लखनऊ :अब से करीब साढ़े सात साल पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने अपना पहला बजट पेश किया था. तत्कालीन वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल ने लगभग 3.90 लाख करोड़ रुपए का बजट पेश किया था. योगी आदित्यनाथ ने अपने दूसरे कार्यकाल में साल 2023 में पिछला बजट पेश किया तो यूपी की जरूरतें बदल चुकी थीं. अब प्रदेश को नंबर वन बनाने की आस में वर्तमान वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना सोमवार को बजट पेश करने जा रहे हैं. इसका आकार 7.70 लाख करोड़ होने का अनुमान है. इसे अब तक का सबसे बड़ा वार्षिक बजट हो सकता है. बजट में युवा, किसान, महिलाओं के अलावा पर्यटन आदि को लेकर घोषणाएं की जा सकती हैं.
योगी सरकार के पहले बजट की खासियत :सरकार ने विधानसभा में वर्ष 2017-18 के लिए 3 लाख, 84 हजार, 659 करोड़ रुपये का बजट पेश किया और 55 हजार करोड़ रुपये की नई योजनाएं शुरू करने का ऐलान किया था. बजट में ग्रामीण क्षेत्रों में बीहड़, बंजर, जलभराव वाले इलाकों को सुधारने तथा कृषि मजदूरों को आवंटित भूमि का उपचार एवं आजीविका उपलब्ध कराने के लिए ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय किसान समृद्धि योजना’ के लिए दस करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई थी. फसलों की उपज बढ़ाने के लिए वर्मी कंपोस्ट की उपलब्धता बढ़ाने की योजना के लिए 19 करोड़, 56 लाख का बजट रखा गया था. वैकल्पिक ऊर्जा प्रबंधन के तहत सोलर फोटोवोल्टेइक इरीगेशन पंप की स्थापना योजना के लिए 125 करोड़, गन्ना किसानों की उपज को बाजार तक सुगमता से पहुंचाने के लिए संपर्क मार्गों के निर्माण के लिए 200 करोड़ तथा अनुरक्षण के लिए 250 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था.
फसलों पर अनुसंधान के लिए इतना मिला था बजट :कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर, फैजाबाद, मेरठ, बांदा एवं इलाहाबाद में फसलों पर अनुसंधान के लिए ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ की स्थापना के लिए 10 करोड़ रुपये का बजट रखा गया था. प्रदेश की बंद सहकारी चीनी मिल (पिपराइच) के स्थान पर तीन हजार, 500 टीसीडी (टन आफ केन पर डे) क्षमता की नई चीनी मिल एवं को-जेनरेशन संयंत्र की स्थापना के लिए 273 करोड़, 75 लाख रूपये की व्यवस्था की गई थी.