बेतिया: IAS अधिकारी केके पाठक से टकराव के कारण निलंबित शिक्षक और चर्चित शिक्षक नेता वंशीधर ब्रजवासी ने तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र उपचुनाव जीत लिया है. उनके जीत के बाद पश्चिमी चंपारण जिले के शिक्षक नेताओं ने जश्न मनाया है. बेतिया में शिक्षक नेताओं ने एक दूसरे को गुलाल लगाकर जीत की बधाई दी.
वंशीधर ब्रजवासी की जीत पर बेतिया में जश्न: वंशीधर ब्रजवासी के जीत पर शिक्षकों ने बताया कि बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के पूर्व अपर मुख्य सचिव के के पाठक के द्वारा वंशीधर ब्रजवासी को निलंबित कर दिया गया था. लेकिन आज वंशीधर ब्रजवासी ने अपनी जीत हासिल कर ली है. शिक्षकों को अगर सरकार प्रताड़ित करेगी तो शिक्षक विद्यालय के साथ राजनीति के अखाड़े में भी कदम रखेंगे और आने वाले समय में शिक्षक एमएलसी, एमएलए, एमपी तक का चुनाव लड़ अपने हक की लड़ाई लड़ेंगे और खुद सत्ता में पहुंचे सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करेंगे.
'गलत नीतियों के खिलाफ आवाज उठाई':उन्होंने कहा कि हमारे मान सम्मान से कभी भी कोई भी अधिकारी या सरकार खिलवाड़ करेगी तो उनका जवाब इसी तरह चुनाव लड़कर शिक्षक देंगे. जिसका जीता जागता उदाहरण शिक्षक नेता वंशीधर ब्रजवासी हैं. जिन्होंने सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ आवाज उठाई और सरकार को जब बर्दाश्त नहीं हुआ तो उन्हें बर्खास्त कर दिया.
चुनाव लड़कर शिक्षक सरकार के देंगे जवाब:शिक्षक नेता ने कहा कि आज वंशीधर ब्रजवासी ने सरकार को दिखा दिया की सारी राजनीतिक पार्टी एक तरफ और एक शिक्षक निर्दलीय लड़कर चुनाव जीत लिया. इससे शर्म की बात इस सरकार के लिए और क्या होगी? उनकी जीत ने साफ कर दिया कि शिक्षक किसी भी मामले में काम नहीं है. अगर हमारी आवाज आगे दबाई जाएगी तो हम इसी तरह चुनाव लड़कर सत्ता पर बैठेंगे और अपनी हक की लड़ाई लड़ेंगे.
तिरहुत स्नातक निर्वाचन उपचुनाव: बता दें की तिरहुत स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के उपचुनाव के लिए आज मतगणना हुई. जिसमें शुरू से ही निर्दलीय उम्मीदवार और शिक्षक नेता वंशीधर ब्रजवासी आगे चल रहे थे और आखिरकार उनकी जीत हुई और तमाम अनुमानों को गलत साबित हुए और उन्होंने जेडीयू, आरजेडी और जन सुराज पार्टी के प्रत्याशियों हराकर सरकार को बता दिया कि एक शिक्षक भी चुनाव लड़ सकता है जब उसकी हक मेरी होगी.