मंदिर की दीवारों पर आकर्षक कलाकृतियों को उकेरा गया है. (Photo Credit; ETV Bharat) कैसे पहुंचे मेंढक मंदिर: मेंढक मंदिर यूपी की राजधानी लखनऊ से 135 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. मंदिर के लिए पहले लखीमपुर आना होगा. यहां से ओयल महज 11 किलोमीटर दूर है. लखीमपुर पहुंचकर आप बस या टैक्सी के जरिए ओयल आ सकते हैं. यदि, आप हवाई यात्रा कर या ट्रेन से आना चाहते हैं तो यहां से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन लखनऊ है.
मंदिर की खासियत और विशेषताएं
- मेंढक मंदिर दो-तीन सौ साल पुराना है और मांडूक तंत्र पर आधारित है. बाढ़-सूखे जैसी आपदाओं को रोकने के उद्देश्य से मंदिर बनवाया गया था.
- मंदिर में सबसे नीचे मगरमच्छ है. उसके बाद मेंढक की पीठ पर यह मंदिर बना हुआ है.
- मंदिर में एक कुआं है, जिसका वाटर लेवल जमीन से ऊपर रहता है.
- मेंढक मंदिर में नंदी जी की खड़ी मुद्रा में मूर्ति है. विश्व में कहीं भी नंदी जी की खड़ी मूर्ति नहीं है. सभी जगह बैठी मूद्रा में मूर्ति हैं.
- मंदिर के ऊपर एक नटराज की मूर्ति और चक्र लगा है. जैसे-जैसे सूर्य अपनी दिशा बदलते हैं वैसे-वैसे चक्र और नटराज की मूर्ति भी घूमती है.
क्या कहते हैं स्थानीय निवासी: ग्रामीण शरद गुप्ता का कहना है कि मंदिर ओयल एंड कैमहरा एस्टेट का है. ट्रस्ट के प्रबंधक राजा बीएनडी सिंह हैं. यह तांत्रिक मंदिर है. सभी शिवालयों में नंदी की बैठी हुई मूर्ति देखने को मिलती है लेकिन, यहां पर खड़ी है. महाशिवरात्रि पर यहां बहुत जबरदस्त भीड़ होती है. सुरक्षा में पुलिस प्रशासन का सहयोग रहता है.
ये भी पढ़ेंःतपस्वी बाबा ने जहां ली समाधि वहीं से निकला वट वृक्ष, ढाई एकड़ में फैला; जानिए महत्व-इतिहास