आगरा :आगरा की दीवानी स्थित लघुवाद न्यायालय के न्यायाधीश मृत्युंजय श्रीवास्तव की अदालत में ताजमहल या तेजोमहालय केस की सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता और एएसआई के अधिवक्ता ने जवाब दाखिल करने के लिए समय की मांग रखी. अदालत ने अब 6 मार्च को अगली सुनवाई की तारीख नियत की है. वहीं वादी कुंवर अजय तोमर ने बताया कि प्रयागराज महाकुंभ में 26 जनवरी को तेजोमहालय मुक्ति के लिए हस्ताक्षर अभियान और जनजागरण किया जाएगा.
बता दें, योगी यूथ बिग्रेड अध्यक्ष कुंवर अजय तोमर ने 23 जुलाई 2024 को अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर के जरिए सावन माह में ताजमहल या तेजोमहालय में जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक की मांग की थी. इसके बाद से ही इस मामले में लगातार सुनवाई चल रही है. इस मामले में अब तक यूनियन ऑफ इंडिया के जरिए सचिव सांस्कृतिक मंत्रालय भारत सरकार को पक्षकार बनाया जा चुका है. साथ ही मुस्लिम पक्ष से सैय्यद इब्राहिम हुैसन जैदी ने कोर्ट में खुद को वादी बनाए जाने का प्रार्थना पत्र दिया है. जिसमें वादी पक्ष, प्रतिवादी एएसआई और भारत संघ मिले होने का आरोप लगाया गया है.
प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 खारिज करने की मांग
वादी योगी यूथ बिग्रेड के वादी अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने बताया कि इस मामले में कोर्ट कमिश्नर नियुक्ति करने के प्रार्थना पत्र किया जा चुका है. साथ ही ताजमहल के सर्वे की मांग प्रार्थना पत्र दाखिल करना था. मगर, बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 पर हुई सुनवाई में दिए गए निर्देश की वजह से ताजमहल के सर्वे का प्रार्थना पत्र नहीं दिया जा सका. इस बारे में वादी योगी यूथ बिग्रेड अध्यक्ष कुंवर अजय तोमर ने बताया कि ताजमहल की लड़ाई जारी रखेंगे. केंद्र सरकार से मांग है कि प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 को खारिज करे. यह एक्ट बहुसंख्यक हिंदुओं, सिख, जैन और बौद्ध समेत अन्य के मूल अधिकारों का हनन करता है. जिससे ही हिंदू अपने मंदिरों को मस्जिद, दरगाह और मजारों से मुक्त करा सकें.
सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी नहीं मुगल वंशज
वादी के अधिवक्ता शिव आधार सिंह तोमर ने बताया कि एएसआई ने मुस्लिम पक्ष के सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी के वादी बनाए जाने के प्रार्थना पत्र पर आपत्ति दाखिल की है. इससे साफ है कि प्रतिवादी एएसआई और सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी मिले हैं. जबकि, हम कोर्ट में सात अक्टूबर 2024 को ही अपनी आपत्ति दाखिल कर चुके हैं. जिसमें कहा था कि सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी की ताजमहल निजी प्रॉपर्टी नहीं है. ना ही वे शाहजहां के वंशज हैं. ऐसे में ये केस लड़ने का कोई अधिकार नहीं है.
ताजमहल की छवि हो रही खराब :मुस्लिम पक्ष से सैय्यद इब्राहिम हुसैन जैदी ने इस मामले में वादी बनने को प्रार्थना पत्र दाखिल किया है. जिसमें कहा कि सुर्खियों में रहने के लिए आगरा में कई लोग आए दिन ताजमहल को लेकर कुछ न कुछ करते रहते हैं. जिससे चेहरा चमकता रहे जो ताजमहल और आगरा की छवि दुनिया में खराब कर रहे हैं. अव्यवस्थाओं के जो वीडियो वायरल होते हैं, वो भी ताजमहल और आगरा के पर्यटन कारोबार के लिए ठीक नहीं है. उन्होंने कोर्ट में ये भी कहा था कि जहां पर मस्जिद या मकबरा है वो वक्फ संपत्ति है. ये मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. अभी हमें वादी नहीं बनाया है.