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सांसद इंजीनियर रशीद ने दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की याचिका, संसद सत्र में भाग लेने की मांग की - TERROR FUNDING CASE

टेरर फंडिंग के आरोपी सांसद इंजीनियर रशीद ने संसद सत्र में शामिल होने के लिए अंतरिम जमानत की मांग की

इंजीनियर रशीद की याचिका संसद सत्र में भाग लेने की मांग
इंजीनियर रशीद की याचिका संसद सत्र में भाग लेने की मांग (ETV Bharat)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jan 29, 2025, 5:23 PM IST

नई दिल्ली: टेरर फंडिंग मामले के आरोपी और सांसद इंजीनियर रशीद ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आगामी संसद सत्र में शामिल होने के लिए अंतरिम जमानत की मांग की है. इंजीनियर रशीद की याचिका पर कल यानि 30 जनवरी को उनकी नियमित जमानत याचिका के साथ सुनवाई होगी.

रशीद इंजीनियर ने 31 जनवरी से 4 अप्रैल तक संसद के सत्र में शामिल होने के लिए अंतरिम जमानत की मांग की है. इससे पहले हाईकोर्ट ने 23 जनवरी को इंजीनियर रशीद की नियमित जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए एनआइए को नोटिस जारी किया था. इंजीनियर रशीद ने नियमित याचिका दायर कर पटियाला हाउस कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें पटियाला हाउस कोर्ट ने जमानत याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया था. याचिका में हाईकोर्ट से मांग की गई है कि उनकी जमानत याचिका पर जल्द सुनवाई की जाए.

बता दें कि 24 दिसंबर 2024 को पटियाला हाउस कोर्ट ने इंजीनियर रशीद की जमानत याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था. उसके पहले इंजीनियर रशीद ने पटियाला हाउस कोर्ट में याचिका दायर कर संसद के शीतकालीन सत्र में शामिल होने के लिए अंतरिम जमानत की मांग की थी.

इंजीनियर रशीद को कब गिरफ्तार किया गया था:रशीद इंजीनियर ने 28 अक्टूबर 2024 को तिहाड़ जेल में सरेंडर कर दिया था. 10 सितंबर 2024 को पटियाला हाउस कोर्ट ने रशीद इंजीनियर को जम्मू-कश्मीर में चुनाव प्रचार में हिस्सा लेने के लिए 2 अक्टूबर 2024 तक अंतरिम जमानत दी थी. उसके बाद से कोर्ट ने रशीद इंजीनियर की दो बार अंतरिम जमानत बढ़ाई थी. रशीद इंजीनियर ने लोकसभा चुनाव 2024 में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को करीब एक लाख मतों से हराकर जीत हासिल की है. रशीद इंजीनियर को 2016 में एनआईए ने गिरफ्तार किया था.

क्या है पूरा मामला:पटियाला हाउस कोर्ट ने 16 मार्च 2022 को कोर्ट ने हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन, यासिन मलिक, शब्बीर शाह और मसरत आलम, रशीद इंजीनियर, जहूर अहमद वताली, बिट्टा कराटे, आफताब अहमद शाह, अवतार अहम शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट्ट ऊर्फ पीर सैफुल्ला समेत दूसरे आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था. एनआईए के मुताबिक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसा को अंजाम दिया. 1993 में अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस की स्थापना की गई.

एनआईए के मुताबिक हाफिज सईद ने हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं के साथ मिलकर हवाला और दूसरे चैनलों के जरिये आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन का लेन-देन किया. इस धन का उपयोग उन्होंने घाटी में अशांति फैलाने, सुरक्षा बलों पर हमला करने, स्कूलों को जलाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का लिए किया. इसकी सूचना गृह मंत्रालय को मिलने के बाद एनआईए ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 121, 121ए और यूएपीए की धारा 13, 16, 17, 18, 20, 38, 39 और 40 के तहत केस दर्ज किया था.

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