भूस्खलन से शंभू नदी में फिर झील बनने का अंदेशा (वीडियो- ईटीवी भारत) बागेश्वर: जिले के कपकोट तहसील के सीमांत में चमोली जिले को जोड़ने वाली शंभू नदी, भूस्खलन के मलबे से पटने लगी है. जिससे नदी में फिर से झील बनने लगी है. ब्लॉक प्रमुख गोविंद दानू ने जिला प्रशासन को इसकी सूचना देकर जरूरी कदम उठाने की मांग की.
कपकोट तहसील के आपदाग्रस्त गांव कुंवारी की पहाड़ी से समय-समय पर भूस्खलन होता रहता है. साल 2012, 2013 और 2018 में भी भूस्खलन के कारण गांव की तलहटी पर बहने वाली शंभू नदी में झील बन गई थी. तब बारिश में नदी का जलस्तर बढ़ने से नदी में जमा मलबा बह गया और खतरा टल गया था. साल 2022 में नदी में भारी मात्रा में मलबा जमा होने के बाद नदी में करीब एक किलोमीटर लंबी तथा पचास मीटर चौड़ी झील बन गई थी. इसकी जानकारी नदियों को जोड़ने की योजना के तहत सर्वे करने आई यूसेक की टीम से मिली तो जिला प्रशासन द्वारा नदी के मुहाने को काफी प्रयासों को बाद खोलने में सफलता मिली.
वहीं अभी भूस्खलन का मलबा इस नदी में गिर रहा है. कपकोट के ब्लॉक प्रमुख गोविंद दानू ने बताया कि वर्तमान में फिर से भूस्खलन होने से शंभू नदी में पानी का प्रवाह कम होने लगा है. बरसात से पहले इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो इससे काफी नुकसान हो सकता है. कुंवारी गांव बागेश्वर जिले के कपकोट तहसील के उच्च हिमालयी क्षेत्र में बसा हुआ है. यह गढ़वाल व कुमाऊं की सीमा पर बसा हुआ सीमांत गांव है. नवम्बर 2012 से इस क्षेत्र में भारी भूस्खलन हो रहा है, दो वर्ष पूर्व में सिंचाई विभाग, तहसील प्रशासन और एसडीआरएफ के जवानों के द्वारा झील के मुहाने पर जमा मलबे को हटाने के बाद नदी का प्रवाह सुचारू कर दिया गया था.
लेकिन अभी फिर से मलबा गिरने से नदी का प्रवाह कम होने से झील बनने का अंदेशा बना है. वहीं जिलाधिकारी अनुराधा पाल ने बताया कि मौके पर टीम भेजी गई है, रिपोर्ट आने पर उचित कदम उठाए जाएंगे. गौरतलब है कि उत्तराखंड के आपदा न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केन्द्र (डीएमएमसी) ने कुंवारी गांव को लेकर पूर्व में अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कुंवारी गांव के पास कपकोट फोरमेसन व हत्थसिला फोरमेशन होकर गुजर रहे हैं. उनके आपस में टकराने से टैक्टोनिक जोन बन रहा है. माना जा रहा है कि कुंवारी गांव की पहाड़ी पर हो रहा भूस्खलन उसी के फलस्वरूप बन रहा है.
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