नई दिल्ली: दिल्ली सरकार की नई शराब नीति को लेकर सरकार की ओर से दिए जा रहे बयान पर उपराज्यपाल (LG) ने कड़ी आपत्ति जताई है. उन्होंने बयान को भ्रामक और झूठा करार दिया है. बुधवार को उपराज्यपाल कार्यालय ने नई शराब नीति 2021-22 को लागू करने के उद्देश्य से समिति की एक रिपोर्ट के संबंध में हाईकोर्ट के समक्ष दिल्ली सरकार के वकीलों द्वारा बार-बार दिए गए दलीलों को भ्रामक और झूठ बताया.
हालांकि, नई शराब नीति 2021-22 अब निरस्त हो चुकी है, लेकिन सरकार के वक्तव्य पर LG विनय कुमार सक्सेना ने गंभीर आपत्ति जताई है. इस मामले से संबंधित एक समिति की रिपोर्ट की मंजूरी को लेकर एक फाइल 1 साल 5 महीने की देरी से 16 जनवरी 2024 को LG को भेजी गई थी. जबकि, दिल्ली सरकार की तरफ से अदालत में पैरवी करने वाले सरकारी वकील सितंबर 2022 से दिसंबर 2023 तक हाईकोर्ट को बताते रहे कि यह फाइल LG के पास लंबित है.
उपराज्यपाल कार्यालय ने इन वकीलों के नाम अरुण पवार और संतोष त्रिपाठी का उल्लेख करते हुए कहा कि 12 सितंबर 2022, 10 अगस्त 2023, 18 अगस्त 2023 और 4 दिसंबर 2023 को हाईकोर्ट में झूठी जानकारी दी गई है. कोर्ट के आदेशों का हवाला देते हुए कहा कि यह वकील LG के नाम पर झूठी गवाही दे रहे थे. इनकी कार्रवाई भी न्यायालय की अवमानना की श्रेणी में आती है. हाईकोर्ट के समक्ष झूठ और भ्रामक बयान देकर उपराज्यपाल और उनके कार्यालय की हाईकोर्ट की नजर में खराब छवि पेश की गई.