लखनऊ :राष्ट्रीय लोकदल ने भाजपा नेतृत्व से आगामी विधानसभा उपचुनाव के लिए एक बार फिर दो सीटों की डिमांड की है. आरएलडी के नेताओं का तर्क है कि मीरापुर सीट से 2022 में हमारा ही विधायक बना था, इसलिए उस सीट पर तो हमारा दावा स्वाभाविक है. वह सीट तो हमारे हिस्से की है, लेकिन खैर विधानसभा सीट पर हमारी दावेदारी इसलिए है क्योंकि यह भी बड़ा जाटलैंड है. यहां पर 2007 और 2012 के विधानसभा चुनाव में आरएलडी ने जीत हासिल की थी. 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में सीट जरूर गई थी, लेकिन आरएलडी के प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहे थे, इसलिए इस सीट पर आरएलडी के प्रत्याशी की जीत संभव है. भाजपा से खैर सीट की मांग आरएलडी की तरफ से एक बार फिर दोहराई गई है.
विधानसभा उपचुनाव की आहट आने लगी है. ऐसे में गठबंधन के सहयोगी दल भी अपने लिए सीटों की डिमांड रखने लगे हैं. जहां समाजवादी पार्टी से कांग्रेस तीन सीटों की डिमांड कर रही है, वहीं भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी दल भी अपने लिए सीटों की दावेदारी पेश करने लगे हैं. निषाद पार्टी की तरफ से मझवां और कटेहरी विधानसभा सीटें भाजपा से मांगी जा रही हैं, वहीं राष्ट्रीय लोकदल भी दो सीटों से कम पर मानने को तैयार नहीं है.
मीरापुर सीट पर आरएलडी का दावा मजबूत :मीरापुर विधानसभा सीट पर पिछले विधानसभा चुनाव में चंदन चौहान ने जीत हासिल की थी, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें टिकट मिला और वे सांसद बन गए, इसलिए यह सीट रिक्त हुई है. इस सीट पर स्वाभाविक तौर से आरएलडी ने अपना दावा किया है और पार्टी को पूरी उम्मीद है यह सीट तो उनके कब्जे में रहेगी ही, लेकिन अलीगढ़ लोकसभा क्षेत्र की खैर विधानसभा सीट पर भाजपा के अनूप प्रधान वाल्मीकि पिछले दो चुनाव से जीत दर्ज करते रहे हैं और 2024 के लोकसभा चुनाव में उनके सांसद बनने के बाद यह सीट खाली हुई है.
बीजेपी से हो सकता है मनमुटाव :आरएलडी का तर्क है कि 2007 और 2012 के विधानसभा चुनाव में आरएलडी ने ये सीट हासिल की थी और 2017 और 2022 के विधानसभा चुनाव में भी पार्टी का प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहा था. ऐसे में जाट लैंड क्षेत्र होने के चलते वर्तमान माहौल में आरएलडी का ही प्रत्याशी वहां पर जीत सकता है, इसलिए खैर विधानसभा सीट की डिमांड बीजेपी के सामने रखी गई है. हालांकि भाजपा के सूत्रों की माने तो किसी भी कीमत पर आरएलडी को खैर विधानसभा सीट नहीं मिलेगी. यहां से भारतीय जनता पार्टी के ही प्रत्याशी को मौका दिया जाएगा. ऐसे में आरएलडी और बीजेपी के बीच एक सीट को लेकर मनमुटाव हो सकता है.
इसलिए बगावत नहीं करेगी रालोद :राजनीतिक जानकारों की मानें तो आरएलडी को अगर खैर विधानसभा सीट नहीं भी मिली तो भी पार्टी की तरफ से बगावत के स्वर मुखर नहीं हो पाएंगे. कारण है कि केंद्र में आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी अब कैबिनेट राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हैं. इसके अलावा उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में भी आरएलडी का एक कैबिनेट मंत्री है, इसलिए सीट मिले न मिले कोई गिला शिकवा नहीं होगा.